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चुनाव आयोग का रांची डीसी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश - Ranchi DC Manjunath Bhajantri - RANCHI DC MANJUNATH BHAJANTRI

चुनाव आयोग ने रांची डीसी मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है. वंदना दादेल के पत्र पर भी आयोग ने सवाल उठाए.

Ranchi DC Manjunath Bhajantri
मंजूनाथ भजंत्री और वंदना दादेल (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 4, 2024, 3:01 PM IST

Updated : Oct 4, 2024, 3:26 PM IST

रांची: रांची के नवनियुक्त उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री की मुश्किलें फिर बढ़ती दिख रही हैं. चुनाव आयोग ने 6 दिसंबर 2021 के आदेश का हवाला देते हुए राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ 15 दिन के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और चार्ज मेमो जारी कर आयोग को सूचित करने का आदेश दिया है. पूरा मामला देवघर के मधुपुर विधानसभा उपचुनाव से जुड़ा है. यह उपचुनाव अप्रैल 2021 में हुआ था.

तब गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि देवघर के डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी के पद पर रहते हुए मंजूनाथ भजंत्री ने उनके खिलाफ एक ही दिन पांच थानों में एफआईआर दर्ज कराई थी. आयोग ने मंजूनाथ भजंत्री से पूछा था कि उपचुनाव खत्म होने के छह माह बाद आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी एफआईआर क्यों कराई गयी. जिन थाना क्षेत्रों में आचार संहिता लागू नहीं थी, वहां किस परिस्थिति में मामले दर्ज हुए. इसकी जानकारी आयोग को क्यों नहीं दी गई.

चुनाव आयोग के इस आदेश के बाद गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने एक्स पर पोस्ट साझा किया है. उन्होंने लिखा है कि "कोई भ्रष्टाचारी और हंसेडी नहीं बचेगा ". मेरे तथा मेरे परिवार के ऊपर इस व्यक्ति ने 10 झूठे केस दर्ज किए. यह प्रजातंत्र है. न्यायालय और संवैधानिक संस्था संविधान की रक्षक है. अब बचिए.

रांची के डीसी मंजूनाथ भजंत्री से इस पत्र के बाबत उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.

सिंगल बेंच से मंजूनाथ भजंत्री को मिली थी राहत

देवघर के तत्कालीन डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने चुनाव आयोग के 6 दिसंबर 2021 के आदेश को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. सिंगल बेंच ने 26 फरवरी 2024 को अपने आदेश में कहा था कि आयोग ने रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 के सेक्शन 20A के तहत आदेश दिया था. यह याचिकाकर्ता की सेवा के नियमों और शर्तों को नियंत्रित करने वाले किसी भी सेवा नियम के तहत नहीं है. यह कहते हुए कोर्ट ने आयोग के आदेश को निरस्त कर दिया था.

आयोग के पक्ष में आया था डबल बेंच का फैसला

सिंगल बेंच के इस फैसले को चुनाव आयोग ने डबल बेंच में चुनौती दी थी. इस पर 23 सितंबर 2024 को डबल बेंच ने फैसला सुनाते हुए सिंगल बेंच के फैसले को निरस्त कर दिया. डबल बेंच ने अपने आदेश में कहा कि आयोग की ऐसी सिफारिशें राज्य पर अनिवार्य रूप से बाध्यकारी हैं और आयोग की ऐसी शक्तियां संघीय ढांचे में बड़ी संवैधानिक योजना का हिस्सा हैं. रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 की धाराओं के तहत आयोग का आदेश वैकल्पिक नहीं बल्कि यह राज्य को बाध्य करती हैं.

वंदना दादेल के पत्र को भी आयोग ने किया खारिज

30 सितंबर को मुख्य सचिव को जारी पत्र में चुनाव आयोग ने 2 सितंबर 2024 को लिखे गये कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल के पत्र का भी जिक्र किया है. आयोग ने कहा है कि पत्र में मंजूनाथ भजंत्री से जुड़े प्रसंग का भी जिक्र है. तब यह मामला कोर्ट में चल रहा था. उस पत्र को भी आयोग ने सीरे से खारिज कर दिया है. दरअसल, वंदना दादेल ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह द्वारा व्यवस्था पर टिप्पणी पर रोक लगाने की मांग की थी. इसको आयोग ने " posturing and promotion of an avoidable narrative of violation of federal space " बताया है.

खास बात है कि चुनाव आयोग ने 30 सितंबर को इस बाबत मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और उसी दिन कार्मिक विभाग ने अधिसूचना जारी कर मंजूनाथ भजंत्री को रांची का उपायुक्त बनाया है. इससे पहले वे जेएसएलपीएस में सीईओ सह मनरेगा आयुक्त के पद पर थे.

यह भी पढ़ें:

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तब गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि देवघर के डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी के पद पर रहते हुए मंजूनाथ भजंत्री ने उनके खिलाफ एक ही दिन पांच थानों में एफआईआर दर्ज कराई थी. आयोग ने मंजूनाथ भजंत्री से पूछा था कि उपचुनाव खत्म होने के छह माह बाद आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी एफआईआर क्यों कराई गयी. जिन थाना क्षेत्रों में आचार संहिता लागू नहीं थी, वहां किस परिस्थिति में मामले दर्ज हुए. इसकी जानकारी आयोग को क्यों नहीं दी गई.

चुनाव आयोग के इस आदेश के बाद गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने एक्स पर पोस्ट साझा किया है. उन्होंने लिखा है कि "कोई भ्रष्टाचारी और हंसेडी नहीं बचेगा ". मेरे तथा मेरे परिवार के ऊपर इस व्यक्ति ने 10 झूठे केस दर्ज किए. यह प्रजातंत्र है. न्यायालय और संवैधानिक संस्था संविधान की रक्षक है. अब बचिए.

रांची के डीसी मंजूनाथ भजंत्री से इस पत्र के बाबत उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.

सिंगल बेंच से मंजूनाथ भजंत्री को मिली थी राहत

देवघर के तत्कालीन डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने चुनाव आयोग के 6 दिसंबर 2021 के आदेश को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. सिंगल बेंच ने 26 फरवरी 2024 को अपने आदेश में कहा था कि आयोग ने रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 के सेक्शन 20A के तहत आदेश दिया था. यह याचिकाकर्ता की सेवा के नियमों और शर्तों को नियंत्रित करने वाले किसी भी सेवा नियम के तहत नहीं है. यह कहते हुए कोर्ट ने आयोग के आदेश को निरस्त कर दिया था.

आयोग के पक्ष में आया था डबल बेंच का फैसला

सिंगल बेंच के इस फैसले को चुनाव आयोग ने डबल बेंच में चुनौती दी थी. इस पर 23 सितंबर 2024 को डबल बेंच ने फैसला सुनाते हुए सिंगल बेंच के फैसले को निरस्त कर दिया. डबल बेंच ने अपने आदेश में कहा कि आयोग की ऐसी सिफारिशें राज्य पर अनिवार्य रूप से बाध्यकारी हैं और आयोग की ऐसी शक्तियां संघीय ढांचे में बड़ी संवैधानिक योजना का हिस्सा हैं. रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1951 की धाराओं के तहत आयोग का आदेश वैकल्पिक नहीं बल्कि यह राज्य को बाध्य करती हैं.

वंदना दादेल के पत्र को भी आयोग ने किया खारिज

30 सितंबर को मुख्य सचिव को जारी पत्र में चुनाव आयोग ने 2 सितंबर 2024 को लिखे गये कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल के पत्र का भी जिक्र किया है. आयोग ने कहा है कि पत्र में मंजूनाथ भजंत्री से जुड़े प्रसंग का भी जिक्र है. तब यह मामला कोर्ट में चल रहा था. उस पत्र को भी आयोग ने सीरे से खारिज कर दिया है. दरअसल, वंदना दादेल ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह द्वारा व्यवस्था पर टिप्पणी पर रोक लगाने की मांग की थी. इसको आयोग ने " posturing and promotion of an avoidable narrative of violation of federal space " बताया है.

खास बात है कि चुनाव आयोग ने 30 सितंबर को इस बाबत मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और उसी दिन कार्मिक विभाग ने अधिसूचना जारी कर मंजूनाथ भजंत्री को रांची का उपायुक्त बनाया है. इससे पहले वे जेएसएलपीएस में सीईओ सह मनरेगा आयुक्त के पद पर थे.

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Last Updated : Oct 4, 2024, 3:26 PM IST
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