अलीगढ़: जिले में दुष्कर्म के मामले में बेटे की गिरफ्तारी के नाम पर डॉक्टर से ठगी का केस सामने आया है. मामला थाना बन्ना देवी के आईटीआई रोड स्थित एडवोकेट कॉलोनी का है. यहां एक डॉक्टर से एक लाख रुपये ठग लिये गये. वहीं, पीड़ित डॉक्टर ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराकर कार्रवाई की मांग की.
थाना बन्ना देवी के जीटी रोड स्थित एडवोकेट कॉलोनी में रहने वाले डॉक्टर राम प्रकाश शर्मा अपने शिवपुरी चौराहे स्थित क्लीनिक जा रहे थे. इसी दौरान उन्हें एक नंबर से कॉल आई. जब उसने फोन उठाया तो ठगों ने कहा, कि वह दिल्ली में थाना सदर से बोल रहे है. दुष्कर्म के मामले में तीन लड़कों को एक लड़की के साथ पकड़ा गया है. इसमें आपका बेटा शेखर भी शामिल है. दुष्कर्म के आरोप में आपके बेटे को गिरफ्तार किया गया है.
इसके बाद ठगों ने एक लाख रुपये में मामला निपटने की बात कही गई. उन्होंने बारकोड भेज कर रुपये मांगे. जब डॉ. रामप्रकाश ने अपने बेटे से बात करने की बात कही, तो ठगों ने बेटे के रोने आवाज सुनाई. इसके बाद ठगों ने तुरंत फोन कट कर दिया और जल्द रुपये ट्रांसफर करने की बात कही. इसके साथ ही ठगों ने किसी से इस बात का जिक्र नहीं करने की चेतावनी दी.
डॉ. राम प्रकाश ने बताया, कि फोन पर बेटे की रोने की आवाज सुनते ही वह अपने क्लिनिक पहुंचा. और अपने पड़ोसी दुकानदार से मदद लेकर बार कोड पर दो बार में 50 -50 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिये. रुपया ट्रांसफर होने के बाद भी बेटे को ना छोड़ने की बात कही गयी. ठगों ने कहा कि थाने का मुंशी 50 हजार रुपये और मांग रहा है. इसके बाद डॉ. रामप्रकाश ने रुपये देने से मना कर दिया.
इस दौरान पुलिस में ही परिचित अपने मित्र को फोन कर उसने पूरा मामला बताया, तब उसे उसके साथ ठगी होने का एहसास हुआ. डॉ. राम प्रकाश ने थाना बन्ना देवी में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. इसके साथ ही साइबर सेल में भी शिकायत दर्ज कराई है. साइबर सेल की पुलिस टीम पूरे मामले की जांच में जुट गई है.
डिजिटल अरेस्ट: ठगी के इस तरीके को डिजिटल अरेस्ट के नाम से भी जाना जाता है. साइबर ठगों ने यह नया तरीका निकाला है. जिसमें भोले - भाले लोगों को फोन कर फंसाया जाता है. उन्हें किसी फर्जी केस में कार्रवाई करने की बात कही जाती हैं. पीड़ित को पुलिसिया कार्रवाई का खौफ दिखाकर रुपये मांगे जाते हैं. इस बीच उन्हें बहुत कम समय में पैसा ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता है. उन्हें वीडियो कॉल पर ही पैसे की मांग की जाती है. वहीं जल्दबाजी में पीड़ित साइबर ठगी का शिकार हो जाता है.
ऐसे बचें ठगी से: हालांकि डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय भी हैं. इसमें अगर किसी परिचित के किसी केस में फंसने की खबर वीडियो कॉल के जरिए बताई जाती है, तो उस पर यकीन न करें. पुलिस किसी की गिरफ्तारी की खबर परिवार को वीडियो कॉल पर नहीं देती है और न ही फोन करके देती है. ऐसे फोन आये, तो उसका जवाब न दें. इसकी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करें. साथ ही अगर जिसकी गिरफ्तारी का खौफ दिखाकर पैसा मांगा जा रहा है. उसको एक बार फोन करके जरूर चेक कर लें, जिससे डिजिटल अरेस्ट की ठगी से बचा जा सकता हैं.
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