रायपुर: बारिश का मौसम जून से लेकर सितंबर तक रहता है. चार महीने बारिश का मौसम छत्तीसगढ़ में माना जाता है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के किसान बारिश के मौसम में नर्सरी की तैयारी कैसे करें, कब करें, किस तरह की सावधानी बरतें इसका पूरी जानकारी होना जरुरी है. फसल उगाने वाले को ये भी पता होना चाहिए कि कौन-कौन सी ऐसी सब्जियां हैं जिसकी नर्सरी वो तैयार कर सकते हैं. खेती किसानी से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि किसान नर्सरी तैयार करते समय कुछ बातों का जरुर ध्यान रखें. अमूमन छत्तीसगढ़ जून के महीने में सब्जियों की नर्सरी की तैयारी कर लेनी चाहिए. जुलाई में बारिश लगातार होने लगती है और उस वक्त नर्सरी तैयार नहीं हो पाती. ऐसे में प्रदेश के किसानों को जून के महीने में सीडलिंग तैयार कर लेना चाहिए. जून के बाद अगर नर्सरी या सीडलिंग तैयार करते हैं तब जमीन फसल को उगाने के लिए उपयुक्त नहीं होता है.
इस ट्रिक से करेंगे सब्जियों की खेती तो हो जाएंगे मालामाल: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक घनश्याम दास साहू के मुताबिक " बारिश के मौसम में सब्जियों में भटा, मिर्च, टमाटर जैसी सब्जियों की नर्सरी जून के महीने में ही तैयार कर लेनी चाहिए. सब्जियों की खेती के लिए प्रदेश के किसानों को ऊंची मेड़ बनाकर सीडलिंग तैयार करनी चाहिए.''
''मेड़ तैयार करते समय किसानों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि मेड़ की चौड़ाई 2 मीटर और लंबाई अधिकतम 6 मीटर होनी चाहिए. इस तकनीक से किसान 1 हेक्टेयर में सब्जी का थरहा या बीज लगा सकते हैं. इस दौरान किसानों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि जमीन चयन करते समय उसमें किट और बीमारी का प्रकोप ना हो. जमीन साफ होने के साथ ही मेड़ ऊंचाई पर होनी चाहिए. अगर किसानों को लगता है कि इस जमीन पर कोई मृदा से जुड़ी बीमारी है तो इसे पॉलिथीन से ढक कर रखें. मिट्टी और रेत मिलकर इसकी गुड़ाई करें. ऐसा करके भटा,मिर्च और टमाटर के हाईब्रिड बीज लगा सकते हैं." - डॉक्टर घनश्याम दास साहू, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर
बारिश में किसान करें खास तरीके से नर्सरी तैयार: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सीनियर वैज्ञानिक घनश्याम दास साहू कहते हैं कि'' सब्जियों के इन बीजों को 1 किलो रेत में एक पाव बीज मिलाकर रखें. पानी का छिड़काव भी करना है. ऐसा करने के बाद किसानों को गोबर से बनी खाद का बीज डालने के बाद उसे ढक देना चाहिए. इस दौरान किसानों को बीज का उपचार करना भी जरूरी है. इस तकनीक से अगर किसान बीज लगाते हैं तो एक जगह पर केवल एक ही पौधा निकलेगा. नर्सरी भी अच्छे से तैयार हो सकेगी. इस तकनीक से अगर बीज रोपण किया जाता है तो तीसरे या चौथे दिन पर अंकुरण हो जाता है. इसके साथ ही किसान अगर फूलगोभी लगाना चाहते हैं तो इसका थरहा भी लगा सकते हैं. लौकी, तरोई, करेला कुम्हड़ा की नर्सरी भी किसान इस समय पॉलीबैग में लगाकर बीज रोपण कर सकते हैं. इन सब्जियों के लिए सीडलिंग या नर्सरी तैयार करने के लिए जून का महीना सही होता है.