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मां काली के उपासक बरखागिरि की समाधि पर नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना, मां दुर्गा से जुड़ा है कालीशिला का पौराणिक इतिहास - Siddhapeeth Maa Kalishila Temple - SIDDHAPEETH MAA KALISHILA TEMPLE

Establishment of Shivalinga on the Samadhi of Baba Barkhagiri उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां कालीशिला मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि शुम्भ और निशुम्भ के साथ रक्तबीज का वध करने के लिए मां दुर्गा ने यहीं 12 साल की बालिका का रूप धारण किया था. बाबा बरखागिरि महाराज भी मां कालीशिला के उपासक थे. अब ब्रह्मलीन बाबा बरखागिरि की पुण्य स्मृति में शिवलिंग प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित हुआ. बाबा की समाधि पर नर्मदेश्वर शिवलिंग प्रतिष्ठित किया गया.

SIDDHAPEETH MAA KALISHILA TEMPLE
कालीशिला सिद्धपीठ
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 22, 2024, 2:03 PM IST

Updated : Apr 22, 2024, 2:31 PM IST

नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना

रुद्रप्रयाग: प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां कालीशिला के परम उपासक ब्रह्मलीन सिद्ध बाबा बरखागिरि महाराज की पुण्य स्मृति में उनकी समाधि स्थल पर आयोजित नर्मदेश्वर शिवलिंग प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हो गया है. पांच दिवसीय कार्यकम के अंतिम दिन पूर्णाहुति के बाद भंडारे का आयोजन किया गया. भंडारे में स्थानीय भक्तों के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने महा प्रसाद ग्रहण किया.

नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना: समुद्र तल से 3,463 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कालीशिला मंदिर में सालभर लोगों का तांता लगा रहता है. ये मंदिर भारत के प्रमुख सिद्ध और शक्तिपीठों में एक है. कालीशिला के बारे में मान्यता है कि मां दुर्गा ने शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज दानव का वध करने के लिए कालीशिला में 12 साल की बालिका का रूप धारण किया था. कालीशिला में देवी के 64 यन्त्र हैं. मां दुर्गा को इन्हीं यंत्रों से शक्ति मिली थी. कहा जाता है कि इस जगह पर 64 योगिनियां विचरण करती रहती हैं.

ब्रह्मलीन सिद्ध बाबा बरखागिरि महाराज की पुण्य स्मृति: मां कालीशिला के परम उपासक ब्रह्मलीन सिद्धबाबा बरखागिरि महाराज की पुण्य स्मृति में उनकी समाधि पर नर्मदेश्वर शिवलिंग की प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के आयोजक महंत सरस्वती गिरि एवं थानापति मणि महेश गिरि ने बताया कि बरखागिरि महाराज ने सिद्धपीठ कालीशिला में रहकर मां काली की तपस्या की थी. तपस्या से उन्हें सिद्धि की प्राप्ति हुई थी. उनकी समाधि पर नर्मदेश्वर प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें पूर्णाहुति के दिन भंडारे का भी आयोजन किया गया. भंडारे में देश के विभिन्न राज्यों से कालीशिला पहुंचे साधु संतों के अलावा भक्तों ने महा प्रसाद ग्रहण किया.

मां दुर्गा को यहीं मिली थी शक्ति: महंत सरस्वती गिरि ने कहा कि जो भी भक्त कालीशिला आकर मां की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने में केदारनाथ धाम के वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल, इंदौर मध्य प्रदेश से आए आचार्य रितेश, प्रकाश दीक्षित, नीरज शर्मा, कुंदन दीक्षित, आकाश शर्मा, अंकित तिवारी, गौ रक्षा विभाग के जिलाध्यक्ष रोहित डिमरी के साथ ही साधु-संत समाज का विशेष सहयोग रहा.
ये भी पढ़ें: सिद्धपीठ कालीमठ में नवरात्रि की नवमी पर उमड़ी भारी भीड़, केदारनाथ में तीर्थ पुरोहित समाज ने लगाया भंडारा

नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना

रुद्रप्रयाग: प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां कालीशिला के परम उपासक ब्रह्मलीन सिद्ध बाबा बरखागिरि महाराज की पुण्य स्मृति में उनकी समाधि स्थल पर आयोजित नर्मदेश्वर शिवलिंग प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हो गया है. पांच दिवसीय कार्यकम के अंतिम दिन पूर्णाहुति के बाद भंडारे का आयोजन किया गया. भंडारे में स्थानीय भक्तों के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने महा प्रसाद ग्रहण किया.

नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना: समुद्र तल से 3,463 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कालीशिला मंदिर में सालभर लोगों का तांता लगा रहता है. ये मंदिर भारत के प्रमुख सिद्ध और शक्तिपीठों में एक है. कालीशिला के बारे में मान्यता है कि मां दुर्गा ने शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज दानव का वध करने के लिए कालीशिला में 12 साल की बालिका का रूप धारण किया था. कालीशिला में देवी के 64 यन्त्र हैं. मां दुर्गा को इन्हीं यंत्रों से शक्ति मिली थी. कहा जाता है कि इस जगह पर 64 योगिनियां विचरण करती रहती हैं.

ब्रह्मलीन सिद्ध बाबा बरखागिरि महाराज की पुण्य स्मृति: मां कालीशिला के परम उपासक ब्रह्मलीन सिद्धबाबा बरखागिरि महाराज की पुण्य स्मृति में उनकी समाधि पर नर्मदेश्वर शिवलिंग की प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के आयोजक महंत सरस्वती गिरि एवं थानापति मणि महेश गिरि ने बताया कि बरखागिरि महाराज ने सिद्धपीठ कालीशिला में रहकर मां काली की तपस्या की थी. तपस्या से उन्हें सिद्धि की प्राप्ति हुई थी. उनकी समाधि पर नर्मदेश्वर प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें पूर्णाहुति के दिन भंडारे का भी आयोजन किया गया. भंडारे में देश के विभिन्न राज्यों से कालीशिला पहुंचे साधु संतों के अलावा भक्तों ने महा प्रसाद ग्रहण किया.

मां दुर्गा को यहीं मिली थी शक्ति: महंत सरस्वती गिरि ने कहा कि जो भी भक्त कालीशिला आकर मां की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने में केदारनाथ धाम के वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल, इंदौर मध्य प्रदेश से आए आचार्य रितेश, प्रकाश दीक्षित, नीरज शर्मा, कुंदन दीक्षित, आकाश शर्मा, अंकित तिवारी, गौ रक्षा विभाग के जिलाध्यक्ष रोहित डिमरी के साथ ही साधु-संत समाज का विशेष सहयोग रहा.
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Last Updated : Apr 22, 2024, 2:31 PM IST
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