रांची: ईडी के द्वारा झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर के आवंटन में कमीशनखोरी के जरिए 3000 करोड़ के प्रोसिड ऑफ क्राइम के खुलासे के बाद विभाग के कई पूर्व अधिकारी, इंजीनियर और ठेकेदार के साथ साथ कई मंत्री और राजनेता भी ईडी के रडार पर आ गए हैं. ईडी के द्वारा वैसे सभी नामों की लिस्ट तैयार की जा रही है जिन तक पैसे पहुंचे थे.
तीन हजार करोड़ का घोटाला
गौरतलब है कि ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में हेमंत सोरेन की जमानत से जुड़े मामले में जो हलफनामा दिया है, उसमें ग्रामीण विकास विभाग में हुए घोटाले का भी जिक्र किया गया है. जिसमें ईडी ने बताया गया है कि टेंडर के आवंटन में कमीशनखोरी से 3000 करोड़ का घोटाला हुआ है. कमीशनखोरी के जारी पैसों की जो उगाही की गई थी उसके पैसे पाने वालों में राज्य के कई बड़े अधिकारी नेता और मंत्री शामिल थे.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ईडी को लगभग 150 ऐसे लोगों के बारे में जानकारी मिली है जिनतक कमीशन का पैसा पहुंचता था. पैसा पाने वालों की लिस्ट में शामिल एक आईएएस अधिकारी को ईडी ने समन जारी कर 24 मई को पूछताछ के लिए भी तलब किया है. आईएएस अधिकारी को समन होने के बाद ग्रामीण विकास विभाग में हड़कंप मचा हुआ है, विभाग के वैसे इंजीनियर जो पैसे लेते थे उनकी नींद उड़ी हुई है. सूत्र बताते हैं कि ईडी को ग्रामीण विकास विभाग के अलग अलग प्रमंडल के 14 इंजीनियर के नाम भी मिलें हैं, जिन्होंने पिछले पांच सालों के दौरान कट मनी के जरिये करोड़ों की कमाई की है. सभी इंजीनियर को ईडी जल्द ही एक एक कार समन जारी करेगी.
चपरासी से लेकर मंत्री तक का हिस्सा
ईडी ने अपनी जांच में पाया है कि ग्रामीण विकास विभाग में निचले स्तर के कर्मचारियों से लेकर मंत्री तक ठेकों में कमीशनखोरी की राशि फिक्स थी, यहां तक की विभाग के चपरासी भी अच्छे खासे पैसों की उगाही करते थे. ईडी ने कोर्ट को जो दस्तावेज सौंपे हैं, उसमें ठेकों के लिए एलओए (लेटर ऑफ एक्सेप्टेशन) जारी होने पर ही कमीशन मिल जाने का उल्लेख भी किया गया है. जनवरी महीने में 25 छोटे छोटे ठेकों के बाद ही मंत्री आलमगीर आलम के लिए 123 लाख रुपये कमीशन के तौर पर मिलने का जिक्र डायरी के एक पन्ने में भी किया गया है.
ठेकेदार भी रडार पर
ग्रामीण विकास विभाग में भ्रष्टाचार इतने चरम पर था कि जो ठेकेदार विभाग के अधिकारियों का प्रिय होता था उसे ही ठेका मिलता था. ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग में काम करने वाले एक दर्जन से ज्यादा ठेकेदारों को भी चिन्हित किया है, जो अधिकारी से लेकर मंत्री तक को कट मनी दिया करते थे. वैसे सभी ठेकेदारों का बयान भी दर्ज करवाया जाएगा, ताकि जांच की दिशा और आगे बढ़ सके.
ये सभी कंस्ट्रक्शन कंपनियां ईडी की रडार पर
ईडी ने कोर्ट में दिए हलफनामे में बताया है कि अशरफ कंस्ट्रक्शन को 9 जनवरी को काम मिला था. 282.177 लाख रुपये के टेंडर में 8.40 लाख रुपये कमीशन मिले, जिसमें मंत्री आलमगीर आलम को 3.78 करोड़ दिए गए. शिव कंस्ट्रक्शन को 891.594 के ठेकों के आवंटन में 20.50 लाख का कमीशन उठाया गया, जिसमें मंत्री को 9.22 लाख रुपये का कमीशन दिया गया. तेजप्रताप सिंह चतरा कंपनी को 119.078 लाख के काम का आवंटन हुआ, जिसमें 3.40 लाख का कमीशन उठा, इसमें 1.53 लाख मंत्री को कमीशन मिला.
इसी तरह अनूप कुमार जायसवाल को मिले टेंडर में 8.84 लाख, अफजल अंसारी धनबाद का मिले टेंडर में 2.02 लाख, मनोज कुमार सिंह के टेंडर में 3.62 लाख, भीम चंद्र सिंह के टेंडर में 2.22 लाख, अरविंद यादव गढ़वा के टेंडर में 4.14 लाख, मां कंस्ट्रक्शन को मिले टेंडर में 11.07 लाख, टुनटुन कुमार राय को मिले टेंडर में 2.52 लाख व 1.70 लाख, राजीव इंटरप्राइजेज गोड्डा को मिले टेंडर में 3.69 लाख, राजीव रंजन प्रोजेक्ट को मिले टेंडर में 2.16 लाख, जेडी एंड संस इस्ट को मिले टेंडर में 4 लाख, कर्मप्रधान टेक्नो को मिले टेंडर में 3.62 लाख.
सुभाष पांडेय देवघर के टेंडर में 4.67 लाख, श्रीकृष्णा इंटरप्राइजेज के टेंडर में 3.28 लाख, कुमार एंड राय के टेंडर में 11.39 लाख, टिया कॉन टेक प्राइवेट लिमिटेड के टेंडर में 6.25 लाख, एबीसी कंस्ट्रक्शन पाकुड़ के टेंडर में 15.34 लाख, कुमार कंस्ट्रक्शन के टेंडर में 4.78 लाख, अमित कंस्ट्रक्शन को मिले ठेके में 3.15 लाख, विक्की कंस्ट्रक्शन के ठेके में 1.01 लाख, कुमार कंस्ट्रक्शन के ठेके में 5.89 लाख, यासीन कंस्ट्रक्शन के ठेके में 4.95 लाख रुपये का कमीशन मंत्री आलमगीर आलम को दिया गया. ऐसे में इन कंपनियों के बयान ईडी के केस को और मजबूत करेगी.
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