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हल्द्वानी के रक्षक कालूसिद्ध मंदिर शिफ्ट करने की कवायद हुई तेज, महंत ने किया विरोध

नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी में सड़क चौड़ीकरण के लिए शिफ्ट किया जाएगा कालू सिद्ध मंदिर. महंत ने किया विरोध.

HALDWANI KALU SIDDH TEMPLE
कालूसिद्ध मंदिर शिफ्ट करने की कवायद (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

हल्द्वानी: नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी में दशकों पुराने प्रसिद्ध कालूसिद्ध मंदिर को शिफ्ट करने की कवायद तेज हो गई है. बताया जा रहा है कि मंदिर को सड़क से हटाकर करीब 30 फीट पीछे शिफ्ट किया जाएगा, लेकिन मंदिर के महंत मंदिर शिफ्ट करने के पक्ष में नहीं हैं. हालांकि इसके लिए मंदिर प्रबंधन समिति के साथ प्रशासन की एक बार फिर वार्ता होनी है. इसके बाद ही विधि विधान से मंदिर दूसरी जगह पर स्थापित होगा.

बता दें कि हल्द्वानी में नैनीताल रोड का चौड़ीकरण होना है, जिसकी जद में कालूसिद्ध मंदिर भी आ रहा है. इसीलिए कालूसिद्ध मंदिर को शिफ्ट किया जाना है. हालांकि मंदिर के महंत त्रिवेणीगिरि महाराज मंदिर शिफ्टिंग के खिलाफ हैं. महंत त्रिवेणीगिरि महाराज का कहना है कि दशकों पुराना हल्द्वानी का कालूसिद्ध मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. इस मंदिर में तीन संतों ने समाधि भी है, जिन्हें शिफ्ट नहीं किया जा सकता. ऐसे में अगर मंदिर के साथ समाधि को शिफ्ट किया जाता है तो आस्था के साथ खिलवाड़ होगा.

हल्द्वानी शहर के रक्षक हैं कालू सिद्ध बाबा: गौरतलब हो कि कालू सिद्ध बाबा को हल्द्वानी शहर का रक्षक माना जाता है. हल्द्वानी का कालू सिद्ध मंदिर करीब 200 साल पुराना है. मंदिर के अंदर लगा पीपल का पेड़ भी लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां पर भगवान शनि की दशकों पुरानी मूर्ति भी है. हालांकि मंदिर में स्थित पेड़ को कहां शिफ्ट किया जाएगा, इस पर फैसला होना बाकी है.

गुड़ की भेली चढ़ाने की परंपरा: कालू सिद्ध बाबा के मंदिर में गुड़ की भेली चढ़ाने की परंपरा है. कहा जाता है कि जो सच्चे मन से और श्रद्धा के साथ कालू सिद्ध मंदिर में गुड चढ़ता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. कहा जाता है कि दशकों पहले कालू सिद्ध बाबा हल्द्वानी पहुंचे थे. उन्होंने ही मंदिर परिसर में पीपल के पेड़ के नीचे भगवान शनि की उपस्थिति जानकर एक मठ की स्थापना की थी, जो आगे चलकर श्री कालू सिद्ध बाबा के मंदिर के रूप में परिवर्तित हो गया.

बताया जाता है कि उस समय यहां पर गुड़ और गन्ने का कारोबार खूब हुआ करता था, जो भी व्यापारी यहां से गुजरता था, वो बाबा को प्रसाद के लिए गुड़ देते थे. बाबा को गुड़ काफी पसंद था. जिसके बाद से कालू सिद्ध बाबा मंदिर में गुड़ चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई. आज भी यह परंपरा चली आ रही है. यही कारण है कि कालू सिद्ध के मंदिर में रोजाना श्रद्धालुओं का भीड़ लगी रहती है. खासकर मंगल और शनिवार के दिन बड़ी संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा का आशीर्वाद लेने आते हैं.

कालाढूंगी चौराहे पर बनेगा फुटओवर ब्रिज: अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग अशोक कुमार ने बताया कि मंदिर को शिफ्ट करने की कार्रवाई चल रही है. मंदिर कमेटी के साथ बैठक कर ही मंदिर को शिफ्ट किया जाएगा. इसके अलावा कालाढूंगी चौराहे के चौड़ीकरण के साथ ही यहां पर एक फुटओवर ब्रिज भी बनाया जाना प्रस्तावित है. लोनिवि ने इसके लिए प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. इस पर करीब 4.62 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है. इसे जिला अनुमोदन समिति से मंजूरी के बाद रोड सेफ्टी मद के लिए भेजा गया है.

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हल्द्वानी: नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी में दशकों पुराने प्रसिद्ध कालूसिद्ध मंदिर को शिफ्ट करने की कवायद तेज हो गई है. बताया जा रहा है कि मंदिर को सड़क से हटाकर करीब 30 फीट पीछे शिफ्ट किया जाएगा, लेकिन मंदिर के महंत मंदिर शिफ्ट करने के पक्ष में नहीं हैं. हालांकि इसके लिए मंदिर प्रबंधन समिति के साथ प्रशासन की एक बार फिर वार्ता होनी है. इसके बाद ही विधि विधान से मंदिर दूसरी जगह पर स्थापित होगा.

बता दें कि हल्द्वानी में नैनीताल रोड का चौड़ीकरण होना है, जिसकी जद में कालूसिद्ध मंदिर भी आ रहा है. इसीलिए कालूसिद्ध मंदिर को शिफ्ट किया जाना है. हालांकि मंदिर के महंत त्रिवेणीगिरि महाराज मंदिर शिफ्टिंग के खिलाफ हैं. महंत त्रिवेणीगिरि महाराज का कहना है कि दशकों पुराना हल्द्वानी का कालूसिद्ध मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. इस मंदिर में तीन संतों ने समाधि भी है, जिन्हें शिफ्ट नहीं किया जा सकता. ऐसे में अगर मंदिर के साथ समाधि को शिफ्ट किया जाता है तो आस्था के साथ खिलवाड़ होगा.

हल्द्वानी शहर के रक्षक हैं कालू सिद्ध बाबा: गौरतलब हो कि कालू सिद्ध बाबा को हल्द्वानी शहर का रक्षक माना जाता है. हल्द्वानी का कालू सिद्ध मंदिर करीब 200 साल पुराना है. मंदिर के अंदर लगा पीपल का पेड़ भी लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां पर भगवान शनि की दशकों पुरानी मूर्ति भी है. हालांकि मंदिर में स्थित पेड़ को कहां शिफ्ट किया जाएगा, इस पर फैसला होना बाकी है.

गुड़ की भेली चढ़ाने की परंपरा: कालू सिद्ध बाबा के मंदिर में गुड़ की भेली चढ़ाने की परंपरा है. कहा जाता है कि जो सच्चे मन से और श्रद्धा के साथ कालू सिद्ध मंदिर में गुड चढ़ता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. कहा जाता है कि दशकों पहले कालू सिद्ध बाबा हल्द्वानी पहुंचे थे. उन्होंने ही मंदिर परिसर में पीपल के पेड़ के नीचे भगवान शनि की उपस्थिति जानकर एक मठ की स्थापना की थी, जो आगे चलकर श्री कालू सिद्ध बाबा के मंदिर के रूप में परिवर्तित हो गया.

बताया जाता है कि उस समय यहां पर गुड़ और गन्ने का कारोबार खूब हुआ करता था, जो भी व्यापारी यहां से गुजरता था, वो बाबा को प्रसाद के लिए गुड़ देते थे. बाबा को गुड़ काफी पसंद था. जिसके बाद से कालू सिद्ध बाबा मंदिर में गुड़ चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई. आज भी यह परंपरा चली आ रही है. यही कारण है कि कालू सिद्ध के मंदिर में रोजाना श्रद्धालुओं का भीड़ लगी रहती है. खासकर मंगल और शनिवार के दिन बड़ी संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा का आशीर्वाद लेने आते हैं.

कालाढूंगी चौराहे पर बनेगा फुटओवर ब्रिज: अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग अशोक कुमार ने बताया कि मंदिर को शिफ्ट करने की कार्रवाई चल रही है. मंदिर कमेटी के साथ बैठक कर ही मंदिर को शिफ्ट किया जाएगा. इसके अलावा कालाढूंगी चौराहे के चौड़ीकरण के साथ ही यहां पर एक फुटओवर ब्रिज भी बनाया जाना प्रस्तावित है. लोनिवि ने इसके लिए प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. इस पर करीब 4.62 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है. इसे जिला अनुमोदन समिति से मंजूरी के बाद रोड सेफ्टी मद के लिए भेजा गया है.

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