ETV Bharat / state

सम्राट पृथ्वीराज चौहान की बावड़ी के हैं कई किस्से; कभी राजा के सैनिक करते थे विश्राम, बाद में डाकू और चोरों का बना सुरक्षित ठिकाना - PRITHVIRAJ STEPWELL IN SAMBHAL

रहस्य से भरी है संभल में सम्राट पृथ्वीराज चौहान की बावड़ी, चोर कुएं के नाम से भी जानी जाती है ये बावड़ी

ETV Bharat
बावड़ी के उद्धारक की तलाश (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 12 hours ago

संभल: यूपी के संभल में 46 साल बाद कार्तिकेय महादेव मंदिर के कपाट खुलने के बाद अब जिले में दफन इतिहास को फिर से जिंदा करने की कोशिशें शुरू की गई हैं. विलुप्त हो चुके कुएं, बावड़ी के साथ तीर्थ स्थलों की तलाश की जा रही है. चंदौसी में स्वर्गीय रानी सुरेंद्र बाला की बावड़ी मिलने के बाद अब जिले में सम्राट पृथ्वीराज चौहान की ओर से बनवाई गई एक और बावड़ी मिली है. ग्राउंड जीरो पर जाकर ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की. खंडहर में तब्दील इस बावड़ी को लेकर दावा किया गया है कि इसे सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने अपनी सेना के विश्राम करने के लिए बनवाया था. ककया ईंट से ये बावड़ी आज उचित रखरखाव नहीं होने की वजह से विलुप्त होने की कगार पर है. 5 से 7 मंजिला बताए जाने वाले सम्राट पृथ्वीराज की ये बावड़ी वर्तमान में सिर्फ दो मंजिला ही बची है.

बता दें कि संभल शहर से सटे गांव कमलपुर सराय के जंगल में पृथ्वीराज चौहान की बनाई एक बावड़ी मिली है. इसे लेकर दावा किया जा है कि पृथ्वीराज चौहान ने अपने समय में पांच मंजिला बावड़ी का निर्माण कराया था. यहां पर उनकी सेना ठहरती थी. इस बावड़ी में छोटे-छोटे कमरे बने हुए हैं. गोल आकार में बनी इस बावड़ी के बीच में पानी की व्यवस्था कराई गई थी.

पृथ्वीराज चौहान की बावड़ी की पड़ताल (Video Credit; ETV Bharat)

पृथ्वीराज चौहान की राजधानी रही संभल में आज बावड़ी की हालत बेहद ही खराब है. पृथ्वीराज चौहान की इस बावड़ी को चोर कुंआ भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस बावड़ी में सुल्ताना डाकू भी अपने साथियों के साथ आया करता था. साथ ही ये भी कहा जाता है कि पूर्व के समय चोर चोरी या फिर लूट की घटना को अंजाम देने के बाद यहीं पर आकर ठहरते थे. चोरी की रकम को यहीं पर आपस में बांट लिया करते थे. इसी कारण इसे चोर कुआं भी कहा जाता है.

पृथ्वीराज चौहान की बावड़ी (Video Credit; ETV Bharat)

कमलपुर सराय के रहने वाले 70 वर्षीय बुजुर्ग रामप्रसाद ने बताया कि वह बचपन में इस बावड़ी के पास खेलने आया करते थे. 40 साल पहले तक इस बावड़ी में पानी हुआ करता था. लेकिन अब यह पूरी तरह से सूख चुका है. यह पांच मंजिला हुआ करता था लेकिन अब यह दो मंजिला ही रह गया है. बारिश के चलते आसपास की मिट्टी गिरने की वजह से बावड़ी पटता चला गया. उन्होंने शासन प्रशासन से बावड़ी कुएं का जीर्णोद्धार कराने की मांग की है.

वहीं एक अन्य ग्रामीण नीरज ने बताया कि इस बावड़ी को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं लेकिन आज यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. शासन प्रशासन अगर इस पर ध्यान दें तो इसका पुराना वैभव फिर से लौट सकता है.

यह भी पढ़ें : संभल में 46 साल बाद मिले मंदिर में गूंजा हर-हर महादेव, दर्शन करने के लिए दूरदराज से पहुंचे श्रद्धालु

संभल: यूपी के संभल में 46 साल बाद कार्तिकेय महादेव मंदिर के कपाट खुलने के बाद अब जिले में दफन इतिहास को फिर से जिंदा करने की कोशिशें शुरू की गई हैं. विलुप्त हो चुके कुएं, बावड़ी के साथ तीर्थ स्थलों की तलाश की जा रही है. चंदौसी में स्वर्गीय रानी सुरेंद्र बाला की बावड़ी मिलने के बाद अब जिले में सम्राट पृथ्वीराज चौहान की ओर से बनवाई गई एक और बावड़ी मिली है. ग्राउंड जीरो पर जाकर ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की. खंडहर में तब्दील इस बावड़ी को लेकर दावा किया गया है कि इसे सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने अपनी सेना के विश्राम करने के लिए बनवाया था. ककया ईंट से ये बावड़ी आज उचित रखरखाव नहीं होने की वजह से विलुप्त होने की कगार पर है. 5 से 7 मंजिला बताए जाने वाले सम्राट पृथ्वीराज की ये बावड़ी वर्तमान में सिर्फ दो मंजिला ही बची है.

बता दें कि संभल शहर से सटे गांव कमलपुर सराय के जंगल में पृथ्वीराज चौहान की बनाई एक बावड़ी मिली है. इसे लेकर दावा किया जा है कि पृथ्वीराज चौहान ने अपने समय में पांच मंजिला बावड़ी का निर्माण कराया था. यहां पर उनकी सेना ठहरती थी. इस बावड़ी में छोटे-छोटे कमरे बने हुए हैं. गोल आकार में बनी इस बावड़ी के बीच में पानी की व्यवस्था कराई गई थी.

पृथ्वीराज चौहान की बावड़ी की पड़ताल (Video Credit; ETV Bharat)

पृथ्वीराज चौहान की राजधानी रही संभल में आज बावड़ी की हालत बेहद ही खराब है. पृथ्वीराज चौहान की इस बावड़ी को चोर कुंआ भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस बावड़ी में सुल्ताना डाकू भी अपने साथियों के साथ आया करता था. साथ ही ये भी कहा जाता है कि पूर्व के समय चोर चोरी या फिर लूट की घटना को अंजाम देने के बाद यहीं पर आकर ठहरते थे. चोरी की रकम को यहीं पर आपस में बांट लिया करते थे. इसी कारण इसे चोर कुआं भी कहा जाता है.

पृथ्वीराज चौहान की बावड़ी (Video Credit; ETV Bharat)

कमलपुर सराय के रहने वाले 70 वर्षीय बुजुर्ग रामप्रसाद ने बताया कि वह बचपन में इस बावड़ी के पास खेलने आया करते थे. 40 साल पहले तक इस बावड़ी में पानी हुआ करता था. लेकिन अब यह पूरी तरह से सूख चुका है. यह पांच मंजिला हुआ करता था लेकिन अब यह दो मंजिला ही रह गया है. बारिश के चलते आसपास की मिट्टी गिरने की वजह से बावड़ी पटता चला गया. उन्होंने शासन प्रशासन से बावड़ी कुएं का जीर्णोद्धार कराने की मांग की है.

वहीं एक अन्य ग्रामीण नीरज ने बताया कि इस बावड़ी को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं लेकिन आज यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. शासन प्रशासन अगर इस पर ध्यान दें तो इसका पुराना वैभव फिर से लौट सकता है.

यह भी पढ़ें : संभल में 46 साल बाद मिले मंदिर में गूंजा हर-हर महादेव, दर्शन करने के लिए दूरदराज से पहुंचे श्रद्धालु

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.