रायपुर : छत्तीसगढ़ में चैत्र नवरात्रि के अवसर पर माता के मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा और आराधना की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित किया जाता है. इसके साथ ही नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन और हवन के साथ ही नवरात्रि का समापन माना जाता है. आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है और नवमी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा आराधना पूरे विधि विधान से होता है और यही नवरात्रि का समापन कहलाता है.16 अप्रैल को दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन हवन पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.
नौ दिनों तक मां शक्ति की आराधना : महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि नवरात्रि के नौ दिनों में शक्ति आराधना का महापर्व मनाया जाता है. नवरात्र के आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी के नाम से जाना जाता है, जो कि साल 2024 में 16 अप्रैल दिन मंगलवार को पड़ रहा है. लोग नवरात्रि के 9 दिनों में विशेष पूजा आराधना व्रत उपवास रखते हैं. लेकिन नवरात्र की अष्टमी तिथि का महत्व ज्यादा है.
कन्या पूजन और महत्व : पंडित मनोज शुक्ला के मुताबिक कन्या पूजन के दिन लोग 5, 7, 9 या फिर 11 कन्याओं को बुलाकर उन्हें भोज कराने के साथ ही उनकी पूजा करते हैं. कन्या भोजन के दिन 2 साल की कन्या को कौमारी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इनके पूजन से घर की दरिद्रता दूर होती है और सभी दुखों से छुटकारा मिलता है. 3 साल की कन्या को त्रिमूर्ति का रूप माना गया है. कहते हैं कि 3 साल की कन्या की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है. धार्मिक मान्यता है कि घर में सुख शांति के लिए 4 साल की कन्या का पूजन करना भी बेहद शुभ होता है.
पंडित मनोज शुक्ला की माने तो 5 साल की कन्या को रोहिणी कहा जाता है इनकी पूजा करने से सभी तरह के रोग और दोष से छुटकारा मिलता है. 6 साल की कन्या को कालिका का रूप माना गया है. मान्यता है कि इनका पूजन करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है. 7 साल की कन्या को चंडिका कहा जाता है. चंडिका का पूजन करने से घर में धन दौलत की कमी नहीं होती. 8 साल की कन्या को शांभवी कहा जाता है, 8 साल की कन्या का पूजन करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है. 9 साल की कन्या को मां दुर्गा का रूप माना जाता है. 9 साल की कन्या का पूजन करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है. 10 साल की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है, 10 साल की कन्या का पूजन करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है.
''नवरात्रि के आठवें दिन को दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. उपवास और पूजन के बाद 9वें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा आराधना करने से नवरात्रि के नौ दिनों का फल प्राप्त होता है. नवरात्रि की पूर्णता प्राप्त करने के लिए अष्टमी के दिन हवन पूजन कराया जाता है. नवमी तिथि को इसकी पूर्णाहुति होती है."पंडित मनोज शुक्ला ,पुजारी महामाया मंदिर रायपुर
दुर्गाष्टमी में कैसे करें पूजा ?: चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि हिंदू पंचांग के मुताबिक अष्टमी तिथि की शुरुआत 15 अप्रैल को दोपहर 12:11 पर हो रहा है और इसका समापन 16 अप्रैल को दोपहर 1:23 पर होगा. इसलिए उदया तिथि के अनुसार 16 अप्रैल मंगलवार को महाअष्टमी या दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन कन्या पूजन का कार्य करना भी शुभ माना जाता है. चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 1:30 पर शुरू होगा और 17 अप्रैल दोपहर 3:24 पर समाप्त होगा. उदया तिथि के मुताबिक 17 अप्रैल को महानवमी का पर्व मनाया जाएगा, जिसे लोग रामनवमी के नाम से भी जानते हैं.
नोट : उपरोक्त दी गई जानकारी पंडित जी की निजी जानकारी है.इसका ईटीवी भारत पुष्टि नहीं करता है.