रुद्रप्रयाग: प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां कालीशिला के परम उपासक ब्रह्मलीन सिद्ध बाबा बरखागिरि महाराज की पुण्य स्मृति में उनकी समाधि स्थल पर आयोजित नर्मदेश्वर शिवलिंग प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हो गया है. पांच दिवसीय कार्यकम के अंतिम दिन पूर्णाहुति के बाद भंडारे का आयोजन किया गया. भंडारे में स्थानीय भक्तों के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने महा प्रसाद ग्रहण किया.
नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना: समुद्र तल से 3,463 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कालीशिला मंदिर में सालभर लोगों का तांता लगा रहता है. ये मंदिर भारत के प्रमुख सिद्ध और शक्तिपीठों में एक है. कालीशिला के बारे में मान्यता है कि मां दुर्गा ने शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज दानव का वध करने के लिए कालीशिला में 12 साल की बालिका का रूप धारण किया था. कालीशिला में देवी के 64 यन्त्र हैं. मां दुर्गा को इन्हीं यंत्रों से शक्ति मिली थी. कहा जाता है कि इस जगह पर 64 योगिनियां विचरण करती रहती हैं.
ब्रह्मलीन सिद्ध बाबा बरखागिरि महाराज की पुण्य स्मृति: मां कालीशिला के परम उपासक ब्रह्मलीन सिद्धबाबा बरखागिरि महाराज की पुण्य स्मृति में उनकी समाधि पर नर्मदेश्वर शिवलिंग की प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के आयोजक महंत सरस्वती गिरि एवं थानापति मणि महेश गिरि ने बताया कि बरखागिरि महाराज ने सिद्धपीठ कालीशिला में रहकर मां काली की तपस्या की थी. तपस्या से उन्हें सिद्धि की प्राप्ति हुई थी. उनकी समाधि पर नर्मदेश्वर प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें पूर्णाहुति के दिन भंडारे का भी आयोजन किया गया. भंडारे में देश के विभिन्न राज्यों से कालीशिला पहुंचे साधु संतों के अलावा भक्तों ने महा प्रसाद ग्रहण किया.
मां दुर्गा को यहीं मिली थी शक्ति: महंत सरस्वती गिरि ने कहा कि जो भी भक्त कालीशिला आकर मां की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने में केदारनाथ धाम के वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल, इंदौर मध्य प्रदेश से आए आचार्य रितेश, प्रकाश दीक्षित, नीरज शर्मा, कुंदन दीक्षित, आकाश शर्मा, अंकित तिवारी, गौ रक्षा विभाग के जिलाध्यक्ष रोहित डिमरी के साथ ही साधु-संत समाज का विशेष सहयोग रहा.
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