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Delhi: 'बोनस के नाम पर घर का पुराना सामान मिलता है, हम भी इंसान है...'दिवाली से पहले घरेलू कामगार महिलाओं का दर्द सुनिए

-घरेलू कामगार महिलाओं का छलका दर्द -'बोनस के नाम पर घर का पुराना सामान दे देते हैं लोग' -बोनस के लिए चला रहे हैं कैंपेन

घरेलू कामगार महिलाओं की बोनस की मांग
घरेलू कामगार महिलाओं की बोनस की मांग (SOURCE: ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 23, 2024, 7:08 AM IST

Updated : Oct 23, 2024, 11:57 AM IST

नई दिल्ली: दिवाली बोनस का हर किसी को इंतजार रहता है, बड़ी-बड़ी कंपनियों और MNC में काम कर रहे लोगों को उनके वेतन के मुताबिक बोनस मिलता है. वहीं घरों में काम कर रही सैकड़ों घरेलू कामगार महिलाओं के लिए आज भी ऐसी कोई सुविधा नहीं है. ETV भारत ने दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में काम करने वाली कुछ घरेलू कामगार महिलाओं से जाना कि हर साल उनकी दिवाली कैसी होती है. क्या बोनस के तौर पर उन्हें भी कुछ मिलता है.

15 वर्षों से घरेलू कामगार के तौर पर काम करने वाली रेखा ने बताया कि दिवाली के करीब आते ही हर किसी की तरह हमें भी इंतजार होता है कि अच्छा बोनस मिलेगा. लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ. बोनस के नाम पर लोग अपने घरों में पड़ा पुराना सामान देते हैं. जब पुराना सामान उनके काम का नहीं है तो हमें क्या काम आएगा. हम चाहते हैं कि जिन घरों में हम 4-5 वर्षों से काम कर रहे हैं, वहां बोनस के तौर पर आधी सैलरी मिलनी चाहिए या कोई नई चीज. हम भी इंसान हैं. इंसानियत के नाते कम से कम इतना तो मिलना चाहिए.

घरेलू कामगार महिलाओं का दर्द (ETV Bharat)

'15 साल से काम कर रहे हैं, लेकिन कभी बोनस जैसा कुछ नहीं मिला'

रमावती ने बताया कि 15 वर्षों से लोगों के घरों में साफ सफाई काम करती हूं. लेकिन आज तक किसी ने मन चाहा या संतोषजनक बोनस या उपहार नहीं दिया. 'अगर मैं 5 साल की बात बताऊं तो किसी ने एक साड़ी और 50 रुपये, एक मिठाई का डिब्बा और 100 रुपये या एक साड़ी और एक मिठाई बस अभी तक इस तरह के बोनस मिलते हैं'. रमावती का मनाना हैं कि साल में एक बार ही दिवाली का त्योहार आता है. ऐसे में दिवाली बोनस के तौर पर एक महीने की सैलरी के बराबर बोनस दिया जाना चाहिए. अगर ये भी मुश्किल है तो आधी सैलरी के बराबर बोनस देना ही चाहिए.

बोनस के लिए चला रहे कैंपेन

बता दें कि राजधानी में घरेलू कामगार महिलाओं के हक की आवाज उठाने वाला घरेलू कामकाजी यूनियन दिवाली से पहले बोनस कैंपेन चला रहा है. 20 दिन तक चलने वाले इस कैंपेन में सभी 1400 घरेलू कामगार महिलाओं को बोनस के प्रति जागरूक किया जा रहा है. यूनियन की सदस्य रेखा ने बताया कि यूनियन बीते 8 वर्षों से दिल्ली के 15 एरिया में घरेलू कामगार महिलाओं की समस्याओं को लेकर काम कर रही हैं. वर्तमान में 1400 घरेलू कामगार यूनियन के साथ जुड़ी हुई हैं. वहीं 3 वर्षों से दिवाली से पहले बोनस कैंपेन हो रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू कामगार महिलाओं को अच्छा बोनस दिलाना है. मतलब बोनस के नाम पर एक मिठाई का डिब्बा, साड़ी या 100- 50 रुपए से नहीं है.

महिलाओं की मांग, कम से कम आधी सैलरी मिले

यूनियन का मानना है इन महिलाओं को बोनस के तौर पर एक महीने की सैलरी या आधी सैलरी को देनी ही चाहिए. 2022 में जब इस कैंपेन का आयोजन किया गया था, तक केवल 100 महिलाएं ही यूनियन के साथ थी. उनको बोनस के प्रति जागरूक किया गया, जिसमें से 50 महिलाओं को अच्छा बोनस मिला। कई को बोनस के तौर पर एक महीने की सैलरी तो कई को एक महीने की सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा बोनस के तौर पर दिया गया था. जब कि कई महिलाओं ने काम जाने के डर से कैंपेन में हिस्सा नहीं लिया.

वहीं 2023 में जब कैंपेन का आयोजन किया गया, तो उनको बताया गया कि पिछले साल उनकी साथी महिलाओं को अच्छा बोनस मिला था. इस बात से प्रभावित होकर 750 घरेलू कामगार महिलाओं ने बोनस कैंपेन में हिस्सा लिया और अपने अधिकारों को जाना. इसी तरह इस बार 28 अक्टूबर तक बोनस कैंपेन का आयोजन किया किया जा रहा है.. इस बार करीब 1200 महिलाओं ने बोनस कैंपेन में हिस्सा लिया है. वहीं हर बार दिवाली के बाद इस बार फिर सभी के साथ एक बैठक का आयोजन किया जाता है. ताकि यह पता लग पाए की किसको कितना बोनस मिला है?

बोनस कैंपेन के दौरान सभी घरेलू कामगार महिलाओं को एक कार्ड दिया जाता है. इस कार्ड को वह अपनी अपनी मालकिन को देती है. इस कार्ड में लिखा होता है "बक्शीस नहीं, बोनस चाहिए". कई लोग तो इसे देखते ही फाड़ कर कूड़ेदान में फेंक देते हैं. लेकिन कई लोगों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और वह अपनी घरेलू कामगार को अच्छा बोनस देते हैं.

ये भी पढ़ें-देशभर में दिवाली बोनस का ऐलान, कर्मचारियों के खाते में सरकार देगी तोहफा

ये भी पढ़ें-सुपरपावर बनने को तैयार हम, फिर भी मजदूर हैं परेशान, जानें उनकी समस्याएं और मांगें

नई दिल्ली: दिवाली बोनस का हर किसी को इंतजार रहता है, बड़ी-बड़ी कंपनियों और MNC में काम कर रहे लोगों को उनके वेतन के मुताबिक बोनस मिलता है. वहीं घरों में काम कर रही सैकड़ों घरेलू कामगार महिलाओं के लिए आज भी ऐसी कोई सुविधा नहीं है. ETV भारत ने दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में काम करने वाली कुछ घरेलू कामगार महिलाओं से जाना कि हर साल उनकी दिवाली कैसी होती है. क्या बोनस के तौर पर उन्हें भी कुछ मिलता है.

15 वर्षों से घरेलू कामगार के तौर पर काम करने वाली रेखा ने बताया कि दिवाली के करीब आते ही हर किसी की तरह हमें भी इंतजार होता है कि अच्छा बोनस मिलेगा. लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ. बोनस के नाम पर लोग अपने घरों में पड़ा पुराना सामान देते हैं. जब पुराना सामान उनके काम का नहीं है तो हमें क्या काम आएगा. हम चाहते हैं कि जिन घरों में हम 4-5 वर्षों से काम कर रहे हैं, वहां बोनस के तौर पर आधी सैलरी मिलनी चाहिए या कोई नई चीज. हम भी इंसान हैं. इंसानियत के नाते कम से कम इतना तो मिलना चाहिए.

घरेलू कामगार महिलाओं का दर्द (ETV Bharat)

'15 साल से काम कर रहे हैं, लेकिन कभी बोनस जैसा कुछ नहीं मिला'

रमावती ने बताया कि 15 वर्षों से लोगों के घरों में साफ सफाई काम करती हूं. लेकिन आज तक किसी ने मन चाहा या संतोषजनक बोनस या उपहार नहीं दिया. 'अगर मैं 5 साल की बात बताऊं तो किसी ने एक साड़ी और 50 रुपये, एक मिठाई का डिब्बा और 100 रुपये या एक साड़ी और एक मिठाई बस अभी तक इस तरह के बोनस मिलते हैं'. रमावती का मनाना हैं कि साल में एक बार ही दिवाली का त्योहार आता है. ऐसे में दिवाली बोनस के तौर पर एक महीने की सैलरी के बराबर बोनस दिया जाना चाहिए. अगर ये भी मुश्किल है तो आधी सैलरी के बराबर बोनस देना ही चाहिए.

बोनस के लिए चला रहे कैंपेन

बता दें कि राजधानी में घरेलू कामगार महिलाओं के हक की आवाज उठाने वाला घरेलू कामकाजी यूनियन दिवाली से पहले बोनस कैंपेन चला रहा है. 20 दिन तक चलने वाले इस कैंपेन में सभी 1400 घरेलू कामगार महिलाओं को बोनस के प्रति जागरूक किया जा रहा है. यूनियन की सदस्य रेखा ने बताया कि यूनियन बीते 8 वर्षों से दिल्ली के 15 एरिया में घरेलू कामगार महिलाओं की समस्याओं को लेकर काम कर रही हैं. वर्तमान में 1400 घरेलू कामगार यूनियन के साथ जुड़ी हुई हैं. वहीं 3 वर्षों से दिवाली से पहले बोनस कैंपेन हो रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू कामगार महिलाओं को अच्छा बोनस दिलाना है. मतलब बोनस के नाम पर एक मिठाई का डिब्बा, साड़ी या 100- 50 रुपए से नहीं है.

महिलाओं की मांग, कम से कम आधी सैलरी मिले

यूनियन का मानना है इन महिलाओं को बोनस के तौर पर एक महीने की सैलरी या आधी सैलरी को देनी ही चाहिए. 2022 में जब इस कैंपेन का आयोजन किया गया था, तक केवल 100 महिलाएं ही यूनियन के साथ थी. उनको बोनस के प्रति जागरूक किया गया, जिसमें से 50 महिलाओं को अच्छा बोनस मिला। कई को बोनस के तौर पर एक महीने की सैलरी तो कई को एक महीने की सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा बोनस के तौर पर दिया गया था. जब कि कई महिलाओं ने काम जाने के डर से कैंपेन में हिस्सा नहीं लिया.

वहीं 2023 में जब कैंपेन का आयोजन किया गया, तो उनको बताया गया कि पिछले साल उनकी साथी महिलाओं को अच्छा बोनस मिला था. इस बात से प्रभावित होकर 750 घरेलू कामगार महिलाओं ने बोनस कैंपेन में हिस्सा लिया और अपने अधिकारों को जाना. इसी तरह इस बार 28 अक्टूबर तक बोनस कैंपेन का आयोजन किया किया जा रहा है.. इस बार करीब 1200 महिलाओं ने बोनस कैंपेन में हिस्सा लिया है. वहीं हर बार दिवाली के बाद इस बार फिर सभी के साथ एक बैठक का आयोजन किया जाता है. ताकि यह पता लग पाए की किसको कितना बोनस मिला है?

बोनस कैंपेन के दौरान सभी घरेलू कामगार महिलाओं को एक कार्ड दिया जाता है. इस कार्ड को वह अपनी अपनी मालकिन को देती है. इस कार्ड में लिखा होता है "बक्शीस नहीं, बोनस चाहिए". कई लोग तो इसे देखते ही फाड़ कर कूड़ेदान में फेंक देते हैं. लेकिन कई लोगों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और वह अपनी घरेलू कामगार को अच्छा बोनस देते हैं.

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Last Updated : Oct 23, 2024, 11:57 AM IST
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