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"हिमाचल में स्कूलों के क्लस्टर होने से नहीं खत्म होगी किसी की पोस्ट, न रुकेगी प्रमोशन" - EDUCATION WORKSHOP AT HIPA SHIMLA

हिमाचल में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए हिप्पा शिमला में आयोजित कार्यशाला में क्लस्टरिंग सिस्टम पर चर्चा की गई.

EDUCATION WORKSHOP AT HIPA SHIMLA
हिप्पा शिमला में शिक्षा विभाग की कार्यशाला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 23, 2024, 9:44 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए हिप्पा शिमला में एक कार्यशाला आयोजित की गई. इस कार्यशाला में शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने हिमाचल प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए स्कूलों की क्लस्टरिंग करने और अपना विद्यालय योजना जैसे विभिन्न फैसलों के बारे में जानकारी दी. समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल की उपयोगिता पर चर्चा की.

'न खत्म होगी पोस्ट, न रुकेगी प्रमोशन'

शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कहा, "हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्कूलों की क्लस्टरिंग का फैसला संसाधनों को साझा करने के मकसद से लिया है. जिससे उनका इस्तेमाल बच्चों के हित के लिए किया जा सके. इस फैसले से स्कूलों में न तो किसी की पोस्ट खत्म होगी और न ही किसी की प्रमोशन रुकेगी. क्लस्टर सिस्टम लागू करने का मकसद यही है कि हम बच्चों के लिए कैसे बेहतर कर सकते हैं."

क्यों स्कूलों को किया जा रहा क्लस्टर ?

हालांकि कई स्कूलों में कुछ शिक्षक पहले से ही ये काम कर रहे हैं. प्रदेश सरकार द्वारा लिखित निर्देश जारी करने के पीछे सिर्फ यही मंशा है कि इस तरह के शिक्षकों को ऐसा माहौल मिले कि वे अपना काम बिना किसी बाधा के पूरा कर सकें. शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने ये भी साफ कर दिया कि इन निर्देशों में ये कहा गया है कि जहां तक संभव हो, वहां क्लस्टर बनाकर स्कूल अपने संसाधनों को शेयर करें. ऐसा करके प्रदेश सरकार ने एक सिस्टम बनाने की कोशिश की है, ताकि प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों के बीच संसाधनों के इस्तेमाल को लेकर कोई दिक्कत न हो.

पैल लैब स्थापित करने पर विचार

समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा, "हिमाचल स्कूली शिक्षा में तकनीक का बखूबी इस्तेमाल कर रहा है. तकनीक की मदद से बच्चों के सीखने की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है. समग्र शिक्षा हिमाचल प्रदेश में पैल लैब (PAL- Personalized Adaptive Learning Lab) स्थापित करने पर विचार कर रहा है."

नीति आयोग को भेजा जाएगा प्रपोजल

समग्र शिक्षा निदेशक ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पैल लैब स्कूलों में सफलतापूर्वक स्कूलों में लागू की गई है. वहां इसके बेहतर रिजल्ट भी देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में हिमाचल में इस दिशा में कदम उठाने को लेकर विचार किया जा रहा है. स्कूलों में पैल लैब स्थापित करने के लिए प्रपोजल तैयार कर नीति आयोग के सामने रखा जाएगा. हिमाचल में पहले से कई स्कूलों में आईसीटी लैब है, वहां इन पैल लैब को भी स्थापित किया जा सकता है.

क्या है पैल लैब ?

समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने बताया, "पैल लैब एक ऐसा टूल है, जिसके जरिए एक क्लास में हर बच्चे के सीखने की अलग-अलग क्षमता का आकलन किया जा सकता है. किसी भी कक्षा में हर बच्चे के सीखने का स्तर अलग-अलग होता है. आमतौर पर हर बच्चे की कमजोरी और ताकत का पता लगाना शिक्षक के लिए आसान नहीं होता है. जबकि पैल लैब के जरिए ये सब आसानी से किया जा सकता है. इतना ही नहीं, इसकी मदद से कमजोर बच्चों को सुधारा भी जा सकता है."

ये भी पढ़ें: प्राइवेट स्कूलों को वंचित वर्ग के बच्चों को देना होगा 25 फीसदी आरक्षण, सरकार हुई सख्त

ये भी पढ़ें: वाईएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना से संवरेगा छात्रों का भविष्य, 1 प्रतिशत ब्याज दर पर मिलेगा एजुकेशन लोन

ये भी पढ़ें: 6 साल से कम आयु के बच्चों को पहली कक्षा में दाखिले से नहीं रोका जा सकता, HC का अहम फैसला

शिमला: हिमाचल प्रदेश में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए हिप्पा शिमला में एक कार्यशाला आयोजित की गई. इस कार्यशाला में शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने हिमाचल प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए स्कूलों की क्लस्टरिंग करने और अपना विद्यालय योजना जैसे विभिन्न फैसलों के बारे में जानकारी दी. समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल की उपयोगिता पर चर्चा की.

'न खत्म होगी पोस्ट, न रुकेगी प्रमोशन'

शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कहा, "हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्कूलों की क्लस्टरिंग का फैसला संसाधनों को साझा करने के मकसद से लिया है. जिससे उनका इस्तेमाल बच्चों के हित के लिए किया जा सके. इस फैसले से स्कूलों में न तो किसी की पोस्ट खत्म होगी और न ही किसी की प्रमोशन रुकेगी. क्लस्टर सिस्टम लागू करने का मकसद यही है कि हम बच्चों के लिए कैसे बेहतर कर सकते हैं."

क्यों स्कूलों को किया जा रहा क्लस्टर ?

हालांकि कई स्कूलों में कुछ शिक्षक पहले से ही ये काम कर रहे हैं. प्रदेश सरकार द्वारा लिखित निर्देश जारी करने के पीछे सिर्फ यही मंशा है कि इस तरह के शिक्षकों को ऐसा माहौल मिले कि वे अपना काम बिना किसी बाधा के पूरा कर सकें. शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने ये भी साफ कर दिया कि इन निर्देशों में ये कहा गया है कि जहां तक संभव हो, वहां क्लस्टर बनाकर स्कूल अपने संसाधनों को शेयर करें. ऐसा करके प्रदेश सरकार ने एक सिस्टम बनाने की कोशिश की है, ताकि प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों के बीच संसाधनों के इस्तेमाल को लेकर कोई दिक्कत न हो.

पैल लैब स्थापित करने पर विचार

समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा, "हिमाचल स्कूली शिक्षा में तकनीक का बखूबी इस्तेमाल कर रहा है. तकनीक की मदद से बच्चों के सीखने की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है. समग्र शिक्षा हिमाचल प्रदेश में पैल लैब (PAL- Personalized Adaptive Learning Lab) स्थापित करने पर विचार कर रहा है."

नीति आयोग को भेजा जाएगा प्रपोजल

समग्र शिक्षा निदेशक ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पैल लैब स्कूलों में सफलतापूर्वक स्कूलों में लागू की गई है. वहां इसके बेहतर रिजल्ट भी देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में हिमाचल में इस दिशा में कदम उठाने को लेकर विचार किया जा रहा है. स्कूलों में पैल लैब स्थापित करने के लिए प्रपोजल तैयार कर नीति आयोग के सामने रखा जाएगा. हिमाचल में पहले से कई स्कूलों में आईसीटी लैब है, वहां इन पैल लैब को भी स्थापित किया जा सकता है.

क्या है पैल लैब ?

समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने बताया, "पैल लैब एक ऐसा टूल है, जिसके जरिए एक क्लास में हर बच्चे के सीखने की अलग-अलग क्षमता का आकलन किया जा सकता है. किसी भी कक्षा में हर बच्चे के सीखने का स्तर अलग-अलग होता है. आमतौर पर हर बच्चे की कमजोरी और ताकत का पता लगाना शिक्षक के लिए आसान नहीं होता है. जबकि पैल लैब के जरिए ये सब आसानी से किया जा सकता है. इतना ही नहीं, इसकी मदद से कमजोर बच्चों को सुधारा भी जा सकता है."

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