मथुरा : चैत्र नवरात्र के दिनों में देवी मंदिरों में हर रोज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित नरी सेमरी मंदिर में चैत शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन अलौकिक आरती मंदिर परिसर की जाती है. सफेद कपड़े के चारों कोने को श्रद्धालु द्वारा पकड़ा जाता है और उसके नीचे देवी का विशाल दीपक जलाकर आरती की परंपरा है. वर्ष में एक दिन चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन यह आरती की जाती है. हजारों की संख्या में भक्तगण यहां आरती देखने के लिए आते हैं.
आगरा दिल्ली राजमार्ग पर स्थित गांव नरी-सेमरी में गुरुवार देर रात देवी मां के मंदिर परिसर मे तीज की अलौकिक आरती हर्षोल्लास के साथ की गई. आरती को देखने के लिए दूर दराज से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां मंदिर परिसर में पहुंचे. कई दशकों से चली आ रही परंपरा देखने को मिली धांधू परिवार के लोगों ने मंदिर परिसर में आरती की.
परंपरा के अनुसार चैत्र नवरात्र के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अलौकिक आरती का विधान है. इसके लिए आगरा का धांधू परिवार सबसे पहले विधि विधान से पूजा अर्चना करता है. मुहूर्त के अनुसार परिवार के लोग सफेद चादर के चारों कोने को पकड़ लेते हैं और नीचे विशाल दीपक जलाकर आरती की जाती है.
मान्यता है कि देवी की अलौकिक कृपा और दिव्य शक्ति की वजह से आरती लौ सफेद चादर को पार कर जाती है, लेकिन चादर नहीं जलता है. यह अद्भुत दृश्य देखने और आरती में शामिल होने के लिए दूर-दराज से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.
प्राचीन काल का बना हुआ है देवी मंदिर : बताया जाता है कि धांधू परिवार के पूर्वज हिमाचल प्रदेश नगरकोट देवी को कुल देवी मानते थे. प्रतिवर्ष दर्शन करने के लिए वहां जाते थे. एक बार देवी के दर्शन करने के लिए आगरा से हिमाचल के लिए चले तो जब वे हिमाचल में नगरकोट पहुंचे तो उन्हें मंदिर का द्वारा बंद मिला तभी धांधू परिवार के सदस्य को देवी ने स्वप्न में कहा कि मैं आपके साथ आगरा चलना चाहती हूं, लेकिन मेरी एक शर्त है कि आप पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे.
इस पर दूसरे दिने धांधू परिवार के सदस्य हिमाचल नगरकोट से आगरा के लिए चल दिए तभी परिवार के लोगों को मथुरा में आकर संदेह हुआ की देवी मां नहीं आ रही हैं और उन्होंने पीछे मुड़कर देख लिया और देवी राजमार्ग छाता के एक गांव में स्थापित हो गईं. तभी से देवी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है. धांधू परिवार के अनुराग ने बताया कि यहां देवी मंदिर में अग्रवासी से ज्यादा यहां के लोकल निवासी का ज्यादा महत्व है. चैत्र नवरात्र के तीज के दिन आगरा से जाकर यहां मंदिर में आरती होती है. आरती देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं.