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काम की खबर; बारिश में न लगाएं कॉन्टैक्ट लेंस, इन्फैक्शन का हो सकता है खतरा, एक्ट्रेस जैस्मिन की आंख हुई डैमेज - Contact Lenses Rain Precaution

ये खबर उन लोगों के लिए है, जो आंखों में कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं. इस मानसून और उमस के मौसम में यदि आप कॉटैक्ट लेंस लगाते हैं तो सतर्क रहें. बारिश और उमस की वजह से कॉन्टैक्ट लेंस लगाने से आंख में इन्फेक्शन फैलने का खतरा रहता है. जो आंख की कॉर्निया को डैमेज कर सकता है. हाल ही में जानी मानी टीवी एक्ट्रेस जैस्मिन भसीन की आंख में कॉन्टैक्ट लेंस लगाने से कॉर्निया डैमेज हो गई. ईटीवी भारत ने आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज की आई बैंक प्रभारी और सीनियर कॉर्निया स्पेशलिस्ट डॉ. शैफाली मजूमदार से कॉन्टैक्ट लेंस और आंख में इन्फेक्शन को लेकर विशेष बातचीत की. आइए, जानते हैं कि, इस मौसम में आंखों में कॉन्टैक्ट लेंस लगाना कितना सही है ?

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बारिश में न लगाएं कॉन्टैक्ट लेंस, इन्फैक्शन का हो सकता है खतरा. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 30, 2024, 1:25 PM IST

आगरा: इन दिनों मानसून सक्रिय है. जिससे कभी तेज बारिश या कभी बूंदाबांदी हो रही. उमस के साथ ही ये मौसम बैक्टीरिया के अटैक का भी है. इस मौसम में सबसे ज्यादा स्किन और आंखों में संक्रमण फैलता है. यदि आप चश्मे की जगह कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं तो सतर्क हो जाएं. क्योंकि, बारिश में कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से भी आंख में इन्फेक्शन और कॉर्निया डैमेज होने का खतरा रहता है.

बिना सलाह के न लगाएं कॉन्टैक्ट लेंस: सीनियर कॉर्निया स्पेशलिस्ट डॉ. शैफाली मजूमदार बताती हैं कि, लोग कॉन्टैक्ट लेंस अच्छा दिखने के लिए लगाते हैं. मगर, आई स्पेशलिस्ट की बिना सलाह के कॉन्टैक्ट लेंस नहीं लगाना चाहिए. ये भी ध्यान रखें कि, कॉन्टैक्ट लेंस की प्रॉपर फिटिंग होनी चाहिए.

कॉर्निया डैमेज होने की वजह

  • आंखों में कोई केमिकल जाने से
  • आंखों में कोई कीड़ा या तिनका जाने पर
  • चोट से आंख काली पड़ने पर
  • स्विमिंग के समय आंखों में गंदा पानी जाने से
  • सूरज की तेज रौशनी के कारण

लेंस के कारण कॉर्निया में नहीं पहुंचती ऑक्सीजन: सीनियर कॉर्निया स्पेशलिस्ट डॉ. शैफाली मजूमदार ने बताया कि हमारी आंख में कॉर्निया है. जो खुली हवा से सीधे ऑक्सीजन लेती है. जब हम कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं तो उस पर एक कैप लग जाती है. ऐसे में यदि कॉन्टैक्ट लेंस की फिटिंग ठीक नहीं होगी तो कॉर्निया को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलेगी. जिससे कॉर्निया डैमेज हो जाती है.

लगातार लंबे समय तक भी कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसलिए, कॉर्निया डैमेज और आंख में अल्सर समेत अन्य इन्फेक्शन से बचाव के लिए कॉन्टैक्ट लेंस का सावधानीपूर्वक उपयोग करें.

कॉर्नियल को डैमेज होने से कैसे बचाएं

  • कॉन्टैक्ट लेंस छूने से पहले हाथों को साबुन से धोएं.
  • कॉन्टैक्ट लेंस की सफाई का विशेष ध्यान रखें.
  • कॉन्टैक्ट लेंस रखने का डिब्बा भी बदलते रहें.
  • तय समय से ज्यादा देर तक कॉन्टैक्ट लेंस ना लगाएं.
  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाने पर आंख में ड्राइनेंस हो तो ड्रॉप या लुब्रीकेंट डालें.
  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर कभी सोना नहीं चाहिए.
  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर कभी भी नहाएं नहीं.
  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर बारिश में नहीं भीगेंं.
  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर स्विमिंग भी ना करें.
  • कॉन्टैक्ट लेंस दिन में 6 से 7 घंटे हीलगाएं.
  • लेंस पहनने पर जलन हो तो आंखों को रगड़े नहीं.

हाइजीन मेंटेन करने से आंख में इन्फेक्शन कम: डॉ. शैफाली मजूमदार बताती हैं कि अगर कॉन्टैक्ट लेंस की सफाई रखेंगे तो आंख में इन्फेक्शन भी कम होगा. इसलिए, बिना हाथ साफ किए कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करने से आंख में इन्फेक्शन का खतरा रहता है. क्योकि, हमारी आंखा के आंसू ही किसी तरह के बैक्टीरिया या माइक्रोब्स के हमले से कोर्निया को बचाते हैं.

अगर, हम हाथ बिना साफ किए, कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं तो आंख में बैक्टीरियल इन्फेक्शन का खतरा अधिक रहता है. इसके साथ ही यदि आप बारिश में या नहाते समय भी कॉन्टैक्ट लेंस पहने हैं तो ये आंखों आसानी से संक्रमित हो सकती है.

आंख में इंजरी या इन्फेक्शन के क्या हैं लक्षण

  • स्पष्ट दिखाई नहीं देना.
  • नजर कमजोर होना.
  • आंखों में जलन या चुभन होना.
  • आंखों में लालिमा आना.
  • आंख से खून आना.
  • आंखों में बाहर की तरफ उभार आना.
  • दोनों पुतलियों का आकार समान नहीं होना.
  • आंखों में मूवमेंट की कमी होना.
  • आंखों से लगातार पानी आना.
  • आंखों में डबल विजन की स्थित आना.
  • रोशनी में आने पर परेशानी होना.
  • आंखों में खुजली होना.
  • आखों में लालपन आना.
  • आंखों में सूजन आना.
  • आंखों से आंसू आना.
  • आंखों में चिपचिपापन लगना.
  • आंखों से लसदार पदार्थ निकलना.
  • धुंधली नजर हो जाना.
  • आंखों में जलन होना.
  • आंखों में दर्द होना.

मानसून में संक्रमति हाथों से आंखों और चेहरे ना पोंछे. जिससे आंख में इन्फेक्शन और स्किन एलर्जी हो सकती है. गंदे पानी के संपर्क में आने से बचें. यदि आंख में कोई दिक्कत है तो नेत्र चिकित्सक से परामर्श लें. बिना चिकित्सक की सलाह पर दवाएं ना लें. आंखों में मेडिकल स्टोर से खरीद कर ड्राप ना डालें.

कॉर्निया क्या है: आंखें बेहद कोमल और नाजुक ऑर्गन हैं. हमारी आंख के कई हिस्से होते हैं. जिसमें सबसे ऊपर के हिस्से को कॉर्निया कहते हैं. ये पारदर्शी हिस्सा है, जो हमारी आंख की आइरिस और पुतली के ऊपर कवर लेयर की तरह ढका होता है. आंख में थोड़ी सी खरोंच, धूल या इन्फेक्शन से बड़ा जोखिम हो सकता है.

ये भी पढ़ेंः WATCH: जैस्मिन भसीन की आंखें हुईं बेहतर, कार्निया डैमेज से जूझने के बाद एक्ट्रेस एयरपोर्ट पर स्पॉट

आगरा: इन दिनों मानसून सक्रिय है. जिससे कभी तेज बारिश या कभी बूंदाबांदी हो रही. उमस के साथ ही ये मौसम बैक्टीरिया के अटैक का भी है. इस मौसम में सबसे ज्यादा स्किन और आंखों में संक्रमण फैलता है. यदि आप चश्मे की जगह कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं तो सतर्क हो जाएं. क्योंकि, बारिश में कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से भी आंख में इन्फेक्शन और कॉर्निया डैमेज होने का खतरा रहता है.

बिना सलाह के न लगाएं कॉन्टैक्ट लेंस: सीनियर कॉर्निया स्पेशलिस्ट डॉ. शैफाली मजूमदार बताती हैं कि, लोग कॉन्टैक्ट लेंस अच्छा दिखने के लिए लगाते हैं. मगर, आई स्पेशलिस्ट की बिना सलाह के कॉन्टैक्ट लेंस नहीं लगाना चाहिए. ये भी ध्यान रखें कि, कॉन्टैक्ट लेंस की प्रॉपर फिटिंग होनी चाहिए.

कॉर्निया डैमेज होने की वजह

  • आंखों में कोई केमिकल जाने से
  • आंखों में कोई कीड़ा या तिनका जाने पर
  • चोट से आंख काली पड़ने पर
  • स्विमिंग के समय आंखों में गंदा पानी जाने से
  • सूरज की तेज रौशनी के कारण

लेंस के कारण कॉर्निया में नहीं पहुंचती ऑक्सीजन: सीनियर कॉर्निया स्पेशलिस्ट डॉ. शैफाली मजूमदार ने बताया कि हमारी आंख में कॉर्निया है. जो खुली हवा से सीधे ऑक्सीजन लेती है. जब हम कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं तो उस पर एक कैप लग जाती है. ऐसे में यदि कॉन्टैक्ट लेंस की फिटिंग ठीक नहीं होगी तो कॉर्निया को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलेगी. जिससे कॉर्निया डैमेज हो जाती है.

लगातार लंबे समय तक भी कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसलिए, कॉर्निया डैमेज और आंख में अल्सर समेत अन्य इन्फेक्शन से बचाव के लिए कॉन्टैक्ट लेंस का सावधानीपूर्वक उपयोग करें.

कॉर्नियल को डैमेज होने से कैसे बचाएं

  • कॉन्टैक्ट लेंस छूने से पहले हाथों को साबुन से धोएं.
  • कॉन्टैक्ट लेंस की सफाई का विशेष ध्यान रखें.
  • कॉन्टैक्ट लेंस रखने का डिब्बा भी बदलते रहें.
  • तय समय से ज्यादा देर तक कॉन्टैक्ट लेंस ना लगाएं.
  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाने पर आंख में ड्राइनेंस हो तो ड्रॉप या लुब्रीकेंट डालें.
  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर कभी सोना नहीं चाहिए.
  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर कभी भी नहाएं नहीं.
  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर बारिश में नहीं भीगेंं.
  • कॉन्टैक्ट लेंस लगाकर स्विमिंग भी ना करें.
  • कॉन्टैक्ट लेंस दिन में 6 से 7 घंटे हीलगाएं.
  • लेंस पहनने पर जलन हो तो आंखों को रगड़े नहीं.

हाइजीन मेंटेन करने से आंख में इन्फेक्शन कम: डॉ. शैफाली मजूमदार बताती हैं कि अगर कॉन्टैक्ट लेंस की सफाई रखेंगे तो आंख में इन्फेक्शन भी कम होगा. इसलिए, बिना हाथ साफ किए कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल करने से आंख में इन्फेक्शन का खतरा रहता है. क्योकि, हमारी आंखा के आंसू ही किसी तरह के बैक्टीरिया या माइक्रोब्स के हमले से कोर्निया को बचाते हैं.

अगर, हम हाथ बिना साफ किए, कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं तो आंख में बैक्टीरियल इन्फेक्शन का खतरा अधिक रहता है. इसके साथ ही यदि आप बारिश में या नहाते समय भी कॉन्टैक्ट लेंस पहने हैं तो ये आंखों आसानी से संक्रमित हो सकती है.

आंख में इंजरी या इन्फेक्शन के क्या हैं लक्षण

  • स्पष्ट दिखाई नहीं देना.
  • नजर कमजोर होना.
  • आंखों में जलन या चुभन होना.
  • आंखों में लालिमा आना.
  • आंख से खून आना.
  • आंखों में बाहर की तरफ उभार आना.
  • दोनों पुतलियों का आकार समान नहीं होना.
  • आंखों में मूवमेंट की कमी होना.
  • आंखों से लगातार पानी आना.
  • आंखों में डबल विजन की स्थित आना.
  • रोशनी में आने पर परेशानी होना.
  • आंखों में खुजली होना.
  • आखों में लालपन आना.
  • आंखों में सूजन आना.
  • आंखों से आंसू आना.
  • आंखों में चिपचिपापन लगना.
  • आंखों से लसदार पदार्थ निकलना.
  • धुंधली नजर हो जाना.
  • आंखों में जलन होना.
  • आंखों में दर्द होना.

मानसून में संक्रमति हाथों से आंखों और चेहरे ना पोंछे. जिससे आंख में इन्फेक्शन और स्किन एलर्जी हो सकती है. गंदे पानी के संपर्क में आने से बचें. यदि आंख में कोई दिक्कत है तो नेत्र चिकित्सक से परामर्श लें. बिना चिकित्सक की सलाह पर दवाएं ना लें. आंखों में मेडिकल स्टोर से खरीद कर ड्राप ना डालें.

कॉर्निया क्या है: आंखें बेहद कोमल और नाजुक ऑर्गन हैं. हमारी आंख के कई हिस्से होते हैं. जिसमें सबसे ऊपर के हिस्से को कॉर्निया कहते हैं. ये पारदर्शी हिस्सा है, जो हमारी आंख की आइरिस और पुतली के ऊपर कवर लेयर की तरह ढका होता है. आंख में थोड़ी सी खरोंच, धूल या इन्फेक्शन से बड़ा जोखिम हो सकता है.

ये भी पढ़ेंः WATCH: जैस्मिन भसीन की आंखें हुईं बेहतर, कार्निया डैमेज से जूझने के बाद एक्ट्रेस एयरपोर्ट पर स्पॉट

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