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पूर्णिया में 'सिंदूर खेला' के बाद मां दुर्गा की विदाई, 109 साल से बंगाली रीति रिवाज से होती है पूजा

दशहरा के बाद पूर्णिया में सिंदूर खेला के बाद मां दुर्गा को विदाई. बंगाली रीति रिवाज से पूजा अर्चना के बाद मां विदा हुई.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 3 hours ago

पूर्णिया में सिंदूर खेला के बाद मां की विदाई
पूर्णिया में सिंदूर खेला के बाद मां की विदाई (ETV Bharat)

पूर्णियाः पूरे देश में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनायी गयी. बिहार के पूर्णिया में 109 साल पुरानी भट्ठा दुर्गाबाड़ी में बंगाली रीति रिवाज से पूजा होती आ रही है. नौ दिन मां की आराधना और दशहरा के बाद अगले दिन मां को विदाई दी गयी. बंगाली समाज की महिलाओं ने माता के प्रतिमा का विसर्जन किया. सिंदूर की होली खेली. माता को सिंदूर लगाकर फिर एक दूसरे के गाल और मांग में सिंदूर लगायी. सुहाग की लंबी उम्र की कामना की.

पूर्णिया में मां दुर्गा को विदाईः महिलाएं बताती है कि भट्ठा दुर्गाबाड़ी में पिछले 109 साल से पूजा अर्चना हो रही है. आज माता की विदाई की बेला है जिस कारण वे लोग काफी भावुक हैं. वे लोग माता को सिंदूर लगाकर विदाई देते हैं. एक दूसरे को सिंदूर लगाकर माता से अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह बेटी की विदाई होती है उसी तरह वे लोग माता की विदाई करते हैं.

दशहरा के बाद पूर्णिया में मां की विदाई (ETV Bharat)

पूरे जिले में बनाए गए पंडालः बता दें कि हर साल की भांति पूर्णिया में इस साल भी धूमधाम से मां दुर्गा की पूजा की गयी. कलश स्थापना से दशहरा तक चारों ओर भक्ति गीत बज रहे थे. पंडाल में मां दुर्गा विराजमान रही. पूर्णिया में भव्य पंडालों का निर्माण किया गया. शहर के केनगर में केदारनाथ, शहर के मरंगा में, माता स्थान चौक, आदि जगह पूजा की गयी.

सिंदूर खेला के बाद मां की विदाई
सिंदूर खेला के बाद मां की विदाई (ETV Bharat)

35 लाख का बना पंडालः जिले के खुशकीबाग में सबसे महंगा पंडाल का निर्माण किया गया. असाम की 5 हजार बांस से 35 लाख की लागत से पंडाल का निर्माण किया गया. यह भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा. प्रसिद्ध भट्ठा दुर्गाबाड़ी पूजा पंडाल में बंगाली रीति रिवाज से पूजा हुई.

यह भी पढ़ेंः श्रद्धालु तंत्र-मंत्र की नगरी बखरी में कर सकेंगे केदारनाथ के दर्शन! मुगल काल के पहले से होती आ रही मां दुर्गा की पूजा

पूर्णियाः पूरे देश में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनायी गयी. बिहार के पूर्णिया में 109 साल पुरानी भट्ठा दुर्गाबाड़ी में बंगाली रीति रिवाज से पूजा होती आ रही है. नौ दिन मां की आराधना और दशहरा के बाद अगले दिन मां को विदाई दी गयी. बंगाली समाज की महिलाओं ने माता के प्रतिमा का विसर्जन किया. सिंदूर की होली खेली. माता को सिंदूर लगाकर फिर एक दूसरे के गाल और मांग में सिंदूर लगायी. सुहाग की लंबी उम्र की कामना की.

पूर्णिया में मां दुर्गा को विदाईः महिलाएं बताती है कि भट्ठा दुर्गाबाड़ी में पिछले 109 साल से पूजा अर्चना हो रही है. आज माता की विदाई की बेला है जिस कारण वे लोग काफी भावुक हैं. वे लोग माता को सिंदूर लगाकर विदाई देते हैं. एक दूसरे को सिंदूर लगाकर माता से अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह बेटी की विदाई होती है उसी तरह वे लोग माता की विदाई करते हैं.

दशहरा के बाद पूर्णिया में मां की विदाई (ETV Bharat)

पूरे जिले में बनाए गए पंडालः बता दें कि हर साल की भांति पूर्णिया में इस साल भी धूमधाम से मां दुर्गा की पूजा की गयी. कलश स्थापना से दशहरा तक चारों ओर भक्ति गीत बज रहे थे. पंडाल में मां दुर्गा विराजमान रही. पूर्णिया में भव्य पंडालों का निर्माण किया गया. शहर के केनगर में केदारनाथ, शहर के मरंगा में, माता स्थान चौक, आदि जगह पूजा की गयी.

सिंदूर खेला के बाद मां की विदाई
सिंदूर खेला के बाद मां की विदाई (ETV Bharat)

35 लाख का बना पंडालः जिले के खुशकीबाग में सबसे महंगा पंडाल का निर्माण किया गया. असाम की 5 हजार बांस से 35 लाख की लागत से पंडाल का निर्माण किया गया. यह भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा. प्रसिद्ध भट्ठा दुर्गाबाड़ी पूजा पंडाल में बंगाली रीति रिवाज से पूजा हुई.

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