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श्रीनगर अस्पताल में बच्चों की जन्मजात CTEV बीमारी का सफल इलाज, अब शहरों का नहीं करना होगा रुख - Srinagar Joint Hospital

Sub District Hospital Srinagar उप जिला अस्पताल श्रीनगर के डॉक्टरों को बच्चों की जन्मजात सीटीईवी बीमारी के इलाज में संभावित सफलता मिली है. अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बच्चे को बीमारी से मुक्त कर दिया है और 2 बच्चों का इलाज जारी है.

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फोटो-ईटीवी भारत
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 27, 2024, 10:34 PM IST

Updated : Mar 27, 2024, 10:40 PM IST

श्रीनगर अस्पताल में बच्चों की जन्मजात CTEV बीमारी का सफल इलाज.

श्रीनगरः शिशुओं में होने वाली जन्मजात बीमारी कंजेनाइटल टैलिप्स इक्विनो वायरस (सीटीईवी) का उपचार अब उप जिला अस्पताल श्रीनगर में भी संभव हो गया है. अभी तक इस बीमारी से ग्रसित बच्चों को एम्स ऋषिकेश भेजा जाता था. डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी को 'क्लब फुट' के नाम से भी जाना जाता है. इसमें बच्चों के पैर जन्म से ही टेढ़े हो जाते हैं. समय पर उपचार न मिलने पर बच्चों में विकलांगता की समस्या से जिंदगी भर गुजरना पड़ता है.

डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चे के जन्म होते ही इस बीमारी की पहचान माता-पिता कर सकते हैं. इस बीमारी में बच्चों के पैर आगे से टेढ़े हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें बड़ा होने में चलने-फिरने की समस्या का सामना करना पड़ता है. यदि इसका इलाज एक साल की उम्र तक करा दिया जाए तो इसमें ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती है. 2 से लेकर 8 प्लास्टर करने के साथ ही अन्य तकनीक को अपनाकर इस बीमारी से निजात मिल सकती है. यदि बच्चे के एक साल पूरा होने के बाद बीमारी का इलाज किया जाता है तो इसके लिए ऑपरेशन ही एक विकल्प रह जाता है. लेकिन इसके बाद भी बच्चों में पैरों का टेढ़ापन पूरी तरह से ठीक होने में दिक्कत हो सकती है.

उप जिला अस्पताल श्रीनगर गढ़वाल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ सचिन चौबे का कहना है कि उप जिला अस्पताल में अभी तक इस बीमारी से परेशान तीन मरीज आ चुके हैं. इसमें से एक बच्चे के पैर के टेढ़ेपन को पूरी तरह से ठीक कर दिया गया है. जबकि दो बच्चों के पैरों में प्लास्टर किया गया है. इस समस्या से जूझ रहे बच्चों को बराबर निगरानी में रखा जाता है. उप जिला अस्पताल में मुफ्त में मरीजों को यह इलाज दिया जा रहा है. जबकि यदि किसी प्राइवेट अस्पताल में यह सुविधा मिलती है तो उसमें कम से कम सवा लाख रुपये तक का खर्चा आ जाता है.

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श्रीनगर अस्पताल में बच्चों की जन्मजात CTEV बीमारी का सफल इलाज.

श्रीनगरः शिशुओं में होने वाली जन्मजात बीमारी कंजेनाइटल टैलिप्स इक्विनो वायरस (सीटीईवी) का उपचार अब उप जिला अस्पताल श्रीनगर में भी संभव हो गया है. अभी तक इस बीमारी से ग्रसित बच्चों को एम्स ऋषिकेश भेजा जाता था. डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी को 'क्लब फुट' के नाम से भी जाना जाता है. इसमें बच्चों के पैर जन्म से ही टेढ़े हो जाते हैं. समय पर उपचार न मिलने पर बच्चों में विकलांगता की समस्या से जिंदगी भर गुजरना पड़ता है.

डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चे के जन्म होते ही इस बीमारी की पहचान माता-पिता कर सकते हैं. इस बीमारी में बच्चों के पैर आगे से टेढ़े हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें बड़ा होने में चलने-फिरने की समस्या का सामना करना पड़ता है. यदि इसका इलाज एक साल की उम्र तक करा दिया जाए तो इसमें ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती है. 2 से लेकर 8 प्लास्टर करने के साथ ही अन्य तकनीक को अपनाकर इस बीमारी से निजात मिल सकती है. यदि बच्चे के एक साल पूरा होने के बाद बीमारी का इलाज किया जाता है तो इसके लिए ऑपरेशन ही एक विकल्प रह जाता है. लेकिन इसके बाद भी बच्चों में पैरों का टेढ़ापन पूरी तरह से ठीक होने में दिक्कत हो सकती है.

उप जिला अस्पताल श्रीनगर गढ़वाल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ सचिन चौबे का कहना है कि उप जिला अस्पताल में अभी तक इस बीमारी से परेशान तीन मरीज आ चुके हैं. इसमें से एक बच्चे के पैर के टेढ़ेपन को पूरी तरह से ठीक कर दिया गया है. जबकि दो बच्चों के पैरों में प्लास्टर किया गया है. इस समस्या से जूझ रहे बच्चों को बराबर निगरानी में रखा जाता है. उप जिला अस्पताल में मुफ्त में मरीजों को यह इलाज दिया जा रहा है. जबकि यदि किसी प्राइवेट अस्पताल में यह सुविधा मिलती है तो उसमें कम से कम सवा लाख रुपये तक का खर्चा आ जाता है.

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Last Updated : Mar 27, 2024, 10:40 PM IST
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