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पिता ने कबाड़ से बना दी ई साइकिल, बेटे की मुश्किल हुई आसान - E bicycle made from junk

E bicycle made from junk बालोद में एक पिता ने अपने बेटे की तकलीफ को देखकर अनोखा कारनामा किया. पिता की मेहनत के कारण बेटे की मुश्किल आसान हुई,साथ ही साथ अब उनके कारनामे को प्रसिद्धि मिल रही है.Popular Boy of Balod

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 3 hours ago

E bicycle made from junk
कबाड़ से बना दी ई साइकिल (ETV Bharat Chhattisgarh)

बालोद : छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के दुचेरा गांव निवासी संतोष साहू ने अपने बेटे के स्कूल आने जाने की परेशानी का हल ढूंढ निकाला. पिता ने बेटे की तकलीफ दूर करने के लिए कबाड़ के सामान से एक ई साइकिल का निर्माण किया. ये ई साइकिल अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन चुकी है. संतोष साहू का बेटा किशोर साहू कक्षा आठवीं में पढ़ता है. जिसके स्कूल की दूरी करीब 20 किलोमीटर है.इस दूरी को तय करने में रोजाना स्कूल आने जाने में तकलीफ होती थी.लेकिन पिता ने इस तकलीफ को दूर कर दिया है.

स्कूल की दूरी ने दिया आइडिया : संतोष साहू ने बताया कि बेटे को स्कूल जाने में काफी तकलीफ होती थी. कभी बस छूट जाती थी तो कभी वापस आने के लिए बस नहीं मिलती थी. इसके लिए उन्होंने दिमाग लगाया.इंटरनेट का सहारा लिया और फिर बच्चे के लिए एक ई साइकिल बनाई.इसी ई साइकिल से अब उनका बेटा आराम से स्कूल जाता और आता है.कक्षा आठवीं में पढ़ने वाले किशोर कुमार साहू ने बताया कि ई साइकिल को एक बार चार्ज करने पर वो दो दिन तक चलती है.पिछले 3 साल से इसी साइकिल से संतोष स्कूल आना जाना करता है.

कबाड़ से बना दी ई साइकिल (ETV Bharat Chhattisgarh)
E bicycle made from junk
पिता ने बेटे की बड़ी मुश्किल की आसान (ETV Bharat Chhattisgarh)

''जब मैं अर्जुंदा स्कूल में दाखिला लिया तो मुझे आने जाने में काफी दिक्कत होती थी. पापा ने मेरी तकलीफ को देखा और साइकिल कबाड़ से खरीद कर उसमें बैटरी लगाई. एक्सीलेटर लगाया. अब मैं अपने समय से स्कूल जाता आता हूं.''- किशोर साहू, छात्र



वहीं बच्चे के पिता संतोष कुमार ने बताया कि जब से बच्चे का वीडियो अन्य माध्यमों से लोगों तक पहुंचा है. तब से तीन साइकिल बनाने का आर्डर मिला है. शौक के लिए बच्चे को बनाकर ई साइकिल दी थी.ताकि उसका भविष्य खराब ना हो. उसके पढ़ाई लिखाई में किसी तरह का व्यवधान पैदा ना हो.

''आज इसकी प्रसिद्धि इतनी हो गई है कि मुझे इस तरह की साइकिल बनाने के ऑर्डर मिलने लगे हैं. ई साईकिल को 6 से 8 घंटे चार्ज करना पड़ता है.फिर 80 किलोमीटर की इसकी रेंज है.बच्चे को आने-जाने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है.''- संतोष कुमार, वेल्डर

दो दिन में ही बनाई साइकिल : बच्चे के पिता संतोष साहू ने बताया कि उन्होंने इसे बनाने के लिए अलग-अलग जगह से सामान खरीदा और उसे साइकिल में फिट किया. मेहनत लगी लेकिन दो दिन में ही इसे पूरा कर दिया.


कौन हैं संतोष साहू : कक्षा आठवीं में पढ़ने वाले किशोर कुमार के पिता संतोष कुमार पेशे से वेल्डिंग का काम करते हैं. उनकी एक छोटी सी दुकान है. संतोष ने अपनी स्किल का इस्तेमाल करके अपने बेटे की बड़ी परेशानी को दूर कर दिया. उनकी बनाई हुई साइकिल के कारण संतोष का बेटा अब पॉपुलर ब्वॉय बन चुका है.आज उनके मेहनत के कारण बेटा बिना किसी तकलीफ के सड़क में फर्राटे भर रहा है.

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स्कूल की दूरी ने दिया आइडिया : संतोष साहू ने बताया कि बेटे को स्कूल जाने में काफी तकलीफ होती थी. कभी बस छूट जाती थी तो कभी वापस आने के लिए बस नहीं मिलती थी. इसके लिए उन्होंने दिमाग लगाया.इंटरनेट का सहारा लिया और फिर बच्चे के लिए एक ई साइकिल बनाई.इसी ई साइकिल से अब उनका बेटा आराम से स्कूल जाता और आता है.कक्षा आठवीं में पढ़ने वाले किशोर कुमार साहू ने बताया कि ई साइकिल को एक बार चार्ज करने पर वो दो दिन तक चलती है.पिछले 3 साल से इसी साइकिल से संतोष स्कूल आना जाना करता है.

कबाड़ से बना दी ई साइकिल (ETV Bharat Chhattisgarh)
E bicycle made from junk
पिता ने बेटे की बड़ी मुश्किल की आसान (ETV Bharat Chhattisgarh)

''जब मैं अर्जुंदा स्कूल में दाखिला लिया तो मुझे आने जाने में काफी दिक्कत होती थी. पापा ने मेरी तकलीफ को देखा और साइकिल कबाड़ से खरीद कर उसमें बैटरी लगाई. एक्सीलेटर लगाया. अब मैं अपने समय से स्कूल जाता आता हूं.''- किशोर साहू, छात्र



वहीं बच्चे के पिता संतोष कुमार ने बताया कि जब से बच्चे का वीडियो अन्य माध्यमों से लोगों तक पहुंचा है. तब से तीन साइकिल बनाने का आर्डर मिला है. शौक के लिए बच्चे को बनाकर ई साइकिल दी थी.ताकि उसका भविष्य खराब ना हो. उसके पढ़ाई लिखाई में किसी तरह का व्यवधान पैदा ना हो.

''आज इसकी प्रसिद्धि इतनी हो गई है कि मुझे इस तरह की साइकिल बनाने के ऑर्डर मिलने लगे हैं. ई साईकिल को 6 से 8 घंटे चार्ज करना पड़ता है.फिर 80 किलोमीटर की इसकी रेंज है.बच्चे को आने-जाने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है.''- संतोष कुमार, वेल्डर

दो दिन में ही बनाई साइकिल : बच्चे के पिता संतोष साहू ने बताया कि उन्होंने इसे बनाने के लिए अलग-अलग जगह से सामान खरीदा और उसे साइकिल में फिट किया. मेहनत लगी लेकिन दो दिन में ही इसे पूरा कर दिया.


कौन हैं संतोष साहू : कक्षा आठवीं में पढ़ने वाले किशोर कुमार के पिता संतोष कुमार पेशे से वेल्डिंग का काम करते हैं. उनकी एक छोटी सी दुकान है. संतोष ने अपनी स्किल का इस्तेमाल करके अपने बेटे की बड़ी परेशानी को दूर कर दिया. उनकी बनाई हुई साइकिल के कारण संतोष का बेटा अब पॉपुलर ब्वॉय बन चुका है.आज उनके मेहनत के कारण बेटा बिना किसी तकलीफ के सड़क में फर्राटे भर रहा है.

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