लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विद्युत दुर्घटना से रोजाना तीन लोगों से ज्यादा की जान चली जाती है. बड़े पैमाने पर बेजुबान भी मरते हैं. वर्ष 2023 -24 में यूपी में घातक 1173 दुर्घटनाओं में 1120 लोगों की जान जा चुकी है. वहीं 1289 जानवर काल के गाल में समा चुके हैं. इंसानों और बेजुबानों की मौते के मामलों में पाॅवर काॅरपोरेशन के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही उजागर हो रही है.
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों की उदासीनता और बिजली सिस्टम में सेफ्टी डिवाइस बेहतर न होने के चलते बिजली दुर्घटनाओं से बडे़ पैमाने पर मौत हो रही हैं. वैसे तो विद्युत सुरक्षा निदेशालय दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए बड़े पैमाने पर दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र को चिन्हित कर लगातार उसकी रिपोर्ट वितरण निगमों को दी जाती है, लेकिन वितरण निगम की उदासीनता के चलते लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं.
वर्ष 2022-23 के मुकाबले वर्ष 2023 -24 में दुर्घटनाएं कुछ कम जरूर हुईं, लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश में रोज तीन व्यक्ति से ज्यादा की बिजली दुर्घटनाओं से जान जा रही है. बडे पैमाने पर विद्युत संविदा कार्मिक भी शामिल हैं. आज भी संविदा कार्मिकों के लिए प्रदेश में समान काम का समान वेतन का नियम लागू नहीं है. वर्तमान वर्ष में निश्चित ही ये आंकडे बढ़ेंगे, क्योंकि पिछले दो माह से पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर संविदा कर्मियों की मौत हुई है. ज्यादातर मामलों में उदासीनता और काम का प्रेशर मुख्य कारण है. ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिसमें संविदा कर्मी लाइनों पर काम कर रहे हैं और सब स्टेशन परिचालक ने फीडर ऑन कर दिया, जो काफी गंभीर मामला है.
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