दुर्ग: जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना का जमकर मजाक बन रहा है. गरीबों के लिए बना प्रधानमंत्री आवास आबंटन से पहले ही खंडहर हो गया है. इस बात की जानकारी जिला प्रशासन और निगम प्रशासन को होने के बाद भी उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.आलम यह है कि दुर्ग के सरस्वती नगर में गरीबों के लिए बन रहे आवास खंडहर में तब्दील हो रहे हैं.
522 घर बने खंडहर: दरअसल, केन्द्र की मोदी सरकार की ओर से हर गरीब परिवार को छत मुहैया कराने के लिए पीएम आवास योजना की शुरुआत की गई. दुर्ग के सरस्वती नगर में गरीबों के लिए 522 घर पीएम आवास योजना के तहत बनाए जा रहे हैं, लेकिन लोगों के बसने से पहले ही खंडहर बन चुका है. साल 2019 में आवास बनना शुरू हुआ, जो कि साल 2022 तक बन कर तैयार हो गया. हालांकि रखरखाव के अभाव में सभी 522 मकान के खिड़की, दरवाजे, लोहे के एंगल, पाइप यहां तक कि जमीन में लगा टाइल्स भी असामजिक तत्व उखड़ ले गए.यहां 90 फीसदी से अधिक घरों के दरवाजे-खिड़कियों की चोरी हो गई है.
जानिए क्या कहते हैं स्थानीय: सरस्वती नगर के स्थानीय दीपक सिन्हा ने ईटीवी भारत को बताया कि, "पीएम आवास योजना के तहत बन रहे, मकानों में असामाजिक तत्वों का अड्डा रहता है. वो लगातार यहां चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं. दुर्ग नगर निगम के अधिकारी और जिम्मेदार, ठेकेदार इस ओर झांकने तक नहीं आते हैं."
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान अभी निगम को हैंड ओवर नहीं हुआ है. न ही अभी तक निर्माणधीन एजेंसी का पेमेंट पूरा हुआ है, जबकि 30 करोड़ रुपए में से अब तक लगभग 24 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है. अब न ठेकेदार को चिंता है, ना ही निगम प्रशासन को. इस बीच जनता के लगभग 24 करोड़ रुपए खंडार बनाने में फूंक दिए गए है. -लोकेश चंद्राकर, आयुक्त, दुर्ग नगर निगम
बता दें कि कुल मिलाकर जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण सरस्वती नगर के 522 पीएम आवास खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. हालांकि प्रशासन इस मामले में अलग ही राग अलाप रही है.