लखनऊ : लखनऊ की सड़कों पर ई रिक्शा की बाढ़ आ गई है. ई रिक्शा संचालित भी हो रहे हैं और परिवहन विभाग का टैक्स भी नहीं चुका रहे हैं. ऐसे टैक्स बकाएदार ई रिक्शा संचालकों को अब टैक्स चुकाना होगा. पहले चरण में 20 हजार रुपये से अधिक के 1000 टैक्स बकायेदार ई रिक्शा संचालकों से वसूली के लिए आरटीओ की तरफ से रिकवरी लेटर भेजा गया है. इसके बाद 20 हजार तक के हजारों करोड़ के टैक्स बकायेदार हैं, उन 4000 ई रिक्शा संचालकों से वसूली की जाएगी. कुल मिलाकर पांच हजार ई रिक्शा संचालकों पर परिवहन विभाग का टैक्स के रूप में ही 10 करोड़ रुपये बकाया हैं. टैक्स के बकायदार ई रिक्शा सड़क पर दौड़ भी रहे हैं और परिवहन विभाग के प्रवर्तन दस्ते दावे करते हैं कि वह अभियान भी चला रहे हैं, लेकिन सवाल यही उठता है कि अभियान में आखिर इन ई-रिक्शा की तरफ नजर क्यों नहीं जाती.
लखनऊ में दौड़ रहे करीब 54 हजार ई रिक्शा परिवहन विभाग के लिए नासूर बन रहे हैं. जाम की समस्या का तो बड़ा कारण ई रिक्शा हैं ही, सड़क पर संचालित होने के बावजूद परिवहन विभाग का कर भी चुकता नहीं कर रहे हैं. आरटीओ की तरफ से 20 हजार रुपये से ऊपर और 20 हजार रुपये तक के टैक्स बकायेदार ई रिक्शा संचालकों की सूची तैयार की गई है. इन ई रिक्शा संचालकों से वसूली के लिए अब तक तीन बार आरटीओ की तरफ से नोटिस भेजा गया, लेकिन किसी ने भी टैक्स जमा नहीं किया. ऐसे में अब इन ई रिक्शा संचालकों से टैक्स वसूली का रास्ता आरटीओ के पास सिर्फ जिलाधिकारी के माध्यम से ही बचा है. आरटीओ प्रशासन की तरफ से इन सभी 1000 टैक्स बकायेदारों के खिलाफ आरसी जारी की गई है और टैक्स वसूली के लिए जिलाधिकारी को पत्र भेजा गया है. परिवहन विभाग के अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि अब तक तीन बार टैक्स बकायेदारों से वसूली के लिए रिकवरी नोटिस भेजा गया, लेकिन कोई दिलचस्पी ले ही नहीं रहा है. ऐसे में अब यही एक माध्यम है जिसके जरिए इन सभी से टैक्स की वसूली की जाएगी.
प्रवर्तन दस्तों की निष्क्रियता से जमा नहीं हो रहा टैक्स : परिवहन विभाग के लखनऊ कार्यालय में वर्तमान में जो इंफोर्समेंट अधिकारी तैनात हैं, वह कोई काम नहीं कर रहे हैं. यही वजह है कि करोड़ों रुपए के टैक्स बकाए के बावजूद ये ई रिक्शा सड़क पर संचालित हो रहे हैं. आरटीओ की प्रवर्तन टीमें इन ई रिक्शा पर कार्रवाई के बजाय इन्हें अनदेखा कर छोड़ रही हैं. यही वजह है कि ई रिक्शा संचालकों के हौसले बुलंद हैं और परिवहन विभाग को चपत लग रही है.
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