जयपुर. इस बार राजस्थान के बजट में पर्यटन कारोबार को लेकर सरकार का नजरिया कैसा रहेगा, इस बात का ट्यूरिज्म से जुड़े लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में पर्यटन के क्षेत्र में व्यापक संभावनाओं के बीच परंपरागत दृष्टिकोण से अलग सोच की अपेक्षाएं भी हैं. ऐसे में राजस्थान की विश्व विख्यात हेरिटेज और सांस्कृतिक पहचान के बाद अब यहां धार्मिक महत्व के स्थान को सरकार की ओर से तवज्जो दिए जाने की मांग उठ रही है.
खास तौर पर पर्यटन कारोबार से जुड़े लोग मान रहे हैं कि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद आने वाले कुछ साल देश में धार्मिक पर्यटन के नाम रहने वाले हैं. लिहाजा ऐसे वक्त में प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों को पर्यटन के साथ अगर सरकार जोड़ दें, तो न सिर्फ इन जगहों से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति में बदलाव आएगा. पर्यटन कारोबार से जुड़े अन्य क्षेत्र भी लाभान्वित होंगे. पर्यटन कारोबारी संजय कौशिक का मानना है कि आने वाले वक्त में घरेलू पर्यटक राजस्थान आएंगे, तब उनका रुझान धार्मिक स्थलों की ओर होगा. ऐसे में सरकार धर्मस्थलों पर सुविधाएं और उनका प्रचार करें, तो इसका फायदा पूरे प्रदेश को होगा.
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ट्रांसपोर्ट, फूड और हॉस्पिटैलिटी में आएंगे बदलाव: संजय कौशिक कहते हैं कि किसी भी शहर में या राज्य में आने वाले सैलानियों के लिए रुकना, खाना, पीना और आने जाने के लिए संसाधनों की जरूरत होती है. लिहाजा प्रदेश में पर्यटन के केंद्र के रूप में विख्यात जयपुर, जैसलमेर और उदयपुर जैसी डेस्टिनेशन इस क्षेत्र में पहले से दुनिया में अपनी ख्याति बनवा चुकी है, परंतु कई ऐसे स्थान हैं, जहां धार्मिक पर्यटन के लिहाज से आज भी आने वाले लोगों को सुविधा उन जगहों की पहचान के मुताबिक नहीं मिल पा रही है. ऐसे में अगर सरकार अपनी एप्रोच में थोड़ा सा बदलाव करें, तो इन जगहों का विकास राजस्थान की अर्थव्यवस्था और विकसित राज्य के सफर में मददगार साबित हो सकता है.
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आने-जाने के संसाधनों से ट्रांसपोर्ट कारोबार से जुड़े लोगों को फायदा होगा, तो पर्यटकों के ठहरने से होटल कारोबार से जुड़े व्यापारी लाभान्वित होगी. इसी तरह से फूड इंडस्ट्री को इन सैलानियों की खान-पान से मदद मिलेगी. कौशिक ने दावा किया कि अगर अलग सोच के साथ सरकार धार्मिक पर्यटन नीति पर काम करती है, तो यह कई बड़े क्षेत्र पर सकारात्मक असर डालेगी.
खाटू श्याम जी से विशेष उम्मीद: संजय कौशिक कहते हैं कि बीते तीन-चार सालों में राजस्थान में धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं में बड़ा बदलाव आया है. विशेष रूप से खाटू श्याम जी की ओर देश-विदेश के श्रद्धालु रुख करने लगे हैं. हाल ही में फाल्गुन मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की संख्या बता रही है कि इस क्षेत्र में कितनी संभावनाएं हैं. जाहिर है कि खाटू मेले के दौरान राजस्थान रोडवेज 150 बसों का संचालन प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से खाटू के लिए कनेक्टिविटी के लिए हाथ से करता है. हाल ही में केंद्र सरकार ने भी रींगस से खाटू श्याम जी को जोड़ने के लिए रेलवे लाइन स्वीकृत की है. हर एकादशी पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं, जो साफ करता है कि सरकार के प्रोत्साहन से धार्मिक पर्यटन को और महत्व दिया जा सकता है.
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इन धार्मिक स्थलों को भी माना जा रहा है महत्वपूर्ण: राजस्थान में शेखावाटी में खाटू श्याम जी, जीण माता और सालासर का एक रिलिजियस गोल्डन ट्रायंगल बनता है. जो खासतौर पर प्रवासी राजस्थानियों के लिए आस्था का केंद्र बना है. इसी तरह से झुंझुनू में रानी सती का मंदिर भी प्रवासियों में काफी महत्वपूर्ण है. मेवाड़ में श्रीनाथजी और सांवलिया सेठ, तो पुष्कर में दुनिया का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर भी धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में राज्य के नए आयाम स्थापित करने के लिए मददगार साबित हो सकता है. पूर्वी राजस्थान में मेहंदीपुर बालाजी को लेकर भी यही समझा जाता है. हालांकि अभी भी इन सभी स्थानों पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हजारों से लाखों में है, लेकिन पर्यटन करोबारियों के सुझाव के मुताबिक अगर कनेक्टिविटी में और बेहतर तरीके से कम हो, तो फिर यहां आने वाले श्रद्धालु निश्चित तौर पर प्रदेश की आर्थिक सेहत के दिशा में महत्वपूर्ण योगदान साबित होंगे.
पहले के प्रोजेक्ट पर भी काम करने की जरूरत: संजय कौशिक बताते हैं कि अशोक गहलोत सरकार के दौर में प्रदेश में कई धार्मिक स्थलों के विकास की दिशा में काम शुरू हुआ था. जयपुर में गोविंद देव जी मंदिर में कॉरिडोर निर्माण को लेकर घोषणा की गई थी, तो अति प्राचीन गढ़ गणेश मंदिर के लिए रूप में की घोषणा भी हुई थी. उन्होंने मौजूदा सरकार से मांग की की पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में घोषित की गई योजनाओं पर तेजी के साथ विकास किया जाना चाहिए. जिससे धार्मिक पर्यटन को बल मिले. संजय कौशिक ने सुझाव दिया कि जयपुर का प्रसिद्ध गलता तीर्थ स्थल आज भी इतनी ख्याति प्राप्त नहीं कर सका है, जिसका वह हकदार है. उनका कहना है कि सरकार इसके विकास की दिशा में भी काम कर सकती है, ताकि जयपुर आने वाले पर्यटकों को नई जगह का अनुभव प्राप्त हो.
धार्मिक स्थलों पर रियायत दे सरकार: पर्यटन कारोबारियों ने मांग की है कि धर्मस्थलों तक आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रफ्तार के साथ काम हो सके, इस दिशा में सरकारों का दृष्टिकोण होना चाहिए. खास तौर पर लैंड यूज कन्वर्जन, निर्माण कार्यों से जुड़े प्रोजेक्ट की अनुमति और कागजी कार्रवाई, रोड ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी के साथ-साथ टैक्स में रियायतों पर विचार करना चाहिए, ताकि धर्म स्थलों पर पर्यटन के इस दृष्टिकोण के नजरिए से काम हो सके.