रांची: बिहार में सत्ता परिवर्तन का असर झारखंड में भी दिख रहा है. कई पार्टियों अब अकेले चुनाव मैदान में उतरने के मूड में हैं. झारखंड में इंडिया ब्लॉक की मुख्य घटक वाम दल भी अब झारखंड के चार लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति में जुट गई है. झारखंड में वाम दल की कुल चार पार्टियां हैं. जिसमें सीपीएम, सीपीआई, सीपीआईएमएल और मासस शामिल है.
सीपीएम ने राजमहल सीट पर ठोका दावाः झारखंड में सीपीएम राजमहल लोकसभा सीट पर अपना दावा ठोक रही है. इस संबंध में सीपीएम के वरिष्ठ नेता प्रफुल लिंडा ने कहा कि राजमहल लोकसभा सीट पर उनकी पार्टी की अच्छी पकड़ है. राजमहल लोकसभा सीट के महेशपुर विधानसभा सीट, पाकुड़ विधानसभा सीट और लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट पर सीपीआईएम ने 90 के दशक में जीत हासिल की थी. प्रफुल लिंडा ने बताया कि वर्ष 1990 में लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट से सीपीएम के कालीपद सोरेन ने जीत दर्ज की थी. वहीं महेशपुर विधानसभा सीट से वर्ष 1995 में सीपीएम की ज्योतिंन सोरेन ने जीत दर्ज की थी. वहीं राजमहल लोकसभा की तीसरी सीट पाकुड़ विधानसभा सीट पर भी वर्ष 1995 में मोहम्मद हकीम ने सीपीएम को जीत दिलाई थी. तीन विधानसभा सीटों पर अपनी पकड़ रखने वाली सीपीएम राजमहल लोकसभा सीट के लिए सबसे मजबूत पार्टी है. इसलिए यदि इंडी गठबंधन से उन्हें राजमहल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने नहीं दिया जाता है तो वह अकेले चलने को मजबूर हो जाएंगे.
सीपीआई ने हजारीबाग सीट पर किया दावाः वहीं वाम दल की सीपीआई पार्टी के वरिष्ठ नेता सह प्रदेश प्रवक्ता अजय कुमार सिंह ने कहा कि एक साथ लड़ना उनकी प्राथमिकता नहीं है, बल्कि उनकी प्राथमिकता केंद्र से भाजपा की सरकार को हटाना है. उन्होंने कहा कि यदि सभी पार्टियां अलग-अलग भी चुनाव लड़ती हैं तो सभी की मंशा केंद्र में बैठी भाजपा सरकार को हटाने की ही होगी. वहीं अकेले चुनाव लड़ने की बात पर उन्होंने कहा कि अभी तक इसको लेकर कुछ तय नहीं हुआ है, लेकिन यदि सीपीआई पार्टी की बात करें तो हजारीबाग सीट से सबसे मजबूत पार्टी सीपीआई ही है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को उनके नेता भुवनेश्वर मेहता ने परास्त किया था. इसलिए हजारीबाग लोकसभा सीट से उन्हें गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने का मौका मिलता है तो वह जरूर लड़ेंगे, लेकिन यदि मौका नहीं मिलता है, तब पार्टी अकेले चुनाव लड़ने को मजबूर हो जाएगी.
सीपीआईएमएल ने कोडरमा सीट पर ठोकी तालः वहीं वाम दल की तीसरी पार्टी भकपा माले (सीपीआईएमएल) झारखंड के कोडरमा लोकसभा सीट पर अपना दावा कर रही है. भाकपा माले के वरिष्ठ नेता सह राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि पिछले वर्ष भाकपा माले के राजकुमार यादव ने कोडरमा लोकसभा सीट से बेहतर प्रदर्शन किया था. यदि गठबंधन के साथी तत्कालीन जेवीएम नेता बाबूलाल मरांडी को समर्थन नहीं करते तो आज यह सीट सीपीआईएमएल के खाते में होती. उन्होंने कहा कि कोडरमा के बगोदर विधानसभा से उनके विधायक विनोद सिंह लगातार जीत रहे हैं और राजधनवार सीट पर भी उनके विधायक रह चुके हैं. इसलिए यदि इंडी गठबंधन सीपीआईएमएल को कोडरमा सीट पर मौका देती है तो ठीक है, नहीं तो फिर भाकपा माले पूर्व की तरह कोडरमा से एकला चलो की रणनीति के तहत चुनाव लड़ने को विवश हो जाएगी.
मामस ने धनबाद लोकसभा सीट पर किया दावाः वहीं वाम दल की चौथी पार्टी मासस भी धनबाद लोकसभा सीट पर अपना दावा कर रहा है. मासस के नेताओं का कहना है कि धनबाद लोकसभा से एके रॉय ने जीत दिलाकर वाम दल को मजबूत किया है. ऐसे में धनबाद लोकसभा सीट पर वाम दल की मासस पार्टी की सबसे मजबूत दावेदारी बनती है. यदि इंडी गठबंधन के नेता धनबाद लोकसभा सीट पर मासस को मौका देती है तो ठीक है, नहीं तो मासस भी अपने सहयोगी वाम दलों अन्य पार्टियों के साथ धनबाद में अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी.
बिखर रहा इंडिया ब्लॉकः गौरतलब है कि कुछ दिन पहले तक झारखंड में इंडिया ब्लॉक यह दावा कर रहा था कि झारखंड की सभी लोकसभा सीटों पर गठबंधन और तालमेल के साथ चुनाव लड़ेंगे, लेकिन बिहार में सियासी बदलाव और कई राजनीतिक दलों के नेताओं के बयान के बाद झारखंड में भी अब इंडिया ब्लॉक के मुख्य घटक दल अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति पर विचार कर रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि हजारीबाग, कोडरमा, धनबाद और राजमहल लोकसभा सीट पर यदि वाम दल अकेले चुनाव लड़ती है तो आने वाले लोकसभा चुनाव में गठबंधन के पक्ष में कितना मजबूत परिणाम आ पाता है.
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