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अंतरिम बजट 2024 पर उद्यमियों, किसानों और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोगों ने दी प्रतिक्रिया

Interim Budget 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अंतरिम बजट पेश किया. बजट पेश होने के बाद गाजियाबाद के उद्यमियों, किसानों और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोगों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 1, 2024, 4:29 PM IST

अंतरिम बजट 2024
अंतरिम बजट 2024
अंतरिम बजट 2024

नई दिल्ली/गाजियाबाद: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अंतरिम बजट पेश किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अंतरिम आम बजट समावेशी होने के साथ ही देश के भविष्य के निर्माण का बजट है. यह बजट विकसित भारत के चार स्तंभों क्रमश: युवा, गरीब, महिला और किसान को सशक्त बनाएगा. बजट पेश होने के बाद प्रधानमंत्री ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा कि यह बजट 2047 के विकसित भारत की नींव को मजबूत करने की गारंटी है. वहीं बजट पेश होने के बाद उद्यमियों, किसानों और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोगों ने क्या प्रतिक्रिया दी, आइए जानते हैं...

गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा के मुताबिक, नए बजट से औद्योगिक क्षेत्र को काफी उम्मीद थी, लेकिन बजट उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है. उम्मीद थी कि इनकम टैक्स में छूट दी जाएगी. जीएसटी की दरों में भी रियायत होगी. औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए बजट पैकेज की सरकार से उम्मीद थी. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा आज लाया गया बजट पूर्ण रूप से चुनावी बजट प्रतीत हो रहा है.

कवि नगर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश अरोड़ा के मुताबिक, नए बजट में एमएसएमई सेक्टर की औद्योगिक इकाइयों को राहत मिलने की उम्मीद थी. साथ ही ईंधन की कीमतों में कटौती की जाएगी, लेकिन बजट में औद्योगिक इकाइयों के लिए कोई ठोस कम नहीं उठाया गया. मौजूदा समय में औद्योगिक इकाइयां खराब दौर से गुजर रही है. उद्योग क्षेत्र को इस बजट से काफी निराशा हुई है.

उद्यमी रवि जैन के मुताबिक, सरकार से उम्मीद थी कि उद्यमियों के लिए इस बजट में विशेष पैकेज दिया जाएगा, लेकिन बजट में उद्योगों का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा गया है. बजट में उद्योगों के लिए सिर्फ निराशा है. बजट में अगर उद्यमियों का ख्याल रखा जाता तो इससे न सिर्फ उद्यमियों को फायदा होता बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ते.

किसान नेता अनुज सिंह के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया बजट केवल चुनावी स्टंट है. आर्थिक मंदी से जूझ रहे देश को मजबूत बजट की जरूरत थी. लेकिन इस बजट में वित्त मंत्री ने जनता को कोई राहत नहीं दी. मोदी सरकार ने इस बजट में बढ़ती बेरोजगारी, गांवों में मजदूरी भुगतान संकट और परेशान किसानों की आत्महत्या करने जैसी समस्याओं का कोई ठोस समाधान नहीं किया है. इस बार के बजट से लोगों को उम्मीद थी कि बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई, आर्थिक संकट, किसानों की दुर्दशा और विकास दर बढ़ाने को लेकर सरकार प्रभावी कदम उठाएगी, लेकिन निराश हाथ लगी.

राष्ट्रवादी जनसत्ता दल के नेता डॉ बीपी त्यागी के मुताबिक, हेल्थ बजट जीडीपी का पांच प्रतिशत व टोटल बजट का आठ प्रतिशत होना चाहिए था. हेल्थ इंस्ट्रूमेंट जो बाहर से आते हैं उन पर कस्टम ड्यूटी कम हो. इमरजेंसी ड्रग्स पर जीएसटी हटाया जाए. यहां 143 करोड़ लोगों के लिए सिर्फ 1.25 लाख आईसीयू बेड हैं. डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या भी वैश्विक मानकों से बहुत कम है. फाइनेंस कमीशन के हिसाब से टोटल बजट का आठ प्रतिशत हेल्थ पर खर्च होना चाहिए लेकिन 3.5 प्रतिशत ही दिया जाता है. इसलिए जरूरी है कि स्वास्थ्य का बजट बढ़ाया जाए.

अंतरिम बजट 2024

नई दिल्ली/गाजियाबाद: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अंतरिम बजट पेश किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अंतरिम आम बजट समावेशी होने के साथ ही देश के भविष्य के निर्माण का बजट है. यह बजट विकसित भारत के चार स्तंभों क्रमश: युवा, गरीब, महिला और किसान को सशक्त बनाएगा. बजट पेश होने के बाद प्रधानमंत्री ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा कि यह बजट 2047 के विकसित भारत की नींव को मजबूत करने की गारंटी है. वहीं बजट पेश होने के बाद उद्यमियों, किसानों और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोगों ने क्या प्रतिक्रिया दी, आइए जानते हैं...

गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा के मुताबिक, नए बजट से औद्योगिक क्षेत्र को काफी उम्मीद थी, लेकिन बजट उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है. उम्मीद थी कि इनकम टैक्स में छूट दी जाएगी. जीएसटी की दरों में भी रियायत होगी. औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए बजट पैकेज की सरकार से उम्मीद थी. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा आज लाया गया बजट पूर्ण रूप से चुनावी बजट प्रतीत हो रहा है.

कवि नगर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कैलाश अरोड़ा के मुताबिक, नए बजट में एमएसएमई सेक्टर की औद्योगिक इकाइयों को राहत मिलने की उम्मीद थी. साथ ही ईंधन की कीमतों में कटौती की जाएगी, लेकिन बजट में औद्योगिक इकाइयों के लिए कोई ठोस कम नहीं उठाया गया. मौजूदा समय में औद्योगिक इकाइयां खराब दौर से गुजर रही है. उद्योग क्षेत्र को इस बजट से काफी निराशा हुई है.

उद्यमी रवि जैन के मुताबिक, सरकार से उम्मीद थी कि उद्यमियों के लिए इस बजट में विशेष पैकेज दिया जाएगा, लेकिन बजट में उद्योगों का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा गया है. बजट में उद्योगों के लिए सिर्फ निराशा है. बजट में अगर उद्यमियों का ख्याल रखा जाता तो इससे न सिर्फ उद्यमियों को फायदा होता बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ते.

किसान नेता अनुज सिंह के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया बजट केवल चुनावी स्टंट है. आर्थिक मंदी से जूझ रहे देश को मजबूत बजट की जरूरत थी. लेकिन इस बजट में वित्त मंत्री ने जनता को कोई राहत नहीं दी. मोदी सरकार ने इस बजट में बढ़ती बेरोजगारी, गांवों में मजदूरी भुगतान संकट और परेशान किसानों की आत्महत्या करने जैसी समस्याओं का कोई ठोस समाधान नहीं किया है. इस बार के बजट से लोगों को उम्मीद थी कि बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई, आर्थिक संकट, किसानों की दुर्दशा और विकास दर बढ़ाने को लेकर सरकार प्रभावी कदम उठाएगी, लेकिन निराश हाथ लगी.

राष्ट्रवादी जनसत्ता दल के नेता डॉ बीपी त्यागी के मुताबिक, हेल्थ बजट जीडीपी का पांच प्रतिशत व टोटल बजट का आठ प्रतिशत होना चाहिए था. हेल्थ इंस्ट्रूमेंट जो बाहर से आते हैं उन पर कस्टम ड्यूटी कम हो. इमरजेंसी ड्रग्स पर जीएसटी हटाया जाए. यहां 143 करोड़ लोगों के लिए सिर्फ 1.25 लाख आईसीयू बेड हैं. डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या भी वैश्विक मानकों से बहुत कम है. फाइनेंस कमीशन के हिसाब से टोटल बजट का आठ प्रतिशत हेल्थ पर खर्च होना चाहिए लेकिन 3.5 प्रतिशत ही दिया जाता है. इसलिए जरूरी है कि स्वास्थ्य का बजट बढ़ाया जाए.

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