जयपुर. ERCP राजस्थान के 13 जिलों के लिए जहां मौजूदा वक्त की जरूरत है, वहीं हकीकत यह है कि इसका मुद्दा प्रदेश में वोट बैंक की राजनीति का केंद्र भी रहा है. खास तौर पर बीते 8 साल के दौरान दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों की जुबान पर प्रदेश में पानी की समस्या के समाधान के रूप में देखी जा रही पूर्वी राजस्थान परियोजना से उम्मीदें हैं. अब जब जल शक्ति मंत्रालय के दिशा निर्देशन में इस मसले पर मध्य प्रदेश के साथ समझौता हो चुका है, तो विशेषज्ञ नई शर्तों के मुताबिक मिलने वाले पानी की मात्रा को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं.
साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से एक सभा के दौरान राज्य के 13 जिलों के लिए पानी की समस्या का समाधान चंबल नदी से मिलने वाले पानी के जरिए निकालने की बात हुई. इसके लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के नाम से एक प्रोजेक्ट वसुंधरा राजे सरकार के दौर में बनाया गया, जिसकी डीपीआर में दावा किया गया था कि 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा. मध्य प्रदेश के साथ रविवार को दिल्ली में राजस्थान सरकार ने इस विषय पर एक एमओयू भी साइन कर लिया. दूसरी ओर सोमवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस समझौते को भी सवालों में घेर लिया था. विपक्ष की मांग के अनुसार आज इस मसले पर विधानसभा में शून्य काल के दौरान चर्चा की जाएगी, जिसमें विपक्ष और सत्ता पक्ष की ओर से तीन-तीन सदस्य शामिल होंगे.
किसान नेता ने उठाया सवाल : किसान नेता रामपाल जाट के मुताबिक साल 2017 में तैयार हुई डीपीआर के मुताबिक पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के जरिए प्रदेश को मिलने वाले पानी की मात्रा 3510 मिलियन घन मीटर है. जाट का आरोप है कि नए समझौते में पानी की मात्रा को भी घटा दिया गया है. इस MOU के अनुसार मिलने वाली कुल पानी की मात्रा अब 2464 मिलियन घन मीटर रहेगी. रामपाल जाट ने कहा कि इस मात्रा में से भी 689 मिलियन घन मीटर पानी पेयजल प्रोसेस से व्यर्थ हो जाएगा. ऐसे में वास्तविक रूप से राजस्थान को 1775 मिलियन घन मीटर ही पानी मिल पाएगा, जबकि राजस्थान के हिस्से में पेयजल के लिए ईआरसीपी के दायरे में आने वाले 13 जिलों की डिमांड 2369 घन मीटर की होगी. ऐसे में नया समझौता बता रहा है कि मिलने वाला पानी पेयजल की जरूरत को भी पूरा नहीं कर पाएगा. ऐसे में सिंचाई का काम भी सिर्फ दिखावे तक ही रह जाएगा.
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यूनुस खान ने लगाया प्रश्न चिह्न : केंद्र सरकार पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह से सरकार ने राजस्थान के हितों से कुठाराघात किया है. डीडवाना से आने वाले निर्दलीय विधायक यूनुस खान ने भी इस मसले को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को घेरा और ध्यान भटकाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 13 जिलों की 83 विधानसभा क्षेत्र के लोग पानी की समस्या का समाधान चाहते हैं. समझौते का नाम लेकर उनका मसला और इस विषय से ध्यान भटकाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए. यूनुस खान दरअसल केंद्रीय मंत्री शेखावत की ओर से संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी लिंक प्रोजेक्ट में राजस्थान को 2500 एमसीएम ( मिलीयन क्यूबिक मीटर) यानी 5 गुना पानी मिलने के दावे को लेकर सवाल खड़े कर रहे थे. शेखावत ने कहा था कि अगले 30 साल इस प्रोजेक्ट के जरिए 7 लाख एकड़ जमीन सिंचित होगी, वहीं 30 से ज्यादा छोटे-बड़े तालाब भरे जाएंगे और भूजल स्तर भी सुधरेगा.