चंडीगढ़: 2008 से इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के तहत 4000 परिवारों द्वारा अपना घर मिलने का सपना सजाया जा रहा था, जो प्रशासन के एक आदेश से टूट गयी है. हाल ही में चंडीगढ़ प्रशासन ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर के कहा है कि वे इस स्कीम के अधीन चल रहे काम को पूरा नहीं कर सकते. प्रशासन ने शपथ पत्र में जानकारी दी है कि आवेदकों को अग्रिम राशि वापस कर दी जाएगी.
कर्मचारियों का सपना टूटा: 15 साल से 4000 से अधिक चंडीगढ़ के कर्मचारी सरकारी फ्लैट मिलने का सपना संजोए हुए थे. सरकारी फ्लैट 2008 की इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के तहत दिए जाने थे. फ्लैट के लिए साल दो हजार दस में ड्रॉ निकाला गया था. इस ड्रॉ के अधीन 3930 परिवारों को घर देने की घोषणा की गई. इन लोगों ने सरकारी फ्लैट मिलने की आस में कहीं भी अपना मकान नहीं बनाया, क्योंकि प्रशासन ने इस स्कीम के तहत यह शर्त रखी थी कि उन्हीं कर्मचारी को फ्लैट मिलेगा जिनका शहर में कहीं और फ्लैट या मकान नहीं हो. इतने लंबे समय के कारण 800 से ज्यादा कर्मचारी तो रिटायर्ड हो चुके हैं जो किराए के मकान में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. इसके अलावा करीब 82 कर्मचारियों का निधन हो चुका है.
क्यों रद्द हुआ प्रोजेक्ट: इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के तहत साल 2008 में स्कीम को लॉन्च करने के बाद साल 2010 में ड्रा निकला गया था. ड्रॉ के आधार पर 3930 परिवारों को घर देने की घोषणा की गई. लेकिन इसी बीच 5 अक्टूबर 2012 को केंद्र सरकार ने एक पत्र जारी किया गया कि किसी भी योजना के लिए बाजार मूल्य से कम रेट पर जमीन न दी जाए. पत्र जारी होने के बाद से ही प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट से पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया.
आप ने साधा निशाना: इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम के रद्द होने पर आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता प्रेम गर्ग ने बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि इंप्लाइज हाउसिंग स्कीम रद करके भाजपा शासित प्रशासन ने साबित कर दिया है कि इंप्लाइज के हक की बात करने वाली सरकार के दांत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ और हैं.