अलीगढ़: जिले में इस बार इलेक्ट्रिक पटाखों की धूम देखने को मिल रही है. इन पटाखों की बात की जाए, तो ये पटाखे प्रदूषण मुक्त हैं. इससे वातावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता. छोटे-छोटे बच्चे भी इन पटाखों का आनंद ले सकते हैं. इससे किसी भी प्रकार की जनहानि का खतरा नहीं रहता. लोग इन्हें 'इको फ्रेंडली' पटाखों का नाम दे रहे हैं. बाजारों में इलेक्ट्रॉनिक पटाखे के साथ इलेक्ट्रॉनिक दिए और लाइटिंग भी दिख रही हैं.
जब दुकानदारों से इस बारे में बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया कि पहले ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण के कारण लोग परेशान रहते थे, लेकिन इस बार बाजार में प्रदूषण मुक्त पटाखों के आने से लोग खुश हैं. ये पटाखे न केवल पर्यावरण के लिये अनुकूल हैं, बल्कि इनसे कोई हानि नहीं होती. जिस कारण इनकी मांग बढ़ रही है. इसके अलावा, इलेक्ट्रिक सजावट के सामानों की भी खास मांग बनी हुई है. लोग अपने घरों को सजाने के लिए इन इलेक्ट्रिक लाइट्स और अन्य सजावट के उपकरणों को पसंद कर रहे हैं.
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इलेक्ट्रॉनिक पटाखों के है कई फायदे: दुकानदार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक पटाखों के कई फायदे भी बताए जा रहे हैं. जैसे कि यह टिकाऊ हैं. पर्यावरण के अनुकूल हैं. साथ ही इनके प्रयोग से प्रदूषण पर भी काबू पाया जा सकता है. इनके इस्तेमाल के दौरान बच्चे भी सुरक्षित होंगे. आने वाले कई सालों तक भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
दिवाली पर बाजारों में र इलेक्ट्रिक पटाखों की धूम, ग्राहकों की है पहली पसंद (ETV BHARAT) 200 से 1500 रुपये है किमत: ऐसे में ये पटाखें अब लोगों की पंसद बन रहे है. हालांकि शहर के कुछ गिने चुने दुकानों पर ही ये पटाखें मिल रहे है. इलेक्ट्रिक पटाखों में चटाई, अनार और तेज आवाज वाले बम बाजार में मिल रहे हैं. बिजली और बैटरी वाले इन इलेक्ट्रिक पटाखों की कीमत 200 से 1500 रुपये है. जिन्हें सहेज कर रखने पर इसका इस्तेमाल अगले साल भी किया जा सकता है.ग्राहकों की है पहली पसंद: वही इन इलेक्ट्रॉनिक पटाखे को खरीदने के लिए दुकान पर पहुंचे ग्राहकों ने भी इनको अपनी पहली पसंद बताया है. उन्होंने कहा कि अक्सर दिवाली पर घर में बच्चे जल जाते हैं. पटाखे से सुरक्षित नहीं रहते हैं और इसे प्रदूषण भी होता है. इसलिए यह पटाखे पहली पसंद है. क्योंकि इसमें प्रदूषण और आग लगने के चांसेस नहीं होते हैं. जहां तक कीमत की बात की जाए, तो इनकी कीमत भी ज्यादा नहीं है. सबसे अच्छी बात इन इलेक्ट्रॉनिक पटाखे की यह है कि इनको सहेज कर रखने पर हम अगली साल भी इस्तेमाल कर सकते हैं जबकि बारूद वाले पटाखे को एक बार ही इस्तेमाल किया जाता है और उनसे आग लगने के चांसेस ज्यादा होते हैं. जिससे बच्चे भी सुरक्षित नहीं रहते हैं दिवाली खुशियों का त्यौहार है. इसलिए, इस त्यौहार पर ऐसी चीजों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिससे हम सुरक्षित रहें.यह भी पढ़े-चाइनीज झालरों के आगे मिट्टी के दियों की चमक फीकी, डिमांड घटने से कुम्हार के सामने रोजी रोटी का संकट