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बंपर होगी पैदावार, लागत में आएगी कमी, DSR तकनीक से करें धान की बुवाई - Bumper Production In Farming

किसानी अब बोझिल और परेशानी नहीं रही, वर्तमान में खेती अब आय का साधन हो गया है. नित नए इसमें तकनीक जुड़ती जा रही है. आज हम आपको एक ऐसी तकनीक के बारे में बताएंगे, जिससे खेती में आसानी तो मिलेगी ही, साथ ही बंपर उत्पादन होगा.

BUMPER PRODUCTION IN FARMING
DSR तकनीक से करें धान की बुवाई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 7, 2024, 8:12 PM IST

शहडोल। जून के महीने में ज्यादातर किसान अब अपनी खेती किसानी की तैयारी में जुटे हुए हैं. बारिश का इंतजार कर रहे हैं. अभी कुछ किसान खेतों की जुताई करवा रहे हैं, जिससे खरपतवार आदि नष्ट हो जाएं. जिससे बारिश होते ही वो अपनी फसलों की बुवाई कर सकें. शहडोल जिले में खरीफ सीजन में सबसे ज्यादा बड़े रकबे में धान की खेती की जाती है और धान की खेती के लिए अब नई-नई तकनीक भी आ रही हैं. ऐसे में डीएसआर पद्धति तकनीक एक ऐसी तकनीक है. जिसके माध्यम से धान की बुवाई करके किसान बंपर उत्पादन ले सकते हैं.

DSR तकनीक से करें धान की बुवाई (ETV Bharat)

DSR तकनीक से करें धान की बुवाई

शहडोल जिले के कृषि अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट एग्रीकल्चर इंजीनियर आरके पयासी बताते हैं की सीड ड्रिल का मतलब है की जब हम बुवाई करते हैं तो वो सीधा-सीधा लाइन टू लाइन लाइन बुवाई, इसके लिए जो मशीन आती है, उसे सीडड्रिल मशीन बोलते हैं. बात हम खरीफ की करें और अपने शहडोल जिले की करें तो यहां अभी खरीफ सीजन में धान की खेती अधिकतर क्षेत्रों में की जाती है. शहडोल जिले में धान की अधिकतर खेती रोपाई के माध्यम से होती है. मतलब पहले किसान धान की नर्सरी लगाता है, फिर खेतों की मचाई करता है और फिर उस नर्सरी को दूसरे खेतों में ट्रांसप्लांट कर देता है, लेकिन अभी जो नई तकनीक आई है. उसे डीएसआर तकनीक कहते हैं.

इस तकनीक के माध्यम से ही अब धान की बुवाई का प्रयास किया जा रहा है, कोशिश है की ज्यादा से ज्यादा किसान इस तकनीक से भी धान की बुवाई करें. जिससे किसानों को फायदा होगा. डीएसआर तकनीक जिसे डायरेक्ट सीडेड राइस कहा जाता है. अभी अपने क्षेत्र में जो धान लगाई जाती है. वो रोपाई के माध्यम से लगाई जाती है. डीएसआर तकनीक एक नवीन तकनीक है. जिसमें धान सीधे-सीधे सीड ड्रिल के माध्यम से खेत में इसकी बुवाई की जाती है.

paddy Buwai with DSR technology
DSR तकनीक से खेती के कई फायदे (ETV Bharat)

DSR तकनीक से खेती के फायदे

डीएसआर तकनीक से धान की खेती करने से हमारे समय की बचत तो होती ही है, लागत की भी बचत होती है. साथ ही उत्पादन भी अच्छा होता है. धान की खेती जब नर्सरी और रोपाई के माध्यम से करते हैं, तो पहले धान की नर्सरी लगाई जाती है. उसमें लागत लगती है, फिर इसके बाद उस धान की नर्सरी को दूसरे खेतों में ट्रांसप्लांट करने के लिए दूसरे खेतों को मचाया जाता है. उसमें लागत लगती है, फिर उस धान की नर्सरी को ट्रांसप्लांट किया जाता है. उसमें लागत लगती है, कुल मिलाकर रोपाई पद्धति से धान की खेती की जाती है. उसमें लागत ज्यादा लगती है, जबकि डीएसआर तकनीक से खेती करने से लागत में कमी आयेगी, क्योंकि इसमें धान की सीधे बुवाई होगी.

डीएसआर तकनीक, काम के ये मशीन

असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी बताते हैं की डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई के लिए डीएसआर मशीन ही आती है. जिसके माध्यम से सीधा-सीधा धान की बुवाई कर सकते हैं. जीरो सीड ड्रिल मशीन भी आती है. उससे भी धान की बुवाई कर सकते हैं. जो हमारी सामान्य सीड ड्रिल मशीन आती है. उसमें भी थोड़ा एडजस्टमेंट करके डीएपी मिला करके धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं.

Bumper Production In Farming
डीएसआर तकनीक से बुवाई (ETV Bharat)

बुवाई से पहले इन बातों का रखें ख्याल

डीएसआर तकनीक से खेती करने के लिए कुछ बातों का ख्याल भी रखना चाहिए. जैसे की अगर समय सूखी जुताई करने का है, तो सूखी गहरी जुताई खेतों की कर लें, जिससे खरपतवार नष्ट हो जाएं. अगर सुखी जुताई नहीं कर रहे हैं, तो खेतों के सामने जुताई गर्मी के समय में ही करवा लें. जिससे खरपतवार तो नष्ट हो ही जाए. खेत को धूप भी लग जाए और कीट व्याधि रोग के जो भी कारक हैं, वो इस कड़ी धूप में नष्ट हो जाएं. इतना ही नहीं खेतों की साफ सफाई पहले से कर लें. उसके बाद डीएसआर तकनीक से खेतों की बुवाई करवा दें.

बारिश से पहले भी खेतों की बुवाई कर सकते हैं और एक दो बारिश के बाद भी खेतों की बुवाई कर सकते हैं. कोशिश करें कि जहां डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई कर रहे हैं. वहां जमीन समतल हो, क्योंकि धान की बुवाई के लिए जो हमें डेप्थ चाहिए, वो दो से तीन सेंटीमीटर और धान की बुवाई दो से तीन सेंटीमीटर में ही होती है, जो हमें समतल जमीन में मिल जाती है.

DSR Technology in Farming
नई तकनीक से धान की करें बुवाई (ETV Bharat)

बंपर होगा उत्पादन

कृषि अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी कहते हैं कि डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई करने और खेती करने से फसल उत्पादन में कोई कमी नहीं आती है, बंपर उत्पादन होता है. अगर डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई करें, तो समय भी बचता है, लागत में भी कमी आती है. इतना ही नहीं अगर हम धान की नर्सरी लगाकर रोपाई के माध्यम से धान की खेती करते हैं, तो उसमें बहुत ज्यादा लागत लगती है और मेहनत भी ज्यादा लगती है. समय भी लगता है, लेकिन डीएसआर तकनीक से अगर डायरेक्ट खेतों पर सीड की बुवाई करते हैं, तो समय की भी बचत होती है. मेहनत भी कम लगती है और लागत भी कम लगती है और उत्पादन भी बंपर होता है.

MP Govt Discount on DSR Machine
बंपर होगी खेती (ETV Bharat)

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डीएसआर मशीन में सरकार दे रही छूट

शहडोल कृषि अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी बताते हैं की डीएसआर पद्धति का जो सीड ड्रिल आता है, वो एक लाख 20 हजार से लेकर 1 लाख 40 हजार तक का आता है. इसमें शासन का 18 हजार रुपए तक का अनुदान होता है. जो सामान्य सीड ड्रिल मशीन है, वो 55 हजार से लेकर के 60 हजार का आता है. जिसमें 16 से 18 हजार के बीच शासन की छूट होती है. सामान्य सीड ड्रिल से भी बुवाई कर सकते हैं. उसमें थोड़ा सा एडजस्टमेंट करना पड़ता है. जिसे आसानी से किया जा सकता है.

शहडोल। जून के महीने में ज्यादातर किसान अब अपनी खेती किसानी की तैयारी में जुटे हुए हैं. बारिश का इंतजार कर रहे हैं. अभी कुछ किसान खेतों की जुताई करवा रहे हैं, जिससे खरपतवार आदि नष्ट हो जाएं. जिससे बारिश होते ही वो अपनी फसलों की बुवाई कर सकें. शहडोल जिले में खरीफ सीजन में सबसे ज्यादा बड़े रकबे में धान की खेती की जाती है और धान की खेती के लिए अब नई-नई तकनीक भी आ रही हैं. ऐसे में डीएसआर पद्धति तकनीक एक ऐसी तकनीक है. जिसके माध्यम से धान की बुवाई करके किसान बंपर उत्पादन ले सकते हैं.

DSR तकनीक से करें धान की बुवाई (ETV Bharat)

DSR तकनीक से करें धान की बुवाई

शहडोल जिले के कृषि अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट एग्रीकल्चर इंजीनियर आरके पयासी बताते हैं की सीड ड्रिल का मतलब है की जब हम बुवाई करते हैं तो वो सीधा-सीधा लाइन टू लाइन लाइन बुवाई, इसके लिए जो मशीन आती है, उसे सीडड्रिल मशीन बोलते हैं. बात हम खरीफ की करें और अपने शहडोल जिले की करें तो यहां अभी खरीफ सीजन में धान की खेती अधिकतर क्षेत्रों में की जाती है. शहडोल जिले में धान की अधिकतर खेती रोपाई के माध्यम से होती है. मतलब पहले किसान धान की नर्सरी लगाता है, फिर खेतों की मचाई करता है और फिर उस नर्सरी को दूसरे खेतों में ट्रांसप्लांट कर देता है, लेकिन अभी जो नई तकनीक आई है. उसे डीएसआर तकनीक कहते हैं.

इस तकनीक के माध्यम से ही अब धान की बुवाई का प्रयास किया जा रहा है, कोशिश है की ज्यादा से ज्यादा किसान इस तकनीक से भी धान की बुवाई करें. जिससे किसानों को फायदा होगा. डीएसआर तकनीक जिसे डायरेक्ट सीडेड राइस कहा जाता है. अभी अपने क्षेत्र में जो धान लगाई जाती है. वो रोपाई के माध्यम से लगाई जाती है. डीएसआर तकनीक एक नवीन तकनीक है. जिसमें धान सीधे-सीधे सीड ड्रिल के माध्यम से खेत में इसकी बुवाई की जाती है.

paddy Buwai with DSR technology
DSR तकनीक से खेती के कई फायदे (ETV Bharat)

DSR तकनीक से खेती के फायदे

डीएसआर तकनीक से धान की खेती करने से हमारे समय की बचत तो होती ही है, लागत की भी बचत होती है. साथ ही उत्पादन भी अच्छा होता है. धान की खेती जब नर्सरी और रोपाई के माध्यम से करते हैं, तो पहले धान की नर्सरी लगाई जाती है. उसमें लागत लगती है, फिर इसके बाद उस धान की नर्सरी को दूसरे खेतों में ट्रांसप्लांट करने के लिए दूसरे खेतों को मचाया जाता है. उसमें लागत लगती है, फिर उस धान की नर्सरी को ट्रांसप्लांट किया जाता है. उसमें लागत लगती है, कुल मिलाकर रोपाई पद्धति से धान की खेती की जाती है. उसमें लागत ज्यादा लगती है, जबकि डीएसआर तकनीक से खेती करने से लागत में कमी आयेगी, क्योंकि इसमें धान की सीधे बुवाई होगी.

डीएसआर तकनीक, काम के ये मशीन

असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी बताते हैं की डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई के लिए डीएसआर मशीन ही आती है. जिसके माध्यम से सीधा-सीधा धान की बुवाई कर सकते हैं. जीरो सीड ड्रिल मशीन भी आती है. उससे भी धान की बुवाई कर सकते हैं. जो हमारी सामान्य सीड ड्रिल मशीन आती है. उसमें भी थोड़ा एडजस्टमेंट करके डीएपी मिला करके धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं.

Bumper Production In Farming
डीएसआर तकनीक से बुवाई (ETV Bharat)

बुवाई से पहले इन बातों का रखें ख्याल

डीएसआर तकनीक से खेती करने के लिए कुछ बातों का ख्याल भी रखना चाहिए. जैसे की अगर समय सूखी जुताई करने का है, तो सूखी गहरी जुताई खेतों की कर लें, जिससे खरपतवार नष्ट हो जाएं. अगर सुखी जुताई नहीं कर रहे हैं, तो खेतों के सामने जुताई गर्मी के समय में ही करवा लें. जिससे खरपतवार तो नष्ट हो ही जाए. खेत को धूप भी लग जाए और कीट व्याधि रोग के जो भी कारक हैं, वो इस कड़ी धूप में नष्ट हो जाएं. इतना ही नहीं खेतों की साफ सफाई पहले से कर लें. उसके बाद डीएसआर तकनीक से खेतों की बुवाई करवा दें.

बारिश से पहले भी खेतों की बुवाई कर सकते हैं और एक दो बारिश के बाद भी खेतों की बुवाई कर सकते हैं. कोशिश करें कि जहां डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई कर रहे हैं. वहां जमीन समतल हो, क्योंकि धान की बुवाई के लिए जो हमें डेप्थ चाहिए, वो दो से तीन सेंटीमीटर और धान की बुवाई दो से तीन सेंटीमीटर में ही होती है, जो हमें समतल जमीन में मिल जाती है.

DSR Technology in Farming
नई तकनीक से धान की करें बुवाई (ETV Bharat)

बंपर होगा उत्पादन

कृषि अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी कहते हैं कि डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई करने और खेती करने से फसल उत्पादन में कोई कमी नहीं आती है, बंपर उत्पादन होता है. अगर डीएसआर तकनीक से धान की बुवाई करें, तो समय भी बचता है, लागत में भी कमी आती है. इतना ही नहीं अगर हम धान की नर्सरी लगाकर रोपाई के माध्यम से धान की खेती करते हैं, तो उसमें बहुत ज्यादा लागत लगती है और मेहनत भी ज्यादा लगती है. समय भी लगता है, लेकिन डीएसआर तकनीक से अगर डायरेक्ट खेतों पर सीड की बुवाई करते हैं, तो समय की भी बचत होती है. मेहनत भी कम लगती है और लागत भी कम लगती है और उत्पादन भी बंपर होता है.

MP Govt Discount on DSR Machine
बंपर होगी खेती (ETV Bharat)

यहां पढ़ें...

हिंदुस्तान के दिल में 'पीला सोना' कर रहा मालामाल, बुंदेलखंड में किसानों के खेत हुए गुलजार

अब इस फसल की खेती पर मिलेगा प्रति क्विंटल एक हजार का बोनस, बस करना होगा ये काम

डीएसआर मशीन में सरकार दे रही छूट

शहडोल कृषि अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी बताते हैं की डीएसआर पद्धति का जो सीड ड्रिल आता है, वो एक लाख 20 हजार से लेकर 1 लाख 40 हजार तक का आता है. इसमें शासन का 18 हजार रुपए तक का अनुदान होता है. जो सामान्य सीड ड्रिल मशीन है, वो 55 हजार से लेकर के 60 हजार का आता है. जिसमें 16 से 18 हजार के बीच शासन की छूट होती है. सामान्य सीड ड्रिल से भी बुवाई कर सकते हैं. उसमें थोड़ा सा एडजस्टमेंट करना पड़ता है. जिसे आसानी से किया जा सकता है.

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