जयपुर : जयपुर में अब इकोलॉजिकल जोन में बसी आबादी और राजस्व ग्राम के लिए एजुकेशन, हेल्थ और अन्य जन उपयोगी गतिविधि डेवलप हो सकेंगी. राज्य सरकार ने इकोलॉजिकल जोन में जन उपयोगी गतिविधियों को अनुमति दे दी है, हालांकि, ऐसे क्षेत्रों में कुल जमीन के 20 फीसदी हिस्से पर ही निर्माण किया जा सकेगा, वो भी अधिकतम तीन मंजिला निर्माण की ही अनुमति होगी. बाकी बचे हुए 80 फीसदी हिस्से के आधे भाग में सघन वृक्षारोपण करना अनिवार्य होगा. इस संबंध में नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव वैभव गालरिया ने आदेश जारी करते हुए बताया कि ये अनुमति मास्टर प्लान 2011 में शामिल इकोलॉजिकल एरिया में बसी ग्रामीण आबादी के लिए ही लागू होगा.
राजस्थान नगरीय विकास विभाग ने जयपुर मास्टर प्लान 2011 के अनुसार इकोलॉजिकल क्षेत्र में बसे राजस्व ग्रामों और आबादी के लिए जनउपयोगी सुविधाओं को हरी झंडी दे दी है. इकोलॉजिकल भू उपयोग में रूरल सेटलमेंट के तहत सरकारी शैक्षिक संस्थान, चिकित्सा संस्थान और अन्य जन उपयोगी गतिविधियों के लिए मानदंड तय किए गए हैं, जिनकी पालना करते हुए निर्माण कार्य किया जा सकेगा.
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ये मानदंड किए गए निर्धारित :
- अधिकतम 20% जमीन पर ही किया जा सकेगा निर्माण कार्य
- ज्यादा से ज्यादा जी + 2 यानी तीन मंजिला निर्माण की मिलेगी अनुमति
- कुल जमीन के 40 फ़ीसदी हिस्से यानी निर्माण कार्य के बाद बचे हुए 80 फीसदी हिस्से के 50 फीसदी भाग में सघन और वृक्षारोपण करना होगा.