धनबाद: एनआरएचएम घोटाला मामले में ईडी की टीम ने गुरुवार की सुबह से ही धनबाद में छापेमारी जारी रखी. ईडी की टीम ने करीब 17 घंटे तक जांच की. ईडी की टीम ने गुरुवार को 6 जगहों पर छापेमारी की. छापेमारी नगर में मुख्य आरोपी प्रमोद सिंह, नूतन डीह में बर्खास्त सिपाही प्रमोद सिंह, मनोरमा मेट्रोज नावाडीह में अरुण सिंह, भूली बी ब्लॉक में दिव्य प्रकाश, डी ब्लॉक में अजीम सिंह और धर्माबांध ओपी क्षेत्र के बिलबेरा काली नगर में रहने वाले अश्विनी शर्मा के आवास पर की गई.
सभी जगहों पर 6 अधिकारियों के साथ सीआरपीएफ के 8 जवान मौजूद थे. प्रमोद सिंह के घर से 3 लग्जरी कारें जब्त की गईं. वहीं ईडी की टीम ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जब्त किए. प्रमोद सिंह के वकील विकास भुवानिया ने कहा कि उनके मुवक्किल ईडी जांच में हमेशा सहयोग कर रहे हैं. मामला कोर्ट में चल रहा है. वहीं ईडी अधिकारी ने कहा कि प्रमोद सिंह के घर से 3 कारें जब्त की गई हैं.
बता दें कि झरिया सह जोड़ापोखर स्वास्थ्य केंद्र में करीब सात करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले में पांच साल पहले सरकार की नींद उड़ी थी. सरकार के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा पंकज ने पूर्व सिविल सर्जन डॉ. शशि भूषण सिंह को 15 अक्टूबर 2021 तक विभाग के समक्ष उपस्थित होकर इस संबंध में स्पष्टीकरण का जवाब देने को कहा था. उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर वे समय पर नहीं आते हैं तो झारखंड पेंशन नियमावली के तहत उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. उन्हें पेंशन लाभ से वंचित होना पड़ सकता है.
विद्यानंद शर्मा ने कहा था कि एनआरएचएम घोटाले में पूर्व सिविल सर्जन डॉ. शशि भूषण सिंह और डॉ. अरुण कुमार सिन्हा के अलावा 10 आरोपियों के खिलाफ एसीबी ने केस दर्ज किया है. प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ साक्ष्य सही पाए गए हैं. संयुक्त सचिव के अनुसार 2 सितंबर 2021 को डॉ. शशि भूषण के नियुक्ति पत्र में अंकित पते पर स्पष्टीकरण समर्पित करने के लिए पत्र भेजा गया था, लेकिन वह पत्र वापस आ गया. डाक विभाग ने उसमें ताला लगा पाया. विभाग को डॉ. शशि भूषण का जवाब नहीं मिल सका.
सात करोड़ रुपये के एनआरएचएम घोटाले की खबर मीडिया में प्रकाशित हुई थी. बताया गया था कि इस घोटाले के आरोपी अश्विनी शर्मा को स्वास्थ्य विभाग ने फिर से नौकरी पर रख लिया है. खबर प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और आरोपी कर्मी अश्विनी शर्मा को नौकरी से हटा दिया. एनआरएचएम घोटाला 2016 में सामने आया था. इसके बाद 2019 से एसीबी ने जांच शुरू की. मुख्य आरोपी प्रमोद सिंह के साथ ही दो पूर्व सिविल सर्जन समेत 10 कर्मचारियों के खिलाफ एसीबी ने 2019 में केस दर्ज किया था. एसीबी ने माना कि दोनों पूर्व सिविल सर्जन की लापरवाही के कारण पैसे का गबन हुआ है.
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