शिमला: हिमाचल में लोकसभा और विधानसभा उप चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए इलेक्शन डिपार्मेंट ने नई पहल की है. चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों के वोट रिजेक्ट न हो इसके लिए पहली बार वोट फैसिलिटेशन सेंटर खोलने का निर्णय लिया गया है. ऐसे में कर्मचारी आराम से बैलेट पेपर पर अपना वोट डाल सकेंगे. इससे वोट रिजेक्ट होने की आशंका कम होगी और मतदान प्रतिशत में वृद्धि होगी.
वोट बढ़ाने के लिए कारगार साबित हो रही तकनीक
इलेक्शन डिपार्टमेंट एक-एक वोट के महत्व को समझता है, तभी मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए प्रदेश भर में कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसके चुनाव दर चुनाव सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं. इलेक्शन कमीशन के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं.
सबसे साक्षर जिले हमीरपुर में रिजेक्ट हुए 3322 वोट
हिमाचल एक साक्षर राज्य हैं, लेकिन इसके बाद भी चुनाव में हर साल बैलेट पेपर से वोटिंग करते वक्त अक्सर जल्दबाजी में गलती हो जाती हैं. जिससे बहुमूल्य वोट रिजेक्ट हो जाता है. जिसका सीधा असर मतदान प्रतिशत पर पड़ता है. आंकड़ों पर गौर करें तो पिछली बार लोकसभा के चुनाव में बैलेट पेपर से डाले गए करीब 8 हजार वोट रिजेक्ट हो गए थे. जो कुल कास्ट हुए मतों का 0.15 फीसदी था. इसमें सबसे अधिक 3,322 बैलेट पेपर हमीरपुर में रिजेक्ट हुए थे. गौरतलब है कि हमीरपुर प्रदेश का सबसे अधिक साक्षर जिला है.
बैलेट पेपर से वोट डालने को मिलेगा प्रशिक्षण
विभाग ने मतों को रिजेक्ट होने से रोकने के लिए वोट फैसिलिटेशन सेंटर खोलने का निर्णय लिया है, ताकि हिमाचल के मतदान प्रतिशत में और अधिक सुधार हो सके. इसके लिए कर्मचारियों को बैलेट पेपर पर वोट डालने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रदेश में करीब 80 हजार से अधिक मतदाता बैलेट पेपर से मतदान करते हैं. इसमें सर्विस वोटर और चुनाव में तैनात कर्मचारी शामिल है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक बैलेट पेपर रिजेक्ट न हो, इसके लिए चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों के लिए पहली बार वोट फैसिलिटेशन सेंटर की सुविधा दी जा रही है.
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