ETV Bharat / state

बारिश और बर्फबारी का बेसब्री से इंतजार, महज 10 दिनों के बाद हो जाएगा इतना बड़ा नुकसान

Drought In Himachal: हिमाचल प्रदेश में अगर 10 दिनों में बर्फबारी और बारिश नहीं हुई तो सेब की फसल को भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि ये समय अगर निकल गया तो किसानों और बागवानों के हाथ कुछ नहीं आएगा. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं आइए जानते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

Drought In Himachal
Drought In Himachal
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 25, 2024, 5:48 PM IST

Updated : Jan 25, 2024, 8:47 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में करीब तीन माह बीत जाने के बाद भी कुल्लू में मेघ नहीं बरसे हैं. बारिश हिमपात न होने के किसान बागवान चिंतित हो गए हैं. अगर आने वाले 10 दिनों में हिमपात और बारिश नहीं हुई तो सेब की फसल पर भारी नुकसान हो सकता है. जिला कुल्लू में 24919.50 हेक्टेयर भूमि पर होती है सेब की सामान्य किस्में और 2290.37 हेक्टेयर भूमि पर होती है सेब की स्पर किस्मों की पैदावार होती है. जिला कुल्लू में 15 जुलाई से सेब का तुड़ान शुरू होता है और 15 अक्टूबर तक चलता है. ऐसे में सेब की बेहतर फसल को लेकर हिमपात और बारिश के लिए किसान बागवान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. अब तो बागवानों को चिलिंग आवर्स पूरे होने का डर सताने लगा है.

कुल्लू जिले में हर साल सेब की पैदावार में बढ़ोतरी हो रही है. इस बार सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे न होने का डर सताने लगा है. हालांकि अभी तक चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हुए हैं. सेब के लिए 1200 से 1400 घंटे का सात डिग्री सेल्सियस तापमान का होना जरूरी है. ऐसे में सेब का उत्पादन बेहतर और गुणवत्ता भी अच्छी होती है. कुछ स्पर वैरायटी के लिए 500 से 900 घंटे का चिलिंग आवर्स की आवश्यकता रहती है.

Drought In Himachal
हिमाचल में 2011 से 2022 तक प्रतिवर्ष उत्पादन

बारिश के लंबे इंतजार ने किसानों-बागवानों को चिंता में डाल दिया है. लंबे अंतराल से बारिश न होने से बगीचों और खेतों में कृषि-बागवानी के कार्यों पर ब्रेक लग गई है. सेब बगीचों और खेतों में सूखे के चलते नमी न के बराबर है. बागवान न तो नए पौधे लगाने के लिए गड्ढे बना पा रहे हैं और न ही गोबर, खाद डालने का काम कर सके हैं. ऐसे में बागवान चिंतित हैं कि कब बारिश होगी और कब बगीचों में अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे. अक्टूबर से लेकर जनवरी तक इस बार मौसम की बेरुखी किसानों-बागवानों के गले नहीं उतर रही है.

जिला कुल्लू में हिमपात और बारिश न होने के कारण बागवान परेशान हैं. बागवान फरवरी माह तक प्रूनिंग के कार्य को पूरा कर सकते हैं. बागवानों को सलाह है कि वह मौसम के अनुसार ही सेब के पौधों पर कार्य करें-बीएम चौहान उपनिदेशक उद्यान विभाग कुल्लू.

कब-कब कितनी हुई पैदावार: जिला कुल्लू में पिछले पांच सालों में सेब का उत्पादन वर्ष 2018-19, 76019.04, वर्ष 2019-20 में 131194, वर्ष 2020-21 में 92260, वर्ष 2021-22 में 115049, वर्ष 2022-23 में 14102.75, वर्ष 2023-24 102860 मिट्रिक टन उत्पादन हुआ है. इसी प्रकार प्लम का वर्ष 2018-19 में 4101.68, वर्ष 2019-20 में 7647.83, वर्ष 2020-21 में 3999.28, वर्ष 2021-22 में 6304.93, वर्ष 2022-23 में 8152.59, वर्ष 2023-24 में 6931 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है. नाशपाती का वर्ष 2018-19, 1552.18, वर्ष 2019-20 में 4119.19, वर्ष 2020-21 में 1588.68, वर्ष 2021-22 में 4966.81, वर्ष 2022-23 में 4228.59,वर्ष 2022-23 में 2424.62 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है.

ये भी पढ़ें- Himachal Weather: आसमान में उमड़े बादल, आज शाम से खराब होगा मौसम, निचले इलाकों में धुंध को लेकर Alert

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में करीब तीन माह बीत जाने के बाद भी कुल्लू में मेघ नहीं बरसे हैं. बारिश हिमपात न होने के किसान बागवान चिंतित हो गए हैं. अगर आने वाले 10 दिनों में हिमपात और बारिश नहीं हुई तो सेब की फसल पर भारी नुकसान हो सकता है. जिला कुल्लू में 24919.50 हेक्टेयर भूमि पर होती है सेब की सामान्य किस्में और 2290.37 हेक्टेयर भूमि पर होती है सेब की स्पर किस्मों की पैदावार होती है. जिला कुल्लू में 15 जुलाई से सेब का तुड़ान शुरू होता है और 15 अक्टूबर तक चलता है. ऐसे में सेब की बेहतर फसल को लेकर हिमपात और बारिश के लिए किसान बागवान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. अब तो बागवानों को चिलिंग आवर्स पूरे होने का डर सताने लगा है.

कुल्लू जिले में हर साल सेब की पैदावार में बढ़ोतरी हो रही है. इस बार सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे न होने का डर सताने लगा है. हालांकि अभी तक चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हुए हैं. सेब के लिए 1200 से 1400 घंटे का सात डिग्री सेल्सियस तापमान का होना जरूरी है. ऐसे में सेब का उत्पादन बेहतर और गुणवत्ता भी अच्छी होती है. कुछ स्पर वैरायटी के लिए 500 से 900 घंटे का चिलिंग आवर्स की आवश्यकता रहती है.

Drought In Himachal
हिमाचल में 2011 से 2022 तक प्रतिवर्ष उत्पादन

बारिश के लंबे इंतजार ने किसानों-बागवानों को चिंता में डाल दिया है. लंबे अंतराल से बारिश न होने से बगीचों और खेतों में कृषि-बागवानी के कार्यों पर ब्रेक लग गई है. सेब बगीचों और खेतों में सूखे के चलते नमी न के बराबर है. बागवान न तो नए पौधे लगाने के लिए गड्ढे बना पा रहे हैं और न ही गोबर, खाद डालने का काम कर सके हैं. ऐसे में बागवान चिंतित हैं कि कब बारिश होगी और कब बगीचों में अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे. अक्टूबर से लेकर जनवरी तक इस बार मौसम की बेरुखी किसानों-बागवानों के गले नहीं उतर रही है.

जिला कुल्लू में हिमपात और बारिश न होने के कारण बागवान परेशान हैं. बागवान फरवरी माह तक प्रूनिंग के कार्य को पूरा कर सकते हैं. बागवानों को सलाह है कि वह मौसम के अनुसार ही सेब के पौधों पर कार्य करें-बीएम चौहान उपनिदेशक उद्यान विभाग कुल्लू.

कब-कब कितनी हुई पैदावार: जिला कुल्लू में पिछले पांच सालों में सेब का उत्पादन वर्ष 2018-19, 76019.04, वर्ष 2019-20 में 131194, वर्ष 2020-21 में 92260, वर्ष 2021-22 में 115049, वर्ष 2022-23 में 14102.75, वर्ष 2023-24 102860 मिट्रिक टन उत्पादन हुआ है. इसी प्रकार प्लम का वर्ष 2018-19 में 4101.68, वर्ष 2019-20 में 7647.83, वर्ष 2020-21 में 3999.28, वर्ष 2021-22 में 6304.93, वर्ष 2022-23 में 8152.59, वर्ष 2023-24 में 6931 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है. नाशपाती का वर्ष 2018-19, 1552.18, वर्ष 2019-20 में 4119.19, वर्ष 2020-21 में 1588.68, वर्ष 2021-22 में 4966.81, वर्ष 2022-23 में 4228.59,वर्ष 2022-23 में 2424.62 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है.

ये भी पढ़ें- Himachal Weather: आसमान में उमड़े बादल, आज शाम से खराब होगा मौसम, निचले इलाकों में धुंध को लेकर Alert

Last Updated : Jan 25, 2024, 8:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.