रायपुर: सावन के पावन महीने का समापन 19 अगस्त को होगा. सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के लिए समर्पित माना गया है. सनातन धर्म में सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल 9 अगस्त शुक्रवार के दिन नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता की भी पूजा अर्चना की जाती है.
शुक्रवार को नागपंचमी की पूजा: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ''नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन के सभी दुख और कष्ट से छुटकारा मिलता है. 8 प्रकार के नाग माने गए हैं जिनकी पूजा नागपंचमी के दिन की जाती है. नाग पंचमी पर इस बार कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं. जिसमें सिद्धि योग, साध्य योग, हस्त नक्षत्र और अगले दिन 10 अगस्त को रवि योग भी बन रहा है.
"नाग पंचमी उदया तिथि के मुताबिक 9 अगस्त शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. इस बार कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं. नाग पंचमी के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 से 12:53 तक रहेगा. नागपंचमी के दिन नाग के 8 स्वरूप की पूजा की जाती है. नाग को हमारे यहां कुल देवता माने गए हैं. पंचमी तिथि की शुरुआत 8 अगस्त से होगी और स्थिति का समापन 10 अगस्त को होगा. इस बार की पंचमी तिथि लगभग 27 घंटे की रहेगी. वही नाग पंचमी का मुहूर्त की बात करें तो लगभग 2 घंटे 40 मिनट तक रहेगा. नाग देवता की पूजा सुबह 5:45 से 8:27 सुबह तक की जा सकती है." - :पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी, ज्योतिष एवम वास्तुविद, रायपुर
नागों के 9 कुल होते हैं: देवताओं में अष्टवसु की गिनती होती है, जिसमें 8 वसु मेल 8 वसु फीमेल, इसके साथ ही नागों के 9 कुल होते हैं. सांप के 144 प्रजातियां हैं. सांपों को मारने से सर्प दोष लगता है. सर्प दोष के कारण घर में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो जाती है. संतान बीमार पड़ जाते हैं. विवाह में बाधा आती है. संतान पैदा होने में बाधा आती है. संतान का रोगी होना, इसके साथ ही संतान का विकृत मानसिकता का होना, संतान का विवाह होने में दिक्कत आती है. विवाह के बाद गर्भपात हो जाना जैसी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं.
कैसे दोष होगा दूर: ऐसे में सर्प श्राद्ध करके सर्प दोष की निवृत्ति करनी चाहिए. इस तरह की पूजा और कर्म नाग पंचमी के दिन कराई जानी चाहिए. यदि जातक को लगता है कि उनके घर में सर्प दोष है, तो नाग पंचमी के दिन किसी नदी के किनारे देवता के मंदिर में पूजा कराई जानी चाहिए. नाग पंचमी के दिन ऐसा करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है.