लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग में 9 वर्ष बाद ग्रेड वन के डॉक्टरों का प्रमोशन होगा और उन्हें ग्रेड टू में पदोन्नति मिलेगी. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने ग्रेड वन के 5384 डॉक्टरों का प्रस्ताव शासन में भेज दिया है, अनुमोदन मिलते ही संभवतः ग्रेड वन में करीब 2196 पद रिक्त हो जाएंगे और नई नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा.
स्वास्थ्य विभाग में 2012 और बाद में नियुक्त होने वाले चिकित्सकों को प्रोन्नति ने नहीं मिली. विभाग में ग्रेड वन के डॉक्टरों के प्रमोशन 2015 में अंतिम बार हुए थे. जिसमें 2011 तक नियुक्ति पाने वाले डॉक्टरों को प्रोन्नति मिल गई थी. विभागीय लापरवाही की वजह से नियुक्ति पाने वाले चिकित्सकों के विभाग में वरिष्ठता क्रम तक नहीं जारी हो सके. लिहाजा ग्रेड वन के प्रमोशन रुक गए. इतना ही नहीं, साल 2018 में विभाग की नई नियमावली बनने के बाद तकनीकी दिक्कतें बढ़ गईं और चिकित्सकों को चार साल की नौकरी के बाद मिलने वाली पदोन्नति नहीं मिली. लिहाजा, विभाग में नई सेवा नियमावली के बाद ग्रेड वन में निर्धारित 3620 पदों के सापेक्ष डॉक्टरों की संख्या बढ़कर करीब छह हजार से ज्यादा हो गई. पद रिक्त न होने की वजह से विभाग में ग्रेड वन के रेगुलर पदों पर नियुक्ति नहीं हो रही थी. वहीं ग्रेड टू में पदों की संख्या 7240 में अधिकांश लंबी अवधि से रिक्त चल रहे हैं.
कमोवेश यही हाल ग्रेड थ्री का भी है. ग्रेड टू में प्रमोशन न होने से तमाम पद खाली हैं. विभाग की 2018 में नई सेवा नियमावली बनने के बाद बीते साल जनवरी 2023 में ग्रेड वन के 5257 डॉक्टरों को वरिष्ठता क्रम जारी होने के बाद मौजूदा समय में डॉक्टरों की संख्या 6949 पहुंच गई है.
ग्रेड वन में 3620 पद
विभाग में चिकित्सकों के 19011 पद हैं. ग्रेड वन में 3620, ग्रेड टू में 7240, ग्रेड तीन में 5199, ग्रेड चार में 2825, ग्रेड पांच में 105, ग्रेड छह में 19 और ग्रेड सात में तीन पद हैं. विभाग में नियुक्ति के बाद चार साल की नौकरी करने के बाद ग्रेड वन से ग्रेड टू में प्रोन्नति का प्रावधान है.
निदेशक डॉ. राजा गणपति के मुताबिक ग्रेड वन के डॉक्टरों को प्रोन्नति मिलने के बाद विभाग में ग्रेड वन के पद रिक्त हो जाएंगे. रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए उप्र लोक सेवा आयोग में अधियाचन भेजा जाएगा. पूर्व की तकनीकी दिक्कतों को खत्म कर लिया गया है.