करनाल: हरियाणा में बड़ी आबादी नशे की चपेट में है. नशे के शिकार हो चुके लोगों को इससे बाहर निकालने और नई आबादी को नशे की गिरफ्त से बचाने के लिए कई स्तरों पर अभियान चलाया जा रहा है. पुलिस-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग सहित सरकार की कई एजेंसियां इस दिशा में काम कर रही है. इस पर मोटी राशि खर्च हो रही है. इसके बावजूद कई जिलों में नशा के मामले काबू में नहीं है. इनमें से एक जिला है करनाल.
हर आयु वर्ग के लोग नशे का शिकार करनाल स्वास्थ्य विभाग की बात करें तो जिले में 2022 से नशे करने वाले लोगों के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हर साल यहां आंकड़े दोगुना होते जा रहे हैं. इतना ही नहीं अब करनाल जैसे शहर इलाके में महिलाएं भी नशा की शिकार हो रही हैं. युवा से लेकर बुजुर्ग हर कोई नशा कर रहा है. करनाल स्वास्थ्य विभाग के एक डॉक्टर ने बताया कि कैसे नशे करने वाले व्यक्ति की पहचान की जा सकती है.
एक साल में संख्या 621 से 1202 हुआ: करनाल स्वास्थ्य विभाग के एक डॉक्टर ने बताया कि उनके पास वर्ष 2022 में नशा से मुक्ति के लिए काउंसलिंग/इलाज के लिए 621 मामले आये थे. वर्ष 2023 में उसके पास 1202 नशे के रोगी काउंसिलिंग/इलाज करवाने के लिए आए थे. यह संख्या एक साल के भी ही डबल हो गया. वर्ष 2024 में 2249 नशे के रोगी उनके पास इलाज करवाने के लिए आए थे. तीसरे साल भी लगातार यह लगभग दोगुने हुए हैं. पिछले 3 सालों में नशे करने वाले लोगों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और नशा छोड़ने के लिए इलाज करवाने के लिए भी काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं.
कोविड के बाद नशे करने वालों के मामलों में हुई है बढ़ोतरी करनाल सिविल हॉस्पिटल में तैनात डॉक्टर सौभाग्य सिंधु ने बताया कि नशा करने से रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है लेकिन कहीं ना कहीं लोगों को समझना होगा कि नशा उनके स्वास्थ्य के लिए और उनके परिवार के लिए किस प्रकार से हानिकारक हो सकता है. उन्होंने बताया कि कोरोना के बाद 2022 से नशे करने वालों के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. उनके पास काउंसलिंग और नशा छोड़ने के लिए काफी संख्या में लोग आ रहे हैं और 2022 से इनकी संख्या हर साल दोगुनी होती जा रही है. उनके पास 14 वर्ष से लेकर उम्रदराज लोग भी नशा छोड़ने के लिए काउंसलिंग के लिए आ रहे हैं तो ऐसे में यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि पिछले कुछ सालों में नशा करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.
करनाल जैसे शहर में महिलाएं भी कर ही नशा: डॉक्टर सौभाग्य सिंधु ने बताया कि जहां पुरुष नशे के आदि माने जाते हैं. वहीं अब महिलाएं भी नशा करने लगी हैं. उनके पास काफी संख्या में ऐसी महिलाएं आती हैं जो नशा करती हैं और नशा छोड़ना चाहती हैं. कहीं ना कहीं वह अपनी युवा अवस्था में बुरी संगति के चलते नशे की शिकार हो गईं, जिससे अब वह अब परेशान होकर उनके पास नशा छोड़ने के लिए काउंसलिंग के लिए पहुंच रही हैं.
अस्पताल में फ्री में की जा रही काउंसलिंग और इलाज: डॉक्टर सौभाग्य सिंधु ने बताया कि जहां नशा बढ़ता जा रहा है तो वहीं नशे को छोड़ने के लिए भी लोगों में जागरूकता आ रही है. उनके पास काफी संख्या में लोग नशा छोड़ने के लिए पहुंच रहे हैं. हम पहले उनकी काउंसलिंग करते हैं. अगर वह काउंसलिंग से या दवाइयां से नशा छोड़ देते हैं तो बहुत अच्छी बात होती है. अगर वह नशे के ज्यादा आदि होते हैं तो उनको नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती किया जाता है, जहां पर उनका नशा छुड़वाने के लिए काम किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग उनको फ्री में काउंसलिंग देता है और फ्री में ही मेडिसिन और नशा मुक्ति केंद्र में रखने का काम करता है.
युवाओं में बढ़ रहा है हुक्के का चलन: डॉ. सौभाग्य सिंधु ने बताया कि समाज में रहने वाले लोग उन के पास नशा छोड़ने के लिए पहुंचते हैं. उसमें ज्यादातर लोग शराब, सुल्फा, अफीम, दवाइयां का नशा, इंजेक्शन से नशा, बीड़ी, सिगरेट और हुक्का के आदि होते हैं. हुक्के का चलन की बात करें तो कुछ सालों में बढ़ा है. युवा इसकी तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं. इस प्रकार के नाश करने वाले लोग काउंसलिंग के लिए ज्यादा पहुंचते हैं.
लोगों को किया जा रहा जागरूक करनाल सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बताया कि नशे से दूर रहने के लिए स्वास्थ्य विभाग और सरकार के द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है ताकि वह जान पाए कि नशा उनके लिए किस प्रकार से हानिकारक होता है. नशा उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है तो उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी कमजोर करता है. इस से समाज में उसका नाम भी खराब होता है.
नशे करने वाले की कैसे करें पहचानः डॉ. सौभाग्य सिंधु ने बताया कि युवा ज्यादा नशे की तरफ बढ़ रहे हैं. ऐसे में परिवार के लोगों को अपने बच्चों की समय-समय पर काउंसलिंग करनी चाहिए.
नशा करने वाले लोगों में ये लक्षण हो सकते हैं.
- पेट से संबंधित समस्याएं रहना.
- मानसिक संतुलन ठीक नहीं रहना.
- बर्ताव में बदलाव आना.
- शरीर में दर्द रहना.
- नींद की समस्याएं होना.
- अक्सर बेचैन रहना
- आंख और नाक से पानी आना.
- धड़कन एकदम से तेज हो जाना.
- कुछ काम करने का मन ना करना.
युवाओं और बच्चों का नियमित रूप से करें काउंसलिंग कुछ लोग कई अन्य प्रकार के नशे करते हैं. कई बार उनके हाथ पर भी काले-काले निशान होते हैं. ऐसे में सभी माता-पिता या परिवार के सदस्य अपने युवा बच्चों को देखते रहें. उनकी काउंसलिंग करते रहें. बच्चों और युवाओं को नशा के बारे में जागरूक करें ताकि उनको समय रहते ही पता लग सके कि उनका बच्चा नशा कर रहा है.
इच्छाशक्ति हो तो नशा से छूट सकता है पीछा: जो लोग नशा छोड़ना चाहते हैं. सबसे पहले उनको खुद ही यह मन बनना होगा कि वह नशा छोड़ना चाहते हैं. तभी नशा छोड़ना संभव हो सकता है. कुछ लोग जो अपने परिवार के सदस्य से नशा छुड़वाना चाहते हैं, वह पुलिस से संपर्क कर सकते हैं. इसके लिए पुलिस विभाग की ओर से टोल फ्री नंबर जारी किया गया है. उन पर संपर्क कर सकते हैं या उनके विभाग में आकर संपर्क कर सकते हैं और अपने परिवार के सदस्य की काउंसलिंग करवा सकते हैं.