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यूपीएसआरटीसी ने चालकों के टेस्ट के लिए बनाए चार जोन, जानिए कैसे मिलेगा फायदा - Driving Test for Roadways Drivers

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने रोडवेज चालकों के टेस्ट (Driving Test for Roadways Drivers) के लिए चार जोन निर्धारित किए हैं. परिवहन विभाग का दावा है कि इससे चालक पदों के अभ्यर्थियों को ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा.

यूपी में बस चालकों के टेस्ट के लिए सेंटर.
यूपी में बस चालकों के टेस्ट के लिए सेंटर. (Photo Credit-Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 10, 2024, 10:47 AM IST

रोडवेज चालकों के टेस्ट के लिए नई व्यवस्था पर लखनऊ से अखिल पांडेय की खास रिपोर्ट. (Video Credit-Etv Bharat)
जानिए टेस्ट के तरीके.
जानिए टेस्ट के तरीके. (Photo Credit-Etv Bharat)

लखनऊ : रोडवेज चालकों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने टेस्टिंग को चार जोन में बांट दिया है. अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संविदा चालकों को पहला टेस्ट क्षेत्रीय स्तर पर देना होगा और दूसरा टेस्ट दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड रिसर्च सेंटर में देना होगा. यहां से पास होने के बाद ही उन्हें रोडवेज बस की स्टीयरिंग थामने का ग्रीन सिग्नल मिलेगा.

यूपी में बनाए गए टेस्टिंग सेंटर.
यूपी में बनाए गए टेस्टिंग सेंटर. (Photo Credit-Etv Bharat)

मौजूदा समय कानपुर स्थित रोडवेज की कार्यशाला में हर रोज सिर्फ 70 से 80 टेस्ट ही हो पा रहे हैं. कानपुर कार्यशाला पर टेस्टिंग का भार कम पड़े इसे ध्यान में रखकर रायबरेली के आईडीटीआर में मध्य यूपी के चालक अपना टेस्ट देंगे. पूर्वी उत्तर प्रदेश के चालक बनारस में टेस्ट देंगे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों के चालक लोनी में तो कई जिलों के अन्य संविदा चालक दिल्ली के रिसर्च सेंटर में टेस्ट देंगे. परिवहन निगम के प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि चालकों के अभाव में प्रदेश भर में तमाम बसें खड़ी हो रही हैं जबकि कानपुर कार्यशाला में अगस्त माह तक टेस्टिंग की वेटिंग चल रही है.

यूपीएसआरटीसी के जनसंपर्क अधिकारी अजीत सिंह का कहना है कि ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर लोनी में बनाया गया है. वह वेस्टर्न यूपी को कवर करेगा. रायबरेली में इंस्टीट्यूट आफ ड्राइविंग ट्रेंनिंग एंड रिसर्च (आइडीटीआर) सेंटर शुरू हो गया है वह सेंट्रल यूपी को कवर करेगा. बनारस में भी 10 दिन बाद टेस्टिंग सेंटर शुरू होने जा रहा है तो इससे कानपुर पर लोड कम हो जाएगा. उन्होंने बताया कि कानपुर में एक दिन में लिमिटेड टेस्ट ही हो पाते हैं. प्रतिदिन करीब 100 टेस्ट होते हैं. अभी हमारे पास वेटिंग 200 ड्राइवर की हो गई है. उनके जुलाई में टेस्ट नहीं हो सकते. अगस्त में उन्हें समय दिया जा रहा है. एक तरफ हमारे यहां चालकों का अभाव है, गाड़ियां संचालित नहीं हो पा रही है वहीं दूसरी दूसरी तरफ हमें इतने दिन वेट करना पड़ेगा. इसी को ध्यान में रखकर जो प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर बने हैं उनसे बड़ी सहूलियत हो जाएगी.


बता दें, परिवहन निगम के चालकों को भर्ती के दौरान दो तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ता है. अप्लाई करने के बाद उनकी सभी तरह की अर्हताओं की जांच परिवहन निगम के अधिकारी करते हैं. उनकी आठवीं की शिक्षा के साथ ही दो साल पुराना हैवी ड्राइविंग लाइसेंस चेक किया जाता है. कागज वेरीफाई करने के बाद उनका प्री टेस्ट लिया जाता है. जिसमें गाड़ी चलवाकर देखी जाती है.

यहां टेस्ट में पास होने के बाद उन चालकों को कानपुर कार्यशाला में टेस्ट देने के लिए भेजा जाता है. यहां पर कई चरणों के टेस्ट से गुजरने के बाद उन्हें परिवहन निगम की बसों को चलाने का ग्रीन सिग्नल दिया जाता है. टेस्ट के लिए अभी तक पूरे प्रदेश के चालकों को कानपुर स्थित रोडवेज की केंद्रीय कार्यशाला में आना पड़ता था. दो दिन तक उन्हें यहां रुकना पड़ता था, लेकिन अब विभिन्न क्षेत्रों में टेस्टिंग सेंटर बनने के बाद चालकों की भागदौड़ बचेगी और परिवहन निगम की बसों को भी चालकों के अभाव में वर्कशॉप में खड़ा नहीं होना पड़ेगा.





यह भी पढ़ें : यूपी रोडवेज बसों की अब लाइव ट्रैकिंग, ट्रेन के जैसे ही एक क्लिक पर यात्री पता कर सकेंगे कहां पहुंची उनकी बस - up roadways news

यह भी पढ़ें : इनकम हुई कम तो अब सभी तरह की Bus Fare कम करने की तैयारी कर रहा परिवहन निगम

रोडवेज चालकों के टेस्ट के लिए नई व्यवस्था पर लखनऊ से अखिल पांडेय की खास रिपोर्ट. (Video Credit-Etv Bharat)
जानिए टेस्ट के तरीके.
जानिए टेस्ट के तरीके. (Photo Credit-Etv Bharat)

लखनऊ : रोडवेज चालकों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने टेस्टिंग को चार जोन में बांट दिया है. अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संविदा चालकों को पहला टेस्ट क्षेत्रीय स्तर पर देना होगा और दूसरा टेस्ट दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड रिसर्च सेंटर में देना होगा. यहां से पास होने के बाद ही उन्हें रोडवेज बस की स्टीयरिंग थामने का ग्रीन सिग्नल मिलेगा.

यूपी में बनाए गए टेस्टिंग सेंटर.
यूपी में बनाए गए टेस्टिंग सेंटर. (Photo Credit-Etv Bharat)

मौजूदा समय कानपुर स्थित रोडवेज की कार्यशाला में हर रोज सिर्फ 70 से 80 टेस्ट ही हो पा रहे हैं. कानपुर कार्यशाला पर टेस्टिंग का भार कम पड़े इसे ध्यान में रखकर रायबरेली के आईडीटीआर में मध्य यूपी के चालक अपना टेस्ट देंगे. पूर्वी उत्तर प्रदेश के चालक बनारस में टेस्ट देंगे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों के चालक लोनी में तो कई जिलों के अन्य संविदा चालक दिल्ली के रिसर्च सेंटर में टेस्ट देंगे. परिवहन निगम के प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि चालकों के अभाव में प्रदेश भर में तमाम बसें खड़ी हो रही हैं जबकि कानपुर कार्यशाला में अगस्त माह तक टेस्टिंग की वेटिंग चल रही है.

यूपीएसआरटीसी के जनसंपर्क अधिकारी अजीत सिंह का कहना है कि ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर लोनी में बनाया गया है. वह वेस्टर्न यूपी को कवर करेगा. रायबरेली में इंस्टीट्यूट आफ ड्राइविंग ट्रेंनिंग एंड रिसर्च (आइडीटीआर) सेंटर शुरू हो गया है वह सेंट्रल यूपी को कवर करेगा. बनारस में भी 10 दिन बाद टेस्टिंग सेंटर शुरू होने जा रहा है तो इससे कानपुर पर लोड कम हो जाएगा. उन्होंने बताया कि कानपुर में एक दिन में लिमिटेड टेस्ट ही हो पाते हैं. प्रतिदिन करीब 100 टेस्ट होते हैं. अभी हमारे पास वेटिंग 200 ड्राइवर की हो गई है. उनके जुलाई में टेस्ट नहीं हो सकते. अगस्त में उन्हें समय दिया जा रहा है. एक तरफ हमारे यहां चालकों का अभाव है, गाड़ियां संचालित नहीं हो पा रही है वहीं दूसरी दूसरी तरफ हमें इतने दिन वेट करना पड़ेगा. इसी को ध्यान में रखकर जो प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर बने हैं उनसे बड़ी सहूलियत हो जाएगी.


बता दें, परिवहन निगम के चालकों को भर्ती के दौरान दो तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ता है. अप्लाई करने के बाद उनकी सभी तरह की अर्हताओं की जांच परिवहन निगम के अधिकारी करते हैं. उनकी आठवीं की शिक्षा के साथ ही दो साल पुराना हैवी ड्राइविंग लाइसेंस चेक किया जाता है. कागज वेरीफाई करने के बाद उनका प्री टेस्ट लिया जाता है. जिसमें गाड़ी चलवाकर देखी जाती है.

यहां टेस्ट में पास होने के बाद उन चालकों को कानपुर कार्यशाला में टेस्ट देने के लिए भेजा जाता है. यहां पर कई चरणों के टेस्ट से गुजरने के बाद उन्हें परिवहन निगम की बसों को चलाने का ग्रीन सिग्नल दिया जाता है. टेस्ट के लिए अभी तक पूरे प्रदेश के चालकों को कानपुर स्थित रोडवेज की केंद्रीय कार्यशाला में आना पड़ता था. दो दिन तक उन्हें यहां रुकना पड़ता था, लेकिन अब विभिन्न क्षेत्रों में टेस्टिंग सेंटर बनने के बाद चालकों की भागदौड़ बचेगी और परिवहन निगम की बसों को भी चालकों के अभाव में वर्कशॉप में खड़ा नहीं होना पड़ेगा.





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