गोरखपुर : नगरीय क्षेत्र में निवास करने वाले लोग जो बिजली का बिल तो देते हैं, लेकिन मन माफिक बिजली की आपूर्ति नहीं पाते हैं तो अब आने वाले पांच वर्ष के भीतर उन्हें बिजली की बेहतरीन सुविधा मिलेगी. गोरखपुर का विद्युत विभाग मौजूदा खपत को देखते हुए और वर्ष 2030 तक खपत के बढ़ने का आंकलन करके एक ऐसा प्लान तैयार कर शासन की झोली में डाल दिया है, जिसकी स्वीकृति गोरखपुर क्षेत्र में बिजली की बहार ला देगी.
25 उपकेंद्रों की क्षमता में भी होगी वृद्धि : विद्युत विभाग की ओर से बनाए गए प्लान के तहत शहर में कुल 11 नए उपकेंद्र बनाए जाएंगे. जिसकी क्षमता 33/11 किलोवाट की होगी. इसके अलावा अभी संचालित 25 उपकेंद्रों की क्षमता में भी वृद्धि की जाएगी. इस पूरी परियोजना पर करीब 1200 करोड़ रुपये खर्च होंगे. अनुमान है कि वर्ष 2030 तक शहर को 2 हजार मिलियन यूनिट बिजली की आवश्यकता होगी और उपभोक्ताओं की संख्या 4 लाख से अधिक होगी. मौजूदा समय में दो लाख 30 हजार उपभोक्ता को करीब 1200 मिलियन यूनिट बिजली की सप्लाई दी जा रही है.
विभाग ने तैयार किया प्लान : गोरखपुर महानगर के अधीक्षण अभियंता लोकेंद्र बहादुर सिंह ने इस प्रोजेक्ट के संबंध में ईटीवी भारत को बताया कि, वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दौरान नगरीय क्षेत्र में बढ़ती गर्मी के दौरान विद्युत की आपूर्ति का विभाग में जो आंकलन किया है, उसके आधार पर यह पाया है कि मौजूदा सिस्टम भविष्य में बेहतर विद्युत सप्लाई के लिए बहुत उपयुक्त नहीं रह पाएगा, इसलिए जहां पुराने उपकेंद्रों की क्षमता वृद्धि आवश्यक है, वहीं नए उपकेंद्रों का निर्माण किया जाना भी बहुत जरूरी है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सुचारू विद्युत आपूर्ति के लिए संसाधनों को बढ़ाने और बेहतर करने पर लगातार जोर दे रहे हैं. ऐसी स्थिति में विभाग ने एक बेहतर प्लान तैयार किया है, जिसकी स्वीकृति भी होने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि धरातल पर जब यह प्लान उतरेगा तो उपभोक्ताओं को कई तरीके से लाभ होने वाला है.
उन्होंने कहा कि इसके तहत इस स्काडा योजना लागू की जाएगी तो होगा यह कि, जब किसी भी विद्युत सब स्टेशन के फीडर से विद्युत की आपूर्ति प्रभावित होगी तो जिस तकनीक का इस्तेमाल इसमें होगा उसमें दो और वैकल्पिक मार्ग तैयार हो जाएंगे. अगर दो मार्ग विद्युत सप्लाई करने में अनफिट होते हैं तो तीसरा मार्ग लोगों को विद्युत आपूर्ति करने में सहायक होगा.
स्मार्ट सिटी योजना के तहत बनाया गया डीपीआर : उन्होंने बताया कि इसके अलावा एक अन्य सुविधा भी इस योजना के तहत विकसित की जानी है, जिसमें होगा यह कि अगर किसी फीडर से विद्युत आपूर्ति लगभग 10000 कंज्यूमर के क्षेत्र में प्रभावित हो रही है, और देखा जा रहा है की विशेष तौर पर करीब 300 कंज्यूमर ही प्रभावित हैं तो उन 300 कंज्यूमरों के एरिया को लॉक करते हुए, शेष एरिया में विद्युत की आपूर्ति को बहाल किया जाएगा और जहां खराबी होगी उसे तेजी के साथ दुरुस्त करने का काम किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी योजना के तहत यह डीपीआर बनाया गया है. लगातार शहर का विकास हो रहा है. बड़ी कंपनियों के साथ-साथ गोरखपुर विकास प्राधिकरण के भी फ्लैटों की संख्या बढ़ रही है. व्यापार में बढ़ोतरी हो रही है. मॉल खुल रहे हैं. इस कारण बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है. जिन उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ेगी उसमें लाल डिग्गी, सर्किट हाउस, विश्वविद्यालय और रुस्तमपुर, धर्मशाला, इंडस्ट्रियल, सूरजकुंड, मोहद्दीपुर, राप्ती नगर न्यू और पादरी बाजार शामिल हैं.
33 केवी की लाइन का होगा निर्माण : उन्होंने बताया कि जहां नए उपकेंद्र बनाए जाएंगे उसमें नॉर्मल, रानीबाग, तारामंडल, दुर्गावाणी, बक्शीपुर ओल्ड, खोराबार, शाहपुर, राप्ती नगर ओल्ड और पादरी बाजार शामिल हैं. इन्हें स्थापित करने के लिए भूमि की भी आवश्यकता होगी. जिसकी कवायद जिला प्रशासन के साथ विद्युत विभाग कर रहा है, जिससे योजना के स्वीकृत होने के साथ उपकेंद्रों की स्थापना में कोई असुविधा न हो.
नई परियोजना के तहत 33 केवी की लाइन का निर्माण होगा. साथ ही एक 11 किलोवाट की लाइन भी बनाई जाएगी. अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगेंगे. ट्रांसफार्मर की क्षमता में वृद्धि होगी. ट्रांसफार्मर की सुरक्षा पर भी काम होगा. एलटी लाइन के केबल बदले जाएंगे. पावर ट्रांसफार्मर की अर्थिंग पर भी एक करोड़ रुपए खर्च होंगे.
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