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Jharkhand Assembly Election 2024: पाकुड़ में सत्ता पक्ष और विपक्ष नये चेहरों पर दारोमदार, जनता करेगी स्वीकार या हो जाएंगे दरकिनार

पाकुड़ जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव दिलचस्प होने वाला है. सत्ता पक्ष और विपक्ष ने मैदान में नये चेहरों पर दांव लगाया है.

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पाकुड़, लिट्टीपाड़ा और महेशपुर विस के उम्मीदवार (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

पाकुड़: जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्र में सामान्य पाकुड़ एवं अनुसूचित जनजाति सुरक्षित लिट्टीपाड़ा और महेशपुर सीट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने नये चेहरे को मौका दिया है. नये चेहरे को मैदान में उतारने के बाद आम और खास मतदाताओं में तरह-तरह की चर्चा है. चर्चा तो यह भी है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष ने जिन नये चेहरे पर पूरा दारोमदार रखा है, जनता कहीं उन्हें स्वीकार करेगी की नहीं.

यदि जनता ने स्वीकारा तो इन नेताओं के भविष्य और कद न केवल अपने क्षेत्र में बल्कि पार्टी में भी बढ़ेगा और यदि दरकिनार कर दिया तो चुनाव के बाद उनका राजनीतिक भविष्य भी खतरे में होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार अपने घटक दल आजसू को चुनावी वैतरणी पार करने का अवसर दिया है. इस सीट पर एनडीए में शामिल आजसू के प्रत्याशी अजहर इस्लाम जो राजनीति के क्षेत्र में नये चेहरे हैं, पर दांव खेला है.

पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में आजसू के अजहर इस्लाम और कांग्रेस प्रत्याशी (पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की धर्मपत्नी) निशत आलम, दोनों को लोग जानते जरूर हैं, लेकिन राजनीति के क्षेत्र में खासकर निशत ने पहला कदम रखा है. दूसरे चरण में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में यदि अजहर को मतदाताओं ने स्वीकार किया तो उनका कद और बढ़ेगा. लेकिन अगर निशत आलम ने विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराया तो यह साबित होगा कि पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस गढ़ है और आगे भी रहेगा.

कमोवेश यही स्थिति अनुसूचित जनजाति सुरक्षित महेशपुर और लिट्टीपाड़ा की है. महेशपुर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने पुलिस सेवा में रहे अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नवनीत एंथोनी हेम्ब्रम को मैदान में उतारा है. पहली बार महेशपुर विधानसभा सीट पर एक नया चेहरा भाजपा ने उतारकर अपने प्रतिद्वंदी दल झामुमो के समक्ष एक लकीर खींच दी है. नवनीत एंथोनी का मुकाबला राजनीति के मझे खिलाड़ी और लगातार दो बार महेशपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रो. स्टीफन मरांडी से होना है. यदि नवनीत को जनता ने स्वीकारा तो महेशपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान विधायक प्रो. स्टीफन मरांडी का राजनीतिक भविष्य आने वाले दिनों में तय हो जायेगा.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के गढ़ लिट्टीपाड़ा सीट पर इस बार भाजपा और झामुमो दोनों ने नये चेहरे को उतारकर विधानसभा चुनाव को रोमांचक बनाने का काम किया है. पाकुड़ जिले की यही एकमात्र विधानसभा सीट है जहां सत्ता पक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने सीटिंग एमएलए दिनेश विलियम मरांडी के बदले एक कद्दावर और अनुभवी नेता हेमलाल मुर्मू को मैदान में उतारा है. हेमलाल मुर्मू का मुकाबला भाजपा के नए चेहरे बाबुधन मुर्मू से होगा.

अनुसूचित जनजाति सुरक्षित लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हमेशा जीत दर्ज की है. यह सीट साइमन मरांडी और सुशीला हांसदा की परम्परागत सीट रही थी. लेकिन इस बार साइमन मरांडी की चैखट पार कर झामुमो ने बरहेट विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक व सांसद हेमलाल मुर्मू को मैदान में उतारकर इस किले को अभेद किला बनाने का प्रयास किया है.

इन तीनों विधानसभा सीट पर अंतिम चरण 20 नवंबर को मतदान होना है. मतदान की तिथि आते-आते राजनीतिक समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे भी, लेकिन इतना तय है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष में से किसी न किसी को हार और जीत का स्वाद चखना पड़ेगा. क्योंकि लोकतंत्र के महापर्व में जनता जिसे स्वीकारेगी उसका परचम लहरेगा और जिसे दरकिनार करेगी उसका राजनीतिक भविष्य तय होगा.

पाकुड़: जिले की तीनों विधानसभा क्षेत्र में सामान्य पाकुड़ एवं अनुसूचित जनजाति सुरक्षित लिट्टीपाड़ा और महेशपुर सीट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने नये चेहरे को मौका दिया है. नये चेहरे को मैदान में उतारने के बाद आम और खास मतदाताओं में तरह-तरह की चर्चा है. चर्चा तो यह भी है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष ने जिन नये चेहरे पर पूरा दारोमदार रखा है, जनता कहीं उन्हें स्वीकार करेगी की नहीं.

यदि जनता ने स्वीकारा तो इन नेताओं के भविष्य और कद न केवल अपने क्षेत्र में बल्कि पार्टी में भी बढ़ेगा और यदि दरकिनार कर दिया तो चुनाव के बाद उनका राजनीतिक भविष्य भी खतरे में होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार अपने घटक दल आजसू को चुनावी वैतरणी पार करने का अवसर दिया है. इस सीट पर एनडीए में शामिल आजसू के प्रत्याशी अजहर इस्लाम जो राजनीति के क्षेत्र में नये चेहरे हैं, पर दांव खेला है.

पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में आजसू के अजहर इस्लाम और कांग्रेस प्रत्याशी (पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की धर्मपत्नी) निशत आलम, दोनों को लोग जानते जरूर हैं, लेकिन राजनीति के क्षेत्र में खासकर निशत ने पहला कदम रखा है. दूसरे चरण में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में यदि अजहर को मतदाताओं ने स्वीकार किया तो उनका कद और बढ़ेगा. लेकिन अगर निशत आलम ने विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराया तो यह साबित होगा कि पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस गढ़ है और आगे भी रहेगा.

कमोवेश यही स्थिति अनुसूचित जनजाति सुरक्षित महेशपुर और लिट्टीपाड़ा की है. महेशपुर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने पुलिस सेवा में रहे अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नवनीत एंथोनी हेम्ब्रम को मैदान में उतारा है. पहली बार महेशपुर विधानसभा सीट पर एक नया चेहरा भाजपा ने उतारकर अपने प्रतिद्वंदी दल झामुमो के समक्ष एक लकीर खींच दी है. नवनीत एंथोनी का मुकाबला राजनीति के मझे खिलाड़ी और लगातार दो बार महेशपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रो. स्टीफन मरांडी से होना है. यदि नवनीत को जनता ने स्वीकारा तो महेशपुर का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्तमान विधायक प्रो. स्टीफन मरांडी का राजनीतिक भविष्य आने वाले दिनों में तय हो जायेगा.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के गढ़ लिट्टीपाड़ा सीट पर इस बार भाजपा और झामुमो दोनों ने नये चेहरे को उतारकर विधानसभा चुनाव को रोमांचक बनाने का काम किया है. पाकुड़ जिले की यही एकमात्र विधानसभा सीट है जहां सत्ता पक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने सीटिंग एमएलए दिनेश विलियम मरांडी के बदले एक कद्दावर और अनुभवी नेता हेमलाल मुर्मू को मैदान में उतारा है. हेमलाल मुर्मू का मुकाबला भाजपा के नए चेहरे बाबुधन मुर्मू से होगा.

अनुसूचित जनजाति सुरक्षित लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हमेशा जीत दर्ज की है. यह सीट साइमन मरांडी और सुशीला हांसदा की परम्परागत सीट रही थी. लेकिन इस बार साइमन मरांडी की चैखट पार कर झामुमो ने बरहेट विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक व सांसद हेमलाल मुर्मू को मैदान में उतारकर इस किले को अभेद किला बनाने का प्रयास किया है.

इन तीनों विधानसभा सीट पर अंतिम चरण 20 नवंबर को मतदान होना है. मतदान की तिथि आते-आते राजनीतिक समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे भी, लेकिन इतना तय है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष में से किसी न किसी को हार और जीत का स्वाद चखना पड़ेगा. क्योंकि लोकतंत्र के महापर्व में जनता जिसे स्वीकारेगी उसका परचम लहरेगा और जिसे दरकिनार करेगी उसका राजनीतिक भविष्य तय होगा.

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