लखनऊ: रोशनी के पर्व दिवाली में पटाखे जलाते समय खास सावधानी बरतें. जरा सी चूक से अनहोनी हो सकती है. लिहाजा परिवार के बड़े लोगों की देखरेख में ही बच्चे पटाखे जलाएं. दुर्भाग्य से पटाखे से जलाते समय दुघर्टना हो गई. पटाखे से झुलस गए तो घाव को नल के बहते पानी से धोएं. उसमें किसी भी दशा में तेल, नमक, मंजन आदि न लगाएं.
पटाखों से जलने पर ये करे उपाय: केजीएमयू प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार ने बताया, कि दिवाली पर पटाखों से या दीयों से जलने की दुर्घटनाएं होने का खतरा रहता है. इसलिए, दिवाली पर ढीले कपड़े पहनने से बचें. पटाखे छुड़ाने के दौरान पानी नजदीक में रखें. पटाखों से जलने या अन्य कारण से जलने की स्थिति में जले हुए अंग पर सादा पानी या नल का पानी डालें. घाव को साफ रखें. किसी साफ कपड़े से जले हुए अंग को कवर करें. जले हुए अंग पर टूथपेस्ट, हल्दी, नमक या अन्य किसी भी वस्तु का लेप न करें. अस्पताल पहुंचकर डॉक्टर को दिखाएं.
संकरी गलियों में पटाखे न जलाएं: बलरामपुर अस्पताल में त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. एमएच उस्मानी ने बताया, कि पटाखे हमेशा खुली जगह पर ही जलाएं. बच्चे हों या बड़े सभी को खुली जगह पर पटाखे जलाने चाहिए. संकरी गलियों में पटाखे न जलाएं. बेहतर होगा, कि आप खुले स्थानों और पार्कों का इस्तेमाल करें. सिंथेटिक कपड़े न पहनें. बेहतर होगा कि आप मोटे सूती कपड़े पहनें. उन्होंने बताया कि झुलसने के बाद डॉक्टर की सलाह लें.
पटाखे जलाते समय चश्मा लगाएं: नेत्र रोग विभाग के डॉ. पल्लवी सिंह ने बताया, कि दिवाली में चश्मा या गॉगल्स पहनकर अपनी आंखों की सुरक्षा करें. ये पटाखों की चिंगारियों, धूल और प्रदूषण आदि से आंखों की प्रभावी रूप से रक्षा करते हैं. पटाखे फोड़ते समय, उनसे सुरक्षित दूरी बनाए रखना महत्वपूर्ण है.
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पटाखों के शोर से दूर रहें: सिविल अस्पताल में ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि आतिशबाजी के शोर से सुरक्षित दूरी बनाएं रखें. आतिशबाजी की आवाज से आपकी दूरी डेसिबल स्तर और सुनने की सुरक्षा के मामले में बहुत बड़ा प्रभाव डाल सकती है. क्योंकि आप इससे जितना दूर होंगे, ध्वनि आपके कानों के लिए उतनी ही कम हानिकारक होगी. आप लगभग 500 फीट की दूरी से भी आतिशबाजी को अच्छी तरह से देख सकते हैं. लेकिन, आंतरिक कान की छोटी बाल कोशिकाओं को तेज आवाज से कोई नुकसान नहीं होगा. तेज आवाज से कानों को नुकसान हो सकता है. सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है.
अस्पतालों में हुई अनहोनी से निपटने की तैयारी: केजीएमयू, बलरामपुर, लोहिया, सिविल, लोकबंधु, महानगर भाऊराव देवरस, रानी लक्ष्मीबाई, सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में करीब 200 बेड आरक्षित किए गए हैं. गर्भवती महिलाओं के लिए डफरिन, झलकारीबाई, केजीएमयू के क्वीनमेरी की व्यवस्था भी चाक चौबंद रहेंगी. गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू-वेंटिलेटर यूनिट में 20 बेड आरक्षित किए गए हैं. 19 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की इमरजेंसी में पांच-पांच बेड आरक्षित किए गए हैं.
ट्रॉमा सेंटर में बेड आरक्षित: केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर में 20 से 40 बेड आरक्षित किए गए हैं. प्लास्टिक सर्जन, जनरल सर्जन, हड्डी, मेडिसिन समेत दूसरे विभाग के डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई हैं. जरूरी दवाओं के इंतजाम पुख्ता कर लिए गए हैं. तबीयत स्थिर होने के बाद मरीजों को जल्द से जल्द वार्ड में शिफ्ट करने की व्यवस्था की गई है.
लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. भुवन चंद्र तिवारी ने बताया, कि दिवाली को लेकर इमरजेंसी की व्यवस्थाओं को चाक चौबंद कर दिया गया है. इमरजेंसी में 20 बेड आरक्षित किए गए हैं. सभी विभागों में बेड भी खाली रखने के निर्देश दिए गए हैं. डॉक्टरों की टीम अलर्ट रहेगी. सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया, कि अनहोनी से निपटने के लिए 25 बेड बर्न यूनिट व आठ बेड इमरजेंसी में आरक्षित किए गए हैं. बर्न यूनिट में सभी व्यवस्थाएं पुख्ता कर ली गई हैं. 24 घंटे ऑन कॉल सर्जन, हड्डी, नेत्र व त्वचा रोग विशेषज्ञों की ड्यूटी लगाई गई है. जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी में तैनात रहेंगे.
बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया, कि दिवाली में अनहोनी से निपटने के लिए 11 बेड रिजर्व किए गए हैं. ब्लड स्टोरेज और दवाइयों का पर्याप्त स्टॉक है. त्वचा, नेत्र, हड्डी रोग विभाग में भी डॉक्टरों की ऑनकॉल ड्यूटी रहेगी. इमरजेंसी में जूनियर डॉक्टरों की तैनाती की गई है.
लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि दिवाली पर बर्न मरीजों के लिए छह बेड रिजर्व किए गए हैं. जनरल सर्जन, सांस और ऑर्थोपेडिक मरीजों के लिए भी छह-छह बेड रखे गए हैं. हल्के जले हुए मरीजों के लिए प्राथमिक इलाज की व्यवस्था की गई है.
सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया, कि सभी सामुदायिक, प्राथमिक और भाऊराव देवरस अस्पताल में दिवाली से निपटने के लिए बेड आरक्षित किए गए हैं. 24 घंटे इमरजेंसी सेवाओं का संचालन होगा. जरूरी दवाओं का इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं. ऑनकान विशेषज्ञों डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है.
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