रांची: बुधवार को शेखर कुशवाहा को गिरफ्तार करने के बाद ईडी ने कई बड़े खुलासे किए हैं. ईडी सूत्रों के मुताबिक, रांची के चेशायर होम रोड में करीब एक करोड़ खर्च कर 100 करोड़ से ज्यादा कीमत की 4.83 एकड़ जमीन हड़पने की बड़ी साजिश रची गई थी.
इस मामले में शेखर कुशवाहा, प्रियरंजन सहाय, विपिन सिंह, अफसर अली, सद्दाम हुसैन मास्टरमाइंड थे. इस जमीन को हड़पने के लिए वर्ष 1940 और 1974 में दो फर्जी डीड बनाए गए थे, जिसमें सद्दाम ने 20 लाख खर्च का जिक्र किया था. इस फर्जी डीड की लिखावट मो इरशाद के निर्देश पर मो अलाउद्दीन और मकबूल अंसारी ने तैयार की थी, हालांकि अब उन दोनों की मौत हो चुकी है.
यह जमीन दरअसल 37.10 एकड़ जमीन का हिस्सा थी, जिसे मंगल महतो और कैला महतो ने वर्ष 1939 में कैथोलिक क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी से खरीदा था. चूंकि सीएनटी की जमीन का हस्तांतरण नहीं हो सकता, इसलिए इस जमीन में फर्जी डीड बना दी गई. इसमें सरकारी कर्मचारी मनोज कुमार यादव (सिटी अंचल क्लर्क) और भानु प्रताप प्रसाद की भूमिका रही. विपिन सिंह ने मनोज के साथ मिलकर आर-27 रजिस्टर में छेड़छाड़ की और बदले में पांच लाख रुपये लिए.
फर्जीवाड़े के पहले असल मालिकों से करायी एग्रीमेंट
ईडी ने अपनी जांच में पाया है कि शेखर कुशवाहा, नेपाल महतो और प्रियरंजन सहाय ने चेशायर होम रोड स्थित 4.83 एकड़ जमीन हड़पने के लिए कैला महतो और मंगला महतो के वंशज गबेश्वर, दिलेश्वर, दिलनाथ, राजनारायण, जितेंद्र महतो से दो एकड़ का एग्रीमेंट किया था. यह एग्रीमेंट 18 नवंबर 2021 को हुआ था. एग्रीमेंट के एवज में शेखर कुशवाहा ने 20 लाख, प्रियरंजन सहाय ने 40 लाख, जबकि विपिन सिंह ने प्रियरंजन सहाय को 10 लाख रुपए नकद दिए थे. मई 2022 में कोलकाता जाकर होटल पियरलेस में बैठकर इस जमीन के फर्जी कागजात तैयार किए गए. ईडी को सद्दाम के मोबाइल से इसकी तस्वीर मिली है.
किस-किस के बयान में क्या खुलासा
ईडी के सामने प्रियरंजन सहाय ने शेखर कुशवाहा के साथ 4.83 एकड़ जमीन हड़पने की साजिश में शामिल होने की बात कबूल की है. हेमंत कुमार, समीर कुमार सिन्हा, प्रणव पॉल ने कोलकाता के संजय घोष और महुआ मित्रा की जमीन हड़पने की बात भी कबूल की है. तिरिल मौजा की जमीन के बदले समीर कुमार सिन्हा और हेमंत कुमार को कमीशन दिया गया था. प्रियरंजन ने भानु प्रताप की संलिप्तता की भी बात बताई. जबकि अंतु तिर्की, सद्दाम हुसैन ने मिलकर भुईंहरी जमीन खाता 1055 को बेचा, जिसमें खाली जमीन को बेचकर 50 लाख कमाए और अफसर अली के साथ मिलकर कई जमीनों पर कब्जा किया.
ईडी की जांच में यह भी पता चला है कि अफसर अली ने प्रियरंजन सहाय, सद्दाम हुसैन, तापस घोष, विपिन सिंह व अन्य की मदद से फर्जी डीड बनाई. पूछताछ में उसने हेमंत सोरेन से जुड़े दो प्लॉट के फर्जी कागजात बनाने की बात भी कबूल की. उसने समरेंद्र चंद्र घोषाल के नाम से भी फर्जी कागजात बनाए. 4.83 एकड़ जमीन हड़पने के लिए उसने अपनी जेब से 66.56 लाख रुपए खर्च किए, विपिन सिंह ने 4.83 एकड़ जमीन हड़पने के लिए फर्जी कागजात बनाने में अपनी भूमिका कबूल की है.
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