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आश्चर्यजनक: सात महीने के शिशु का फूला हुआ था पेट, डॉक्टरों ने किया चेक तो निकला मानव भ्रूण - human fetus in baby stomach

देहरादून जिले में हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर सात महीने के बच्चे के पेट से मानव भ्रूण निकाला है. ये हैरान करने वाली घटना उत्तराखंड में इन दिनों चर्चाओं में है.

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हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के डॉक्टरों की टीम. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 21, 2024, 4:02 PM IST

Updated : Aug 21, 2024, 4:08 PM IST

डोईवाला: उत्तराखंड के देहरादून जिले से हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां सात महीने से शिशु के पेट में मानव भ्रूण मिला है. इस भ्रूण को हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर निकाला और शिशु को नया जन्म दिया.

डॉक्टरों ने बताया कि शिशु अभी सिर्फ सात महीने का ही है, लेकिन उसका पेट तेजी से बढ़ रहा था. पहले तो परिजनों ने उसे नजरअंदाज किया, लेकिन बाद में शिशु का पेट आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ता देख परिजनों को चिंता होने लगी. आखिर में परिजन शिशु को लेकर डॉक्टर के पास गए, लेकिन कहीं से भी शिशु को कोई आराम नहीं मिला.

इसके बाद परिजन शिशु को लेकर हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट पहुंचे, जहां उन्होंने बच्चे को वरिष्ठ बाल शल्य-चिकित्सक डॉ. संतोष सिंह को दिखाया. प्राथमिक जांच में डॉक्टर संतोष सिंह को बच्चे की पेट में सामान्य गांठ होने का शक हुआ. लेकिन जब एक्सरे किया गया तो शिशु के पेट में मानव भ्रूण होने का पता चला.

ऑपरेशन के चार दिन बाद बच्चे को घर भेजा: डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि इसे मेडिकल भाषा में फीट्स-इन-फीटू (भ्रूण के अंदर भ्रूण) कहते हैं. बच्चे के जीवन को बचाने के लिए डॉक्टर ने ऑपरेशन करने का फैसला लिया, जिसके बारे में विस्तार से बच्चे के माता-पिता को भी बताया गया. इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने सात महीने के शिशु के पेट से ऑपरेशन कर अर्ध-विकसित मानव भ्रूण निकाला. ऑपरेशन को चार दिन बाद बच्चे को पूरी तरह से स्वस्थ कर घर भेज दिया गया. ऑपरेशन को सफल बनाने में डॉ. आयेशा, डॉ. हरीश, डॉ. वैष्णवी, गीता व रजनी ने सहयोग दिया.

क्या है फीट्स-इन-फीटू?: हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के बाल शल्य चिकित्सक डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि फीट्स-इन-फीटू मानव भ्रूण विकास की एक अत्यंत असामान्य घटना है. इसमें भ्रूण विकास के समय किसी अज्ञात वजह से एक भ्रूण दूसरे के अंदर विकसित होने लगता है, बिल्कुल एक परजीवी की भांति. अल्ट्रासाउंड से इसका पता मां के गर्भ में ही लगाया जा सकता है. हालांकि अधिकतर मामलों मे इसका पता जन्म के बाद ही चलता है.

5 लाख में से एक गर्भावस्था में होने की संभावना: डॉ. संतोष कुमार ने बताया फीटस-इन-फीटू जैसे केस लगभग 5,00,000 से भी अधिक गर्भावस्थाओं में किसी एक को हो सकता है. आमतौर पर ये मामले एक से दो वर्ष तक के शिशु के पेट के असामान्य तरीके से बढ़ने के कारण ही संज्ञान में आ पाते हैं.

हालांकि, साधारणतया शिशु को जान का खतरा नहीं होता है, लेकिन इस वजह से अन्य गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. इस अवस्था का एकमात्र इलाज ऑपरेशन ही है, जिसे जल्दी से जल्दी करवा लेना चाहिए.

पढ़ें--

डोईवाला: उत्तराखंड के देहरादून जिले से हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां सात महीने से शिशु के पेट में मानव भ्रूण मिला है. इस भ्रूण को हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर निकाला और शिशु को नया जन्म दिया.

डॉक्टरों ने बताया कि शिशु अभी सिर्फ सात महीने का ही है, लेकिन उसका पेट तेजी से बढ़ रहा था. पहले तो परिजनों ने उसे नजरअंदाज किया, लेकिन बाद में शिशु का पेट आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ता देख परिजनों को चिंता होने लगी. आखिर में परिजन शिशु को लेकर डॉक्टर के पास गए, लेकिन कहीं से भी शिशु को कोई आराम नहीं मिला.

इसके बाद परिजन शिशु को लेकर हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट पहुंचे, जहां उन्होंने बच्चे को वरिष्ठ बाल शल्य-चिकित्सक डॉ. संतोष सिंह को दिखाया. प्राथमिक जांच में डॉक्टर संतोष सिंह को बच्चे की पेट में सामान्य गांठ होने का शक हुआ. लेकिन जब एक्सरे किया गया तो शिशु के पेट में मानव भ्रूण होने का पता चला.

ऑपरेशन के चार दिन बाद बच्चे को घर भेजा: डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि इसे मेडिकल भाषा में फीट्स-इन-फीटू (भ्रूण के अंदर भ्रूण) कहते हैं. बच्चे के जीवन को बचाने के लिए डॉक्टर ने ऑपरेशन करने का फैसला लिया, जिसके बारे में विस्तार से बच्चे के माता-पिता को भी बताया गया. इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने सात महीने के शिशु के पेट से ऑपरेशन कर अर्ध-विकसित मानव भ्रूण निकाला. ऑपरेशन को चार दिन बाद बच्चे को पूरी तरह से स्वस्थ कर घर भेज दिया गया. ऑपरेशन को सफल बनाने में डॉ. आयेशा, डॉ. हरीश, डॉ. वैष्णवी, गीता व रजनी ने सहयोग दिया.

क्या है फीट्स-इन-फीटू?: हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के बाल शल्य चिकित्सक डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि फीट्स-इन-फीटू मानव भ्रूण विकास की एक अत्यंत असामान्य घटना है. इसमें भ्रूण विकास के समय किसी अज्ञात वजह से एक भ्रूण दूसरे के अंदर विकसित होने लगता है, बिल्कुल एक परजीवी की भांति. अल्ट्रासाउंड से इसका पता मां के गर्भ में ही लगाया जा सकता है. हालांकि अधिकतर मामलों मे इसका पता जन्म के बाद ही चलता है.

5 लाख में से एक गर्भावस्था में होने की संभावना: डॉ. संतोष कुमार ने बताया फीटस-इन-फीटू जैसे केस लगभग 5,00,000 से भी अधिक गर्भावस्थाओं में किसी एक को हो सकता है. आमतौर पर ये मामले एक से दो वर्ष तक के शिशु के पेट के असामान्य तरीके से बढ़ने के कारण ही संज्ञान में आ पाते हैं.

हालांकि, साधारणतया शिशु को जान का खतरा नहीं होता है, लेकिन इस वजह से अन्य गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. इस अवस्था का एकमात्र इलाज ऑपरेशन ही है, जिसे जल्दी से जल्दी करवा लेना चाहिए.

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Last Updated : Aug 21, 2024, 4:08 PM IST
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