डूंगरपुर. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा और भारत आदिवासी पार्टी अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतार चुकी हैं, लेकिन कांग्रेस अब तक गठबंधन में उलझी हुई है. डूंगरपुर-बांसवाड़ा में कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर बीएपी से गठबंधन नहीं करने का आग्रह किया है. हालांकि, ऐसी खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व गठबंधन के बार में रणनीति बना रही है. ऐसे हालात में यहां कांग्रेस को बीएपी के घोषित प्रत्याशी को समर्थन करना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक भी कांग्रेस से खिसक आएगा. वहीं, कांग्रेस नेताओं को भी अपना वर्चस्व कम होने का खतरा लग रहा है.
दरअसल, बांसवाड़ा जिले के कांग्रेस नेता भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन की संभावनाओं को लेकर खफा है. यही वजह है कि कांग्रेस से खेरवाड़ा विधायक डॉ. दयाराम परमार, बांसवाड़ा के घाटोल विधायक नानालाल निनामा, बांसवाड़ा विद्याज अर्जुन सिंह बामनिया, कुशलगढ़ विधायक रमिला खड़िया, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य दिनेश खोड़निया, बांसवाड़ा जिलाध्यक्ष रमेश पंड्या, डूंगरपुर जिलाध्यक्ष वल्लभराम पाटीदार ने कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखा है, जो वायरल भी हो रहा है.
पत्र में कहा गया है कि लोकसभा चुनावों में बीएपी से किसी तरह का गठबंधन नहीं किया जाए. उदयपुर और बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव लड़ना भविष्य के लिए पार्टी के हित में होगा. अब देखना होगा कि कांग्रेस नेताओ के पत्र को कितना तवज्जो देती है. वहीं, स्थानीय नेताओं की बात को मानकर पार्टी गठबंधन नहीं करती है तो पार्टी कब तक अपने प्रत्याशी की घोषणा करेगी.
प्रत्याशी उतारने में भाजपा और बीएपी आगे : लोकसभा चुनावो को लेकर भाजपा ने महेंद्रजीत सिंह मालवीया को प्रत्याशी घोषित कर दिया है. मालवीया एक महीने पहले ही कांग्रेस से भाजपा में आए है और इसके बाद भाजपा ने उन्हें टिकट दे दी, जबकि मालवीया कांग्रेस में भी इस सीट के लिए एकमात्र उम्मीदवार थे. वहीं, भारत आदिवासी पार्टी ने चोरासी से विधायक राजकुमार रोत को लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया है. जबकि कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारने में अभी तक गठबंधन की संभावनाओं को लेकर अटकी हुई है.
कांग्रेस नेताओं को जनाधार खिसकने की चिंता : बीटीपी से अलग होकर बीएपी नई पार्टी बनी है. इस बार विधानसबाहा चुनावो में बीएपी ने डूंगरपुर जिले में चोरासी और आसपुर, प्रतापगढ़ जिले में धरियावद सीट पर जीत दर्ज की है. वहीं, डूंगरपुर, सागवाड़ा समेत बांसवाड़ा के बागीदौरा और अन्य सीटो पर बीएपी दूसरे नंबर की पार्टी रही. यही वजह है कि कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए बीएपी से गठबंधन करना चाहती है. जबकि डूंगरपुर बांसवाड़ा जिला में कांग्रेस के पास 8 में से 4 विधायक है. यानी आधे विधायक कांग्रेस के हैं, लेकिन भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन होने पर कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक बीएपी की और खिसक जाएगा. इसके कांग्रेस नेताओ का जनाधार खत्म होगा और कांग्रेस की स्थिति खराब होने की चिंता सता रही है.