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भीषण गर्मी में भोजन-पानी की तलाश में आबादी वाले इलाके में प्रवेश कर रहे हाथी, वन विभाग की योजनाओं का नहीं हो रहा लाभ! - Elephants In Khunti

Elephants not benefited from schemes.वन विभाग हाथियों को जंगल में रोकने के लिए विभिन्न योजनाओं पर हर साल लाखों रुपये खर्च करता है. लेकिन हाथियों का झुंड फिर भी भोजन-पानी की तलाश में जंगलों से निकलकर आबादी वाले इलाके में प्रवेश कर तांडव मचा रहे हैं.

Elephants In Khunti
खूंटी में हाथियों का झुंड. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 19, 2024, 4:00 PM IST

Updated : Jun 19, 2024, 5:28 PM IST

खूंटीः भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप के कारण जंगली जानवरों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जंगलों में निवास करने वाले हाथी अपना कॉरिडोर तोड़ कर आबादी वाले इलाके में प्रवेश कर रहे हैं. इस कारण इंसानों का जीना दूभर हो गया है. खुद को जिंदा रखने के जद्दोजहद में हाथियों का झुंड ग्रामीण इलाकों में प्रवेश कर रहा है. इस दौरान हाथियों का झुंड घरों को तोड़कर अनाज खा कर अपनी भूख मिटा रहे हैं और गांव के कुएं से पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं. क्योंकि जंगलों में उन्हें न तो खाना मिल रहा है और न ही पानी. इधर, वन विभाग हाथियों के खाने-पीने के लिए करोड़ों खर्च करने का दावा कर रहा है. इसके बावजूद हाथी भूखे और प्यासे हैं.

जानकारी देते खूंटी डीएफओ कुलदीप मीणा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

प्रमंडलीय क्षेत्र में 50 से अधिक हाथी हैं मौजूद

खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र के रनिया में आठ से अधिक हाथी हैं. जिसमें कर्रा में चार, तोरपा इलाके में चार से पांच हाथी और तमाड़ रेंज में 12 से अधिक हाथी निवास करते हैं. प्रमंडलीय क्षेत्र में लगभग 50 से अधिक हाथी वर्तमान में जंगलों में रहते हैं.

हाथियों के भरण-पोषण के लिए पिछले वर्ष वन विभाग ने 68 लाख रुपये किए थे खर्च

हाथियों के भरण-पोषण के लिए वन विभाग ने पिछले वर्ष कुल 68 लाख खर्च किए थे. जिसमें 56 लाख की लागत से 7 चेक डैम, आठ लाख की लागत से एक तालाब और 12 लाख की लागत से 15 चुआं का निर्माण कराया गया था. जबकि हाथियों के खाने के लिए सैकड़ों एकड़ भूमि पर फलदार पेड़-पौधे सहित विभिन्न प्रकार के पेड़ लगाए गए. इसके बावजूद भी आज भी हाथी भूखे-प्यासे भटकने को विवश हैं.

इस साल भी लाखों रुपये खर्च करने की है योजना

वहीं चालू वित्तीय वर्ष में भी खूंटी वन प्रमंडल की ओर से 40 लाख रुपये की लागत से चार तालाब और 20 लाख के दो तालाब बनाने जा रहा है. 12 लाख की लागत से 15 चुआं और जंगलों में पौधरोपण कराने की योजना है. इसके तहत जंगलों में बांस, फलदार पेड़-पौधे लगाए जाएंगे, ताकि जंगलों में निवास करने वाले हाथियों का झुंड जंगल में ही रहे और वनोपज खाकर अपनी भूख और प्यास बुझा सके. लेकिन आज बेजुबान हाथी ग्रामीणों के निवाले से अपनी भूख मिटाने को मजबूर है.

भूख मिटाने के लिए आबादी वाले क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं हाथी

खूंटी जिले के वन प्रमंडल क्षेत्र के कई ग्रामीण सुदूरवर्ती जंगल और पहाड़ी वाले इलाके में हाथियों का समूह निवास करता है. वहीं समय-समय पर हाथियों का झुंड जंगल से भटक कर गांव की ओर आ जाता है. भीषण गर्मी में जानवरों को भी परेशानी हो रही है. भोजन और पानी की तलाश में हाथी इधर-उधर विचरण करते हैं. इससे एलीफैंट कॉरिडोर वाले इलाके के ग्रामीणों की परेशानी बढ़ जाती है.

भीषण गर्मी सूख गए हैं जलस्रोत

भीषण गर्मी में इंसानों को भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है. क्षेत्री की नदियां, नाले, पोखर आहर और चुआं और डांड़ी भी सूख चुके हैं. आमजन पानी की किल्लत दूर करने के लिए दूर से पानी का जुगाड़ कर अपनी दिनचर्या की जरूरतों को पूर्ण कर लेते हैं. लेकिन जंगली जानवारों को जंगल से निकलना पड़ रहा है.

पानी की तलाश में एलीफैंट कॉरिडोर से बाहर भी भ्रमणशील हैं हाथी

खूंटी वन प्रमंडल हाथियों की प्यास बुझाने के लिए जगह-जगह तालाब और चेक डैम का निर्माण करवा रहा है. करोड़ों की लागत से हाथियों के लिए तालाब और चेक डैम बनने की प्रक्रिया चल रही है. भीषण गर्मी में चारों तरफ पानी का संकट मानव के साथ-साथ जंगली जानवरों के लिए जीवन-मरण का सवाल बन गया है. वन प्रमंडल के माध्यम से हाथियों की रक्षा की व्यवस्था की जा रही है. अब सवाल यह है कि पूर्व में करोड़ों की लागत से हाथियों के लिए बनी योजना से हाथियों को लाभ क्यों नहीं मिल रहा है.

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खूंटीः भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप के कारण जंगली जानवरों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जंगलों में निवास करने वाले हाथी अपना कॉरिडोर तोड़ कर आबादी वाले इलाके में प्रवेश कर रहे हैं. इस कारण इंसानों का जीना दूभर हो गया है. खुद को जिंदा रखने के जद्दोजहद में हाथियों का झुंड ग्रामीण इलाकों में प्रवेश कर रहा है. इस दौरान हाथियों का झुंड घरों को तोड़कर अनाज खा कर अपनी भूख मिटा रहे हैं और गांव के कुएं से पानी पीकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं. क्योंकि जंगलों में उन्हें न तो खाना मिल रहा है और न ही पानी. इधर, वन विभाग हाथियों के खाने-पीने के लिए करोड़ों खर्च करने का दावा कर रहा है. इसके बावजूद हाथी भूखे और प्यासे हैं.

जानकारी देते खूंटी डीएफओ कुलदीप मीणा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

प्रमंडलीय क्षेत्र में 50 से अधिक हाथी हैं मौजूद

खूंटी वन प्रमंडल क्षेत्र के रनिया में आठ से अधिक हाथी हैं. जिसमें कर्रा में चार, तोरपा इलाके में चार से पांच हाथी और तमाड़ रेंज में 12 से अधिक हाथी निवास करते हैं. प्रमंडलीय क्षेत्र में लगभग 50 से अधिक हाथी वर्तमान में जंगलों में रहते हैं.

हाथियों के भरण-पोषण के लिए पिछले वर्ष वन विभाग ने 68 लाख रुपये किए थे खर्च

हाथियों के भरण-पोषण के लिए वन विभाग ने पिछले वर्ष कुल 68 लाख खर्च किए थे. जिसमें 56 लाख की लागत से 7 चेक डैम, आठ लाख की लागत से एक तालाब और 12 लाख की लागत से 15 चुआं का निर्माण कराया गया था. जबकि हाथियों के खाने के लिए सैकड़ों एकड़ भूमि पर फलदार पेड़-पौधे सहित विभिन्न प्रकार के पेड़ लगाए गए. इसके बावजूद भी आज भी हाथी भूखे-प्यासे भटकने को विवश हैं.

इस साल भी लाखों रुपये खर्च करने की है योजना

वहीं चालू वित्तीय वर्ष में भी खूंटी वन प्रमंडल की ओर से 40 लाख रुपये की लागत से चार तालाब और 20 लाख के दो तालाब बनाने जा रहा है. 12 लाख की लागत से 15 चुआं और जंगलों में पौधरोपण कराने की योजना है. इसके तहत जंगलों में बांस, फलदार पेड़-पौधे लगाए जाएंगे, ताकि जंगलों में निवास करने वाले हाथियों का झुंड जंगल में ही रहे और वनोपज खाकर अपनी भूख और प्यास बुझा सके. लेकिन आज बेजुबान हाथी ग्रामीणों के निवाले से अपनी भूख मिटाने को मजबूर है.

भूख मिटाने के लिए आबादी वाले क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं हाथी

खूंटी जिले के वन प्रमंडल क्षेत्र के कई ग्रामीण सुदूरवर्ती जंगल और पहाड़ी वाले इलाके में हाथियों का समूह निवास करता है. वहीं समय-समय पर हाथियों का झुंड जंगल से भटक कर गांव की ओर आ जाता है. भीषण गर्मी में जानवरों को भी परेशानी हो रही है. भोजन और पानी की तलाश में हाथी इधर-उधर विचरण करते हैं. इससे एलीफैंट कॉरिडोर वाले इलाके के ग्रामीणों की परेशानी बढ़ जाती है.

भीषण गर्मी सूख गए हैं जलस्रोत

भीषण गर्मी में इंसानों को भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है. क्षेत्री की नदियां, नाले, पोखर आहर और चुआं और डांड़ी भी सूख चुके हैं. आमजन पानी की किल्लत दूर करने के लिए दूर से पानी का जुगाड़ कर अपनी दिनचर्या की जरूरतों को पूर्ण कर लेते हैं. लेकिन जंगली जानवारों को जंगल से निकलना पड़ रहा है.

पानी की तलाश में एलीफैंट कॉरिडोर से बाहर भी भ्रमणशील हैं हाथी

खूंटी वन प्रमंडल हाथियों की प्यास बुझाने के लिए जगह-जगह तालाब और चेक डैम का निर्माण करवा रहा है. करोड़ों की लागत से हाथियों के लिए तालाब और चेक डैम बनने की प्रक्रिया चल रही है. भीषण गर्मी में चारों तरफ पानी का संकट मानव के साथ-साथ जंगली जानवरों के लिए जीवन-मरण का सवाल बन गया है. वन प्रमंडल के माध्यम से हाथियों की रक्षा की व्यवस्था की जा रही है. अब सवाल यह है कि पूर्व में करोड़ों की लागत से हाथियों के लिए बनी योजना से हाथियों को लाभ क्यों नहीं मिल रहा है.

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Last Updated : Jun 19, 2024, 5:28 PM IST
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