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इटावा की शालिनी लिंग परिवर्तन कराकर लड़की से बनी लड़का, जेंडर डिस्फोरिया से थीं परेशान - Etawah shalini gender change surgery

इटावा की शालिनी को लड़की होने के बावजूद लड़कों जैसा रहन-सहन रास आ रहा था. इसकी वजह से उसने अपना लिंग परिवर्तन कराने का फैसला लिया.

इटावा की शालिनी कराया लिंग परिवर्तन.
इटावा की शालिनी कराया लिंग परिवर्तन. (PHOTO Credit; Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 9, 2024, 12:52 PM IST

इटावा : जिले के सुल्तानपुर गांव की 28 वर्षीय शालिनी ने अपना लिंग परिवर्तन कराया है. अब वह शालिनी से शानू बन गई है. शालिनी काफी समय से लिंग परिवर्तन कराना चाहती थी लेकिन परिवार के लोग रजामंदी नहीं दे रहे थे. हालांकि बाद में परिवार ने सहमति दे दी. इसके बाद कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद उसकी इच्छा पूरी हो सकी.

शानू ने बताया कि जेंडर डिस्फोरिया के तहत बचपन से ही उसे लड़कों की तरह रहना पसंद है. लड़कों के साथ खेलना, समय बिताना अच्छा लगता है. शानू के अनुसार जब उसे जेंडर चेंज सर्जरी के बारे में पता चला तो उसने खुद का ही ऑपरेशन कराने का फैसला लिया. शुरुआत में मना करने का बाद परिवार भी मान गया.

शानू ने बताया कि लिंग परिवर्तन के लिए अलग-अलग कई चरणों से गुजरना पड़ता है. पहली प्रक्रिया साइकोलॉजिकल इवोल्यूशन द्वारा होती है. इसमें साइकोलॉजिस्ट की अनुमति जरूरी होती है. उसके बाद हार्मोन थेरेपी. इसके बाद सर्जरी की प्रक्रिया होती है.

शानू ने बताया कि उसके जीवन में लिंग परिवर्तन के बाद उसका जीवन आत्मविश्वास उत्साह और आनंद से भर गया है. उसे पहले से बेहतर महसूस होने लगा था. जो लोग भी लिंग परिवर्तन कराना चाहते हैं, उन्हें हीन दृष्टि से न देखा जाए. उनकी भावनाओं को भी महत्व दिया जाए.

उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैंफई के जनरल सर्जरी विभाग के प्रो. डॉ. सोमेंद्र पाल ने बताया कि जेंडर डिस्फोरिया के के कारण अकसर लड़की लड़के की तरह रहना चाहने लगती है. इसी तरह से लड़का, लड़की की तरह रहने की कोशिश करने लगता है. समाज के डर से वह इन बदलावों को बताने से डरते हैं. बाद में जेंडर चेंज कराने का फैसला लेते हैं.

उन्होंने बताया कि जेंडर चेंज सर्जरी एक चुनौतीपूर्ण काम है. इसमें लाखों का खर्च आता है. इस सर्जरी को करने से पहले मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है. डॉ. सोमेंद्र ने बताया जेंडर चेंज सर्जरी प्रक्रिया में मनोरोग विशेषज्ञ, सर्जन,गाइनेकोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन भी मौजूद रहते हैं और इस सर्जरी के लिए कम से कम 21 साल से अधिक की उम्र होनी चाहिए.

जेंडर बदलने के बाद जेंडर बदलने वाले व्यक्ति के प्रमाण पत्र फिर से बनाए जाते हैं. इसके लिए डॉक्टर से लिखित प्रमाण पत्र और डीएम से अनुमति लेनी पड़ती है. आधार कार्ड, पासपोर्ट व अन्य प्रमाण पत्र में नई पहचान दर्ज होती है. इसमें नई फोटो के साथ नया नाम भी दर्ज होता है.

यह भी पढ़ें : मोदी 3.0 कैबिनेट में घटेगी यूपी के मंत्रियों की संख्या, जानिए कौन-कौन सांसद हैं रेस में?

इटावा : जिले के सुल्तानपुर गांव की 28 वर्षीय शालिनी ने अपना लिंग परिवर्तन कराया है. अब वह शालिनी से शानू बन गई है. शालिनी काफी समय से लिंग परिवर्तन कराना चाहती थी लेकिन परिवार के लोग रजामंदी नहीं दे रहे थे. हालांकि बाद में परिवार ने सहमति दे दी. इसके बाद कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद उसकी इच्छा पूरी हो सकी.

शानू ने बताया कि जेंडर डिस्फोरिया के तहत बचपन से ही उसे लड़कों की तरह रहना पसंद है. लड़कों के साथ खेलना, समय बिताना अच्छा लगता है. शानू के अनुसार जब उसे जेंडर चेंज सर्जरी के बारे में पता चला तो उसने खुद का ही ऑपरेशन कराने का फैसला लिया. शुरुआत में मना करने का बाद परिवार भी मान गया.

शानू ने बताया कि लिंग परिवर्तन के लिए अलग-अलग कई चरणों से गुजरना पड़ता है. पहली प्रक्रिया साइकोलॉजिकल इवोल्यूशन द्वारा होती है. इसमें साइकोलॉजिस्ट की अनुमति जरूरी होती है. उसके बाद हार्मोन थेरेपी. इसके बाद सर्जरी की प्रक्रिया होती है.

शानू ने बताया कि उसके जीवन में लिंग परिवर्तन के बाद उसका जीवन आत्मविश्वास उत्साह और आनंद से भर गया है. उसे पहले से बेहतर महसूस होने लगा था. जो लोग भी लिंग परिवर्तन कराना चाहते हैं, उन्हें हीन दृष्टि से न देखा जाए. उनकी भावनाओं को भी महत्व दिया जाए.

उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैंफई के जनरल सर्जरी विभाग के प्रो. डॉ. सोमेंद्र पाल ने बताया कि जेंडर डिस्फोरिया के के कारण अकसर लड़की लड़के की तरह रहना चाहने लगती है. इसी तरह से लड़का, लड़की की तरह रहने की कोशिश करने लगता है. समाज के डर से वह इन बदलावों को बताने से डरते हैं. बाद में जेंडर चेंज कराने का फैसला लेते हैं.

उन्होंने बताया कि जेंडर चेंज सर्जरी एक चुनौतीपूर्ण काम है. इसमें लाखों का खर्च आता है. इस सर्जरी को करने से पहले मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है. डॉ. सोमेंद्र ने बताया जेंडर चेंज सर्जरी प्रक्रिया में मनोरोग विशेषज्ञ, सर्जन,गाइनेकोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन भी मौजूद रहते हैं और इस सर्जरी के लिए कम से कम 21 साल से अधिक की उम्र होनी चाहिए.

जेंडर बदलने के बाद जेंडर बदलने वाले व्यक्ति के प्रमाण पत्र फिर से बनाए जाते हैं. इसके लिए डॉक्टर से लिखित प्रमाण पत्र और डीएम से अनुमति लेनी पड़ती है. आधार कार्ड, पासपोर्ट व अन्य प्रमाण पत्र में नई पहचान दर्ज होती है. इसमें नई फोटो के साथ नया नाम भी दर्ज होता है.

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