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ट्रेन में ब्रेक लगाने पर भी रेलवे कर रहा लाखों की कमाई, बचा ली 22 लाख रुपए की बिजली - Vande Bharat train

बंदे भारत ने ब्रेक लगाकर करीब 22 लाख 55600 की बिजली की बचत रेलवे (Vande Bharat train) ने की है. ट्रेन के इंजन में लगे हेड ऑन जेनरेशन सिस्टम के साथ रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से करीब 3 लाख 47017 किलोवाट बिजली वंदे भारत में तैयार हुई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 15, 2024, 4:21 PM IST

Updated : Apr 15, 2024, 4:37 PM IST

जानकारी देते मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूर्वोत्तर रेलवे पंकज सिंह

गोरखपुर : वंदे भारत समेत कुछ नई ट्रेनों में लगकर आ रहे विशेष किस्म (डब्ल्यूएपी-7 क्षमता) के इंजन में, जब ब्रेक लगाया जा रहा है तो इस दौरान ब्रेक लगाने में जो एनर्जी खर्च हो रही है, उससे इंजन में लगे तकनीक के सहारे स्टोर कर लिया जा रहा है. स्टोर की गई यह काइनेटिक एनर्जी रेलवे के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है. केवल वंदे भारत ट्रेन की बात करें तो पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर से जो ट्रेन अभी तक लखनऊ होते हुए प्रयागराज तक चलाई जा रही है, उससे करीब 22 लाख 55600 रुपये की बिजली की बचत रेलवे ने बीते वित्तीय वर्ष में की है. यह उसके कुल ऊर्जा खर्च का करीब 16 फीसदी है. पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा है कि ट्रेन के इंजन में लगे हेड ऑन जेनरेशन सिस्टम के साथ रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से करीब 3 लाख 47017 किलोवाट बिजली वंदे भारत में तैयार हुई है.

उन्होंने बताया है कि रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के माध्यम से ट्रेन में ब्रेक लगाने पर खुद ब खुद बिजली तैयार होती है. ट्रेन में ब्रेक लगने के दौरान जितनी बिजली खर्च होती है, जैसे ही इंजन गति पकड़ता है उससे दोगुना बिजली फिर तैयार होने लगती है. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में सभी ट्रेनों में रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम कार्य करेगा. रेलवे बोर्ड ने नए मॉडल वाले थ्री फेज के डब्ल्यूएपी-7 क्षमता वाले सभी इलेक्ट्रिक इंजन में रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगाने का दिशा निर्देश जारी कर दिया है. उन्होंने बताया कि नए इंजन में एचओजी और रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगने से पावरकार को भी बिजली मिलती रहेगी. इससे डीजल खर्च नहीं होगा और पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा. न शोर होगा और न ही धुआं उठेगा. उन्होंने कहा कि रेलवे में वर्ष 2030 तक जो नो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य लेकर कार्य किया जा रहा है, उसी क्रम में हेड ऑन जेनरेशन और रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के माध्यम से उर्जा की बचत की जा रही है.

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने बताया कि इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2022-23 में लखनऊ, वाराणसी और इज्जत नगर मंडल के रूटों पर चलने वाली ट्रेनों में ब्रेक लगने से 45750 मेगावाट बिजली तैयार हो चुकी है. यही नहीं, वाॅशिंग पिट में धुलाई- सफाई के लिए जाते समय भी बिजली तैयार होगी. पूर्वोत्तर रेलवे के 21 स्टेशनों के वाॅशिंग पिट लाइनों पर ओवरहेड इक्विपमेंट लगाए जाएंगे. जिसे ओएचई कहते हैं। इसके लगते ही एचओजी और रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम कार्य करने लगेगा। इसके लिए 750 वोल्ट बिजली की आपूर्ति प्रदान की जाएगी. उन्होंने बताया कि रेलवे में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के क्रम में एनर्जी एफिशिएंट रेल इंजनों से ट्रेनों को चलाए जाने का जो क्रम प्रारंभ हुआ है वह भविष्य में और ऊर्जा की बचत कराएगा.

यह भी पढ़ें : लखनऊ-देहरादून वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन शुरू, यह है रूट और समय - Vande Bharat Express Starts

यह भी पढ़ें : अयोध्या के लिए देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस का संचालन ठंडे बस्ते में, यात्री वंदे भारत एक्सप्रेस से कर सकेंगे सफर

जानकारी देते मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूर्वोत्तर रेलवे पंकज सिंह

गोरखपुर : वंदे भारत समेत कुछ नई ट्रेनों में लगकर आ रहे विशेष किस्म (डब्ल्यूएपी-7 क्षमता) के इंजन में, जब ब्रेक लगाया जा रहा है तो इस दौरान ब्रेक लगाने में जो एनर्जी खर्च हो रही है, उससे इंजन में लगे तकनीक के सहारे स्टोर कर लिया जा रहा है. स्टोर की गई यह काइनेटिक एनर्जी रेलवे के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है. केवल वंदे भारत ट्रेन की बात करें तो पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर से जो ट्रेन अभी तक लखनऊ होते हुए प्रयागराज तक चलाई जा रही है, उससे करीब 22 लाख 55600 रुपये की बिजली की बचत रेलवे ने बीते वित्तीय वर्ष में की है. यह उसके कुल ऊर्जा खर्च का करीब 16 फीसदी है. पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा है कि ट्रेन के इंजन में लगे हेड ऑन जेनरेशन सिस्टम के साथ रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से करीब 3 लाख 47017 किलोवाट बिजली वंदे भारत में तैयार हुई है.

उन्होंने बताया है कि रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के माध्यम से ट्रेन में ब्रेक लगाने पर खुद ब खुद बिजली तैयार होती है. ट्रेन में ब्रेक लगने के दौरान जितनी बिजली खर्च होती है, जैसे ही इंजन गति पकड़ता है उससे दोगुना बिजली फिर तैयार होने लगती है. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में सभी ट्रेनों में रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम कार्य करेगा. रेलवे बोर्ड ने नए मॉडल वाले थ्री फेज के डब्ल्यूएपी-7 क्षमता वाले सभी इलेक्ट्रिक इंजन में रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगाने का दिशा निर्देश जारी कर दिया है. उन्होंने बताया कि नए इंजन में एचओजी और रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगने से पावरकार को भी बिजली मिलती रहेगी. इससे डीजल खर्च नहीं होगा और पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा. न शोर होगा और न ही धुआं उठेगा. उन्होंने कहा कि रेलवे में वर्ष 2030 तक जो नो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य लेकर कार्य किया जा रहा है, उसी क्रम में हेड ऑन जेनरेशन और रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के माध्यम से उर्जा की बचत की जा रही है.

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने बताया कि इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2022-23 में लखनऊ, वाराणसी और इज्जत नगर मंडल के रूटों पर चलने वाली ट्रेनों में ब्रेक लगने से 45750 मेगावाट बिजली तैयार हो चुकी है. यही नहीं, वाॅशिंग पिट में धुलाई- सफाई के लिए जाते समय भी बिजली तैयार होगी. पूर्वोत्तर रेलवे के 21 स्टेशनों के वाॅशिंग पिट लाइनों पर ओवरहेड इक्विपमेंट लगाए जाएंगे. जिसे ओएचई कहते हैं। इसके लगते ही एचओजी और रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम कार्य करने लगेगा। इसके लिए 750 वोल्ट बिजली की आपूर्ति प्रदान की जाएगी. उन्होंने बताया कि रेलवे में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के क्रम में एनर्जी एफिशिएंट रेल इंजनों से ट्रेनों को चलाए जाने का जो क्रम प्रारंभ हुआ है वह भविष्य में और ऊर्जा की बचत कराएगा.

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Last Updated : Apr 15, 2024, 4:37 PM IST
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