रांची: चुनाव के दौरान भ्रामक खबरें प्रसारित करना मीडिया हाउस को महंगा पड़ सकता है. भारत निर्वाचन आयोग ने फर्जी खबरों पर नजर रखने के लिए अधिकारियों की टीम खड़ी कर रखी है. चुनाव आयोग के निर्देश पर झारखंड में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय द्वारा जिला से लेकर प्रदेश मुख्यालय में विशेष टीम गठित की गई है.
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के अनुसार खबरों की मॉनिटरिंग के लिए बनी टीम के द्वारा सोशल मीडिया के साथ-साथ अखबारों और टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित होने वाली खबरों को बारीकी से देखी जा रही है. जिला स्तर पर मॉनिटरिंग के लिए बनी कमेटी में जनसंपर्क विभाग के अधिकारी के अलावा प्रशासनिक पदाधिकारी, एनआईसी की टीम, आईटी से जुड़े विशेषज्ञ, पुलिस अधिकारी और सहायक निर्वाची पदाधिकारी शामिल हैं. इसके अलावा मतदान के दिन और उससे पहले फेक एवं वायरल न्यूज के जरिए भ्रम फैलाने पर कारवाई करने के लिए आयोग के द्वारा मुख्य निर्वाचन कार्यालय में टीम गठित की गई है.
प्रतिदिन भेजी जाती है निर्वाचन आयोग को रिपोर्ट
जिला स्तर से हर दिन मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को भेजी जा रही रिपोर्ट को भारत निर्वाचन आयोग को भेजने की व्यवस्था है. सोशल मीडिया, अखबार या समाचार चैनलों में प्रकाशित आपत्तिजनक खबरों पर संज्ञान लेते हुए उक्त मीडिया हाउस से सर्वप्रथम कारण पृच्छा भेजी जाती है. समुचित जवाब नहीं मिलने पर संबंधित मीडिया हाउस या व्यक्ति पर कार्रवाई हो सकती है. जिसमें जुर्माना या प्रतिबंध लगाने तक का प्रावधान है. जानकारी के मुताबिक अब तक झारखंड में 7 भ्रामक खबर चुनाव आयोग के संज्ञान में आया है जिस पर कार्रवाई की जा रही है.
सोशल मीडिया पर खास नजर
सोशल मीडिया खासकर फेसबुक, एक्स और इंस्टाग्राम के जरिए वायरल होने वाली फर्जी खबर पर आयोग की टीम नजर रख रही है. इसके लिए धुर्वा स्थित मुख्य निर्वाचन कार्यालय में आईटी एक्सपर्ट की टीम के साथ चुनाव आयोग के पदाधिकारी को विशेष तौर पर लगाया गया है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार इसके लिए चुनाव आयोग का विस्तृत गाइडलाइन पहले से जारी है. जिसमें मीडिया हाउस से लेकर प्रत्याशी और राजनीतिक दलों के लिए विस्तार से दिशा निर्देश दिए गए हैं. अगर इसका उल्लंघन होता है तो यह आचार संहिता उल्लंघन के दायरे में माना जाएगा.
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