कानपुर: वैसे तो अभी तक देश में जहां-जहां भूसे से एथेनॉल तैयार करने को लेकर जो शोध कार्य हुए हैं, उनमें बहुत सार्थक परिणाम तो सामने नहीं आए. अब छत्रपति शाहू जी महाराज विवि के लाइफ साइंस विभाग में फैकल्टी डॉ. राकेश शर्मा की ओर से किए गए शोध से कमाल हो गया है. भूसे से एथेनॉल तो तैयार हुआ ही, इसके साथ-साथ जो एनर्जी उत्पादित हुई. जिससे इलेक्ट्रानिक उपकरणों को चार्ज करने में जहां मदद मिली. भूसे का 40 से 50 प्रतिशत भूसा एनिमल फीड के लिए भी उपयोग में आ गया.
डा.राकेश का दावा है कि उनका शोध सबसे अलग है. जिसमें कई परिणाम एक साथ सामने आए हैं. भूसे से एथेनॉल बनाने में बहुत कम समय लग रहा है, क्योंकि उन्होंने बैक्टीरिया व फंगस का कॉम्बिनेशन लिया है. जितने समय में सेलूलोज से ग्लूकोज और फिर ग्लूकोज से एथेनॉल बन रहा है, उससे जो एनर्जी उत्पादित हो रही है, उसका उपयोग हम इलेक्ट्रानिक उपकरणों की चार्जिंग में कर रहे हैं.
जल्द ही शुरू होगा उत्पादन: डॉ. राकेश शर्मा ने बताया कि भूसे से ही एथेनॉल तैयार करने के लिए कई कंपनियों से करार को लेकर बातचीत जारी है. जल्द ही इसका उत्पादन शुरू कराया जाएगा. देश में 2025 तक एथेनॉल उत्पादन को लेकर बहुत अधिक काम होना है. जितना अधिक उत्पादन बढ़ेगा, उतनी ज्यादा राहत आमजन को मिल सकेगी. 2025 तक केंद्र सरकार ने एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य 20 से 25 प्रतिशत तक तय भी किया है. डॉ. राकेश ने बताया कि इस शोध कार्य में छह माह से एक साल का समय लगा.