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अब साफ होगा बड़ा तालाब का पानी! केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री की उपस्थिति में सरोवर में डाला गया 8000 ई-बॉल - Bada Talab Ranchi - BADA TALAB RANCHI

Eco ball technology used to clean Bada Talab. रांची के विवेकानंद सरोवर की सफाई के लिए शासन-प्रशासन के साथ साथ निगम काफी प्रयासरत है. इसी कड़ी में अब तालाब के गंदे पानी की सफाई के लिए ई बॉल तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.

E ball technology used to clean Vivekananda Sarovar in Ranchi
रांची के बड़ा तालाब में ई-बॉल डालते निगम अधिकारी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 20, 2024, 8:18 PM IST

रांची: पिछले दिनों ईटीवी भारत ने दुर्गंध मार रहे विवेकानंद सरोवर (बड़ा तालाब) की पानी को साफ करने के लिए छतीसगढ़ में इस्तेमाल में लाई जा रही ई-बॉल (Eco Ball) तकनीक पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थी. इस रिपोर्ट के बाद रांची नगर निगम के अधिकारियों ने भी तत्परता दिखाई. इसके तहत शनिवार को पहले चरण में निजी कंपनी द्वारा बड़ा तालाब में ई-बॉल डाला गया.

रांची के बड़ा तालाब की सफाई के लिए ई-बॉल तकनीक का इस्तेमाल (ETV Bharat)

पहले चरण में 15-15 दिनों के अंतराल में चार बार क्षेत्रफल के हिसाब से बैक्टीरिया और फंगस वाले ई-बॉल डाले जाएंगे. इसके बाद दूसरे चरण में 30-30 दिन के अंतराल में चार बार तालाब में ई-बॉल डाला जाएगा. अंतिम चरण में 30-30 दिन के अंतराल पर तीन माह तक तालाब में ई-बॉल डाला जाएगा. छतीसगढ़ के अंबिकापुर में स्थित गंदे तालाब की सफाई ई- बॉल तकनीक से करने का प्रयोग सफल रहा था. इसके बाद कई राज्यों में इसकी भारी मांग है.

क्या है ई-बॉल तकनीक

ई-बॉल तकनीक से छतीसगढ़ के अंबिकापुर में गंदे तालाबों की सफाई और कायाकल्प हुआ है. इसको लेकर वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत ने बताया कि ई-बॉल में लाभदायक सुक्ष्म जीव बैक्टीरिया और फंगस होते हैं. ये सभी पानी में उपलब्ध जैविक कचरे से नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड को भोजन के रूप में लेकर अपनी संख्या तेजी से बढ़ते हैं. इसके साथ ही साथ पानी में मौजूद हानिकारक सूक्ष्मजीव को समाप्त कर पानी की गुणवत्ता में सुधार लाते हैं. ई-बॉल के इस्तेमाल के बाद पानी की गुणवत्ता एचपी टीडीएस लेवल में तेजी से सुधार होने लगता है और इस प्रक्रिया में जलीय जीव वनस्पति प्रणाली प्रजाति और मानव समुदाय को भी किसी प्रकार की हानि नहीं होती है.

ट्रीटमेंट किए गए पानी के किसी भी प्रकार के उपयोग से जलीय जीवों और जानवरों में भी किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है. औसतन 1 एकड़ क्षेत्रफल के तालाब में 8000 ई-बॉल का इस्तेमाल किया जाता है. इस पर करीब दस हजार खर्च होते हैं. डॉ. प्रशांत पूरी उम्मीद जताई कि अगले 12 महीने में विवेकानंद सरोवर (बड़ा तालाब) का पानी पूरी तरह स्वच्छ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अगले तीन से चार महीने में ई-बॉल के बैक्टीरिया और फंगस से पानी की गुणवत्ता में सुधार दिखने लगेगा.

प्रयोग सफल रहा तो अन्य गंदे तालाब में भी होगा इस्तेमाल

इसको लेकर रांची नगर निगम के प्रशासक अमित कुमार ने बताया कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो शहर के अन्य गंदे तलावों की सफाई भी इसी तकनीक से कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि नगर निगम राज्य के सभी तालाबों को साफ और स्वच्छ बनाने को लेकर कृत संकल्पित है. अगर यह बिना किसी रसायन या कीटनाशक के होता हो तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है.

इसे भी पढ़ें- दुर्गंध फैला रहा है रांची का बड़ा तालाब, चुटकी में हो सकता है समाधान, इस रिपोर्ट से समझिए बदलाव का तरीका, एक्सपोजर विजिट पर उठे सवाल - Ranchi Bada Talab

इसे भी पढ़ें- पूरी तरह प्रदूषित हुआ विवेकानंद सरोवर, आसपास के इलाकों में भूगर्भ जल भी हो रहा प्रभावित

इसे भी पढ़ें- अम्बिकापुर में सफल हुआ ई बॉल का प्रयोग, देश भर में बढ़ी डिमांड

रांची: पिछले दिनों ईटीवी भारत ने दुर्गंध मार रहे विवेकानंद सरोवर (बड़ा तालाब) की पानी को साफ करने के लिए छतीसगढ़ में इस्तेमाल में लाई जा रही ई-बॉल (Eco Ball) तकनीक पर विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थी. इस रिपोर्ट के बाद रांची नगर निगम के अधिकारियों ने भी तत्परता दिखाई. इसके तहत शनिवार को पहले चरण में निजी कंपनी द्वारा बड़ा तालाब में ई-बॉल डाला गया.

रांची के बड़ा तालाब की सफाई के लिए ई-बॉल तकनीक का इस्तेमाल (ETV Bharat)

पहले चरण में 15-15 दिनों के अंतराल में चार बार क्षेत्रफल के हिसाब से बैक्टीरिया और फंगस वाले ई-बॉल डाले जाएंगे. इसके बाद दूसरे चरण में 30-30 दिन के अंतराल में चार बार तालाब में ई-बॉल डाला जाएगा. अंतिम चरण में 30-30 दिन के अंतराल पर तीन माह तक तालाब में ई-बॉल डाला जाएगा. छतीसगढ़ के अंबिकापुर में स्थित गंदे तालाब की सफाई ई- बॉल तकनीक से करने का प्रयोग सफल रहा था. इसके बाद कई राज्यों में इसकी भारी मांग है.

क्या है ई-बॉल तकनीक

ई-बॉल तकनीक से छतीसगढ़ के अंबिकापुर में गंदे तालाबों की सफाई और कायाकल्प हुआ है. इसको लेकर वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत ने बताया कि ई-बॉल में लाभदायक सुक्ष्म जीव बैक्टीरिया और फंगस होते हैं. ये सभी पानी में उपलब्ध जैविक कचरे से नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड को भोजन के रूप में लेकर अपनी संख्या तेजी से बढ़ते हैं. इसके साथ ही साथ पानी में मौजूद हानिकारक सूक्ष्मजीव को समाप्त कर पानी की गुणवत्ता में सुधार लाते हैं. ई-बॉल के इस्तेमाल के बाद पानी की गुणवत्ता एचपी टीडीएस लेवल में तेजी से सुधार होने लगता है और इस प्रक्रिया में जलीय जीव वनस्पति प्रणाली प्रजाति और मानव समुदाय को भी किसी प्रकार की हानि नहीं होती है.

ट्रीटमेंट किए गए पानी के किसी भी प्रकार के उपयोग से जलीय जीवों और जानवरों में भी किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है. औसतन 1 एकड़ क्षेत्रफल के तालाब में 8000 ई-बॉल का इस्तेमाल किया जाता है. इस पर करीब दस हजार खर्च होते हैं. डॉ. प्रशांत पूरी उम्मीद जताई कि अगले 12 महीने में विवेकानंद सरोवर (बड़ा तालाब) का पानी पूरी तरह स्वच्छ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि अगले तीन से चार महीने में ई-बॉल के बैक्टीरिया और फंगस से पानी की गुणवत्ता में सुधार दिखने लगेगा.

प्रयोग सफल रहा तो अन्य गंदे तालाब में भी होगा इस्तेमाल

इसको लेकर रांची नगर निगम के प्रशासक अमित कुमार ने बताया कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो शहर के अन्य गंदे तलावों की सफाई भी इसी तकनीक से कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि नगर निगम राज्य के सभी तालाबों को साफ और स्वच्छ बनाने को लेकर कृत संकल्पित है. अगर यह बिना किसी रसायन या कीटनाशक के होता हो तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है.

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