उत्तरकाशी: पिछले साल यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग में भूस्खलन हुआ था. जिसमें 41 श्रमिक सुरंग के अंदर फंस गए थे. हादसे के बाद से सुरंग के सिलक्यारा वाले छोर से निर्माण कार्य बंद है. 23 जनवरी को केंद्र ने कार्यदायी संस्था को निर्माण कार्य शुरू करने की अनुमति दी. जिसके बाद फरवरी में यहां पहली बार डिवाटरिंग के लिए काम शुरू किया गया.
उस दौरान एसडीआरएफ और इंजीनियरों की टीम भी ऑगर मशीन से डाले गए पाइपों से अंदर गई थी. लेकिन फिर बीच में ये काम बंद कर दिया गया. गत माह में एनएचआईडीसीएल के नए प्रबंध निदेशक कृष्ण कुमार ने भी सिलक्यारा का दौरा कर सुरंग का जायजा लिया था. अब डिजाइनर और अथॉरिटी इंजीनियर की देखरेख में सुरंग के सिलक्यारा छोर से दोबारा डिवाटरिंग की कवायद शुरू हो गई है.
यहां निर्माण कंपनी के कर्मचारी और श्रमिकों का 16 सदस्यीय दल ऑगर मशीन से डाले गए पाइपों से अंदर गया है. बताया जा रहा है कि यह दल सुरंग के अंदर अतिरिक्त सुरक्षा पुख्ता करने के लिए काम करेगा. अंदर गए दल के लोगों के लिए पाइपों से ही खाना भेजा जा रहा है. इसके अलावा मलबे में ड्रिफ्ट तैयार करने के लिए भी सुरक्षात्मक कार्य किए जा रहे हैं. दो से तीन दिन में डिवाटरिंग शुरू होने की उम्मीद है.
एनएचआईडीसीएल के अधिशासी निदेशक कर्नल संदीप सुदेहरा ने बताया कि डिवाटरिंग के लिए काम जारी है. साइड से ड्रिफ्ट भी बनाया जा रहा है. डिजाइनर व अथॉरिटी इंजीनियर भी यहां हैं. अतिरिक्त सुरक्षा के लिए बोल्टिंग, स्पेशल ग्राउंटिंग और कंसोलिडेशन ग्राउंटिंग भी की गई है.
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