रायपुर: समस्त वेदों की माता गायत्री माता कहलाती है. गायत्री जयंती 17 जून सोमवार को है. इस दिन अहोरात्र चित्रा नक्षत्र और स्वाति नक्षत्र परिघ और मुद्गर के सुंदर संयोग में गायत्री जयंती का पावन पर्व मनाया जाएगा. गायत्री माता तीन देवियों को समाहित कर जगत को आलोकित करती है. माता गायत्री बुद्धि प्रज्ञा मेधा और ऋतुमभरा प्रदान करने वाली देवी मानी जाती है.
पाठ करने के बाद हवन का खास महत्व: ऐसी मान्यता है कि चारों वेदों जैसे ऋग्वेद सामवेद यजुर्वेद अथर्ववेद इन सभी का जन्म माता गायत्री से ही हुआ है. माता गायत्री भक्त वत्सल के रूप में जानी जाती है. गायत्री जयंती के दिन उपवास व्रत स्नान और दान का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन गायत्री मंत्र के साथ लगातार 24 बार मंत्र का श्रवण करते हुए ध्यान करना चाहिए. प्रत्येक गायत्री मंत्र से हवन करना श्रेष्ठ माना गया है.
जानिए क्या कहते हैं पुजारी: इस बारे में पंडित विनीत शर्मा ने बताया, " गायत्री जयंती के दिन गायत्री मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन माता गायत्री की कृपा प्राप्त करने के लिए कम से कम 12 बार गायत्री मंत्र लिखना चाहिए. ये मंत्र लाल कलम से श्रद्धापूर्वक लिखना चाहिए. इस दिन को भीमसेनी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है. इस तरह से इस एकादशी का सर्वाधिक महत्व है. इस दिन ही रुक्मणी विवाह जयंती है. इतने सारे सुखद और कल्याणकारी पर्वों के बीच गायत्री जयंती का पावन पर्व मनाया जाएगा."
इस दिन नियमित रूप से गायत्री मंत्र का पाठ करना सर्वोत्तम माना गया है. जो बच्चे परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे हैं, जो बच्चे विभिन्न तरह के प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठ रहे हैं. उन सभी को गायत्री मंत्र का पाठ करना चाहिए. गायत्री जयंती के दिन माता की पूजा के साथ ही जाप, अनुष्ठान, यज्ञ और आरती करनी चाहिए.- विनीत शर्मा, पंडित
ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही सभी समस्याएं खत्म होगी. साथ ही गायत्री मंत्र का पाठ करने वाले मनुष्य के मन में नई उर्जा का संचार होता है.