प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने असि व वरुणा नदी को अतिक्रमण मुक्त करने व जीर्णोद्धार के लिए दायर याचिका पर राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए एक और मौका दिया है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने जयराम कुमार शरण की याचिका पर दिया.
राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि पूरे मामले में विभिन्न विभागों से वर्तमान स्थिति की जानकारी मांगी गई है. इसमें समय लग रहा है. ऐसे में जवाब दाखिल करने के लिए न्यायालय से और समय देने की प्रार्थना की. कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 20 जनवरी नियत कर दी.
अधिवक्ता सौरभ तिवारी एवं अमिताभ त्रिवेदी ने बताया कि वाराणसी विकास प्राधिकरण ने जबाब दाखिल कर दिया है. प्राधिकरण के अनुसार वरुणा नदी के दोनों तरफ 50 मीटर से 150 मीटर ग्रीन बेल्ट एवं असि नदी के दोनों तरफ 25-25 मीटर के ग्रीन बेल्ट के लिए राज्य सरकार ने जुलाई 2014 में प्रस्ताव की मंजूरी दे दी है.
इससे पूर्व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी 18 नवंबर को असि और वरुणा नदी की दुर्दशा पर सुनवाई की थी. यह सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी. दो याचिकाओं की सुनवाई में दो सदस्यीय पीठ ने वाराणसी के डीएम से पूछा था कि क्या वह गंगा का पानी पी सकते हैं?.
कहा था कि एनजीटी के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराइए. बोर्ड लगवा दीजिए कि नदी का पानी पीने लायक नहीं है. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी व विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल ने तल्ख टिप्पणी की थी.
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