भोपाल। पुरानी पेंशन योजना को खत्म करने के बाद केन्द्र की बीजेपी सरकार ही नहीं, बल्कि राज्यों की सरकारों को भी कर्मचारी संगठनों की नाराजगी झेलनी पड़ी है. कर्मचारी संगठन लगातार केन्द्र और राज्य सरकार पर पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं. पुरानी पेंशन स्कीम पर कर्मचारी संगठन क्यों लौटना चाहते हैं? ओपीएस और यूपीएस में क्या है अंतर? ओल्ड पेंशन स्कीम में पेंशन गारंटेड क्यों होती है. बता दें कि ओपीएस में आखिरी वेतन मूल और महंगाई भत्ता का 50 फीसदी भी शामिल होता है. जैसे यदि कर्मचारी का एक साल का वेतन 15 लाख रुपए है तो उसकी पेंशन 62 हजार 500 रुपए होगी. पेंशन स्कीम में फैमिली पेंशन का प्रावधान होता है. यह महंगाई से जुड़ा होता है. ओपीएस का बजट में प्रावधान होता है. इसमें साल में दो बाद महंगाई भत्ते की बढ़ोत्तरी का भी लाभ मिलता है. सबसे खास बात कि ओपीएस में कर्मचारी का अंशदान नहीं होता था.
कर्मचारियों को एनपीएस क्यों नहीं आई पसंद
राज्य सरकार द्वारा 2003 में ओल्ड पेंशन स्कीम बंद करके एनपीएस लेकर आई. यह पेंशन स्कीम सीधे तौर से बाजार के रिटर्न से जुड़ी हुई थी. इसमें गारंटीड पेंशन का प्रावधान नहीं था, यानी रिटायरमेंट के बाद कितनी पेंशन मिलेगी, यह तय नहीं था. अंशदान स्कीम का प्रावधान था, लेकिन यह महंगाई से नहीं जुड़ी थी. यानी महंगाई भत्ते का लाभ इसमें नहीं मिलता था. इसमें कर्मचारी को पेंशन निवेश की योजना और रिटर्न के आधार पर तय होती थी. कर्मचारी जिस निवेश योजना का चुनता है, उसके रिटर्न के आधार पर पेंशन तय होती थी. इसलिय यह पता नहीं होता था कि कर्मचारी को कितनी राशि पेंशन के रूप में मिलेगी. इसमें कर्मचारी को पेंशन फंड में अपनी तरफ से राशि मिलानी होती थी, जबकि दूसरा हिस्सा नियोक्ता का होता था.
यूपीएस का इसलिए हो रहा विरोध
केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई नई पेंशन स्कीम में पुरानी पेंशन स्कीम की तरह पेंशन गारेंटेड है. यानी यह तय है कि कर्मचारी को निर्धारित पेंशन दी जाएगी. कर्मचारियों को एनपीएस की तरह यूपीएस में भी अपना कंट्रब्यूशन देना होगा. एनपीएस के मुताबिक यूपीएस में सरकार का अंश 18.5 फीसदी होगा. दूसरा अंश कर्मचारी को मिलाना होगा. कर्मचारी का अंश मूल वेतन का 10 प्रतिशत होगा. नई पेंशन यूपीएस में कर्मचारियों को पेंशन में महंगाई राहत में होने वाली समय-समय पर बढोत्तरी का लाभ मिलेगा. यूपीएस में यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन 60 हजार रुपए है तो रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में 30 हजार रुपए और डीए का लाभ मिलेगा. कर्मचारी के निधन के बाद परिवार को करीबन 18 हजार रुपए मिलेंगे.
कर्मचारी संगठनों की अपनी दलील
सरकार की नई पेंशन स्कीम को लेकर मध्यप्रदेश कर्मचारी संगठन सरकार की खामोशी को लेकर बेचैन हैं. कर्मचारी संघ के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे कहते हैं "प्रदेश सरकार यूपीएस को लेकर खामोश है. सरकार को पत्र लिखकर 7 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है कि वह अपना पक्ष स्पष्ट करे, नहीं तो कर्मचारी आंदोलन को मजबूर होंगे. सरकार भले ही यूपीएस लागू करे, लेकिन कर्मचारी इसमें अपनी जेब से पैसा नहीं देगा. बेहतर होगा कि सरकार पुरानी पेंशन ही लागू करे." तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी कहते हैं "यूपीएस लागू होने से एनपीएस के नुकसान कम हुए हैं, लेकिन खत्म नहीं हुए. अब विभागों में तीन पेंशन लागू रहेंगी. ओल्ड पेंशन, एनपीएस और अब यूपीएस इससे असमंजस की स्थिति रहेगी. सरकार को पुरानी पेंशन ही लागू करनी चाहिए."