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फिर सुर्खियों में पुरोला प्रकरण, निचली अदालत के फैसले के खिलाफ HC में अपील, बरी हो चुके हैं आरोपी - Purola Minor Girl Abduction Case

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 19, 2024, 9:56 PM IST

Updated : Jul 19, 2024, 10:18 PM IST

Uttarkashi Purola Minor Girl Abduction Case उत्तरकाशी के पुरोला में कथित तौर पर लड़की भगाने की चिंगारी ने पूरे प्रदेश को सांप्रदायिक मामले में झोंक दिया था. अब दोनों आरोपी दोषमुक्त हो गए हैं. उन्हें उत्तरकाशी जिला न्यायालय ने दो महीने पहले दोषमुक्त करार दिया है, जिससे उन्हें राहत मिली है, लेकिन अब ये मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है.

Purola Minor Girl Abduction Case
प्रदर्शन (फाइल फोटो- ETV Bharat)

उत्तरकाशी: बीते साल पुरोला में सामने आया सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला मामला फिर से चर्चाओं में है. चर्चाओं की वजह कि दोनों आरोपियों की सजा से जुड़ा है. जिसमें आरोपी दोषमुक्त पाए गए हैं. उत्तरकाशी जिला जज गुरुबख्श सिंह की अदालत ने इसी साल मई महीने में इस मामले की सुनवाई करते हुए दोनों मुख्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त करार दे दिया था. उस समय तो यह मामला मीडिया में नहीं आया, लेकिन अब दो महीने बाद आरोपियों का दोषमुक्त होना चर्चाओं में है. वहीं, विशेष लोक अभियोजन अधिवक्ता पूनम सिंह ने बताया कि पुरोला प्रकरण की हमने हाईकोर्ट में अपील कर दी है.

क्या था मामला: बता दें कि बीते साल यानी 26 मई 2023 को पुरोला में उवैद खान और जितेंद्र सैनी पर 14 वर्ष की किशोरी को बहला फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लगा था. मामले में किशोरी के पिता की तहरीर पर पुरोला थाने में दोनों के खिलाफ केस दर्ज किया गया. गुस्साए लोगों ने दोनों युवकों को पकड़कर पुरोला पुलिस के हवाले कर दिया था. मामले में समुदाय विशेष से जुड़े युवक के आरोपी होने से पुरोला में दो संप्रदाय आमने-सामने आ गए थे. लंबे समय तक पुरोला में तनाव की स्थिति बनी रही.

यह मामला आग की तरह फैल गया. जिसके चलते पुरोला से लेकर यमुना घाटी, यमुना घाटी से लेकर गंगोत्री तक लोग सड़कों पर उतर गए. इस मामले को हिंदू और मुस्लिम का मुद्दा बनाकर 'लव जिहाद' से जोड़ दिया गया. जिसके चलते मामला ज्यादा गरमा गया. इतना ही नहीं स्थानीय लोगों ने बाहरी व्यापारियों और समुदाय विशेष के लोगों को निशाने पर लेकर मोर्चा खोल दिया. इन लोगों को पुरोला छोड़कर निकल जाने की चेतावनी दी गई. जिसके चलते बाहरी और समुदाय विशेष के लोगों में डर का माहौल हो गया.

मामला लगातार तूल पकड़ता गया. इसी बीच 4 जून की रात को हिंदूवादी संगठनों ने समुदाय विशेष के दुकानदारों के बाहर चेतावनी और धमकी भरे पोस्टर चस्पा कर दिए. जिसमें 15 जून 2023 को हिंदू महापंचायत बुलाने की बात कही गई थी. साथ ही उन्हें इससे पहले दुकानें खाली करने की भी चेतावनी दी गई थी. जिसके चलते मामला बिगड़ गया. स्थानीय लोगों का समुदाय विशेष और बाहरी व्यापारियों के खिलाफ गुस्सा बढ़ता देख बीजेपी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष मोहम्मद जाहिद को भी पुरोला छोड़ना पड़ गया. जाहिद पुरोला स्थित अपनी दुकान से सारा सामान समेटकर देहरादून आ गए.

लगातार विरोध और माहौल बिगड़ता देख अन्य समुदाय विशेष के लोगों ने भी दुकानें खाली करनी शुरू कर दी. इसके बाद हिंदू संगठनों ने 15 जून को पुरोला में महापंचायत का ऐलान कर दिया गया. जिससे मामला राष्ट्रीय स्तर का हो गया. यही वजह कि एआईएमआईएम यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को भी पुरोला प्रकरण में कूदना पड़ा. उन्होंने पुरोला में होने जा रही महापंचायत पर रोकने की मांग उठाई. लिहाजा, पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुरोला में धारा 144 लागू कर दिया था.

उत्तरकाशी जिला जज की अदालत ने करार दिया दोषमुक्त: वहीं, पुरोला महापंचायत में जा रहे कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया. इसके बाद भी प्रदर्शन जारी रहे. किसी तरह से यह मामला ठंडा हुआ. उधर, मामले में पुलिस की ओर से 24 जुलाई 2023 को उत्तरकाशी जिला न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया. जिसमें बचाव पक्ष की ओर से दो वकील और राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक की तैनाती हुई थी.

अदालत में पीड़ित किशोरी ने अपने बयान में आरोपियों से टेलर के बारे में पूछने और उनके साथ वहां जाने की बात कही थी. उसने ये भी बताया था कि आरोपी उसे कहीं नहीं ले जा रहे थे. जिस आधार पर इसी साल 10 मई को उत्तरकाशी जिला जज गुरुबख्श की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए दोनों आरोपियों उवैद खान और जितेंद्र सैनी को दोषमुक्त करार दे दिया था. जिससे दोनों आरोपियों को बड़ी राहत मिली है.

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उत्तरकाशी: बीते साल पुरोला में सामने आया सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला मामला फिर से चर्चाओं में है. चर्चाओं की वजह कि दोनों आरोपियों की सजा से जुड़ा है. जिसमें आरोपी दोषमुक्त पाए गए हैं. उत्तरकाशी जिला जज गुरुबख्श सिंह की अदालत ने इसी साल मई महीने में इस मामले की सुनवाई करते हुए दोनों मुख्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त करार दे दिया था. उस समय तो यह मामला मीडिया में नहीं आया, लेकिन अब दो महीने बाद आरोपियों का दोषमुक्त होना चर्चाओं में है. वहीं, विशेष लोक अभियोजन अधिवक्ता पूनम सिंह ने बताया कि पुरोला प्रकरण की हमने हाईकोर्ट में अपील कर दी है.

क्या था मामला: बता दें कि बीते साल यानी 26 मई 2023 को पुरोला में उवैद खान और जितेंद्र सैनी पर 14 वर्ष की किशोरी को बहला फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लगा था. मामले में किशोरी के पिता की तहरीर पर पुरोला थाने में दोनों के खिलाफ केस दर्ज किया गया. गुस्साए लोगों ने दोनों युवकों को पकड़कर पुरोला पुलिस के हवाले कर दिया था. मामले में समुदाय विशेष से जुड़े युवक के आरोपी होने से पुरोला में दो संप्रदाय आमने-सामने आ गए थे. लंबे समय तक पुरोला में तनाव की स्थिति बनी रही.

यह मामला आग की तरह फैल गया. जिसके चलते पुरोला से लेकर यमुना घाटी, यमुना घाटी से लेकर गंगोत्री तक लोग सड़कों पर उतर गए. इस मामले को हिंदू और मुस्लिम का मुद्दा बनाकर 'लव जिहाद' से जोड़ दिया गया. जिसके चलते मामला ज्यादा गरमा गया. इतना ही नहीं स्थानीय लोगों ने बाहरी व्यापारियों और समुदाय विशेष के लोगों को निशाने पर लेकर मोर्चा खोल दिया. इन लोगों को पुरोला छोड़कर निकल जाने की चेतावनी दी गई. जिसके चलते बाहरी और समुदाय विशेष के लोगों में डर का माहौल हो गया.

मामला लगातार तूल पकड़ता गया. इसी बीच 4 जून की रात को हिंदूवादी संगठनों ने समुदाय विशेष के दुकानदारों के बाहर चेतावनी और धमकी भरे पोस्टर चस्पा कर दिए. जिसमें 15 जून 2023 को हिंदू महापंचायत बुलाने की बात कही गई थी. साथ ही उन्हें इससे पहले दुकानें खाली करने की भी चेतावनी दी गई थी. जिसके चलते मामला बिगड़ गया. स्थानीय लोगों का समुदाय विशेष और बाहरी व्यापारियों के खिलाफ गुस्सा बढ़ता देख बीजेपी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष मोहम्मद जाहिद को भी पुरोला छोड़ना पड़ गया. जाहिद पुरोला स्थित अपनी दुकान से सारा सामान समेटकर देहरादून आ गए.

लगातार विरोध और माहौल बिगड़ता देख अन्य समुदाय विशेष के लोगों ने भी दुकानें खाली करनी शुरू कर दी. इसके बाद हिंदू संगठनों ने 15 जून को पुरोला में महापंचायत का ऐलान कर दिया गया. जिससे मामला राष्ट्रीय स्तर का हो गया. यही वजह कि एआईएमआईएम यानी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को भी पुरोला प्रकरण में कूदना पड़ा. उन्होंने पुरोला में होने जा रही महापंचायत पर रोकने की मांग उठाई. लिहाजा, पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुरोला में धारा 144 लागू कर दिया था.

उत्तरकाशी जिला जज की अदालत ने करार दिया दोषमुक्त: वहीं, पुरोला महापंचायत में जा रहे कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया. इसके बाद भी प्रदर्शन जारी रहे. किसी तरह से यह मामला ठंडा हुआ. उधर, मामले में पुलिस की ओर से 24 जुलाई 2023 को उत्तरकाशी जिला न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया. जिसमें बचाव पक्ष की ओर से दो वकील और राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक की तैनाती हुई थी.

अदालत में पीड़ित किशोरी ने अपने बयान में आरोपियों से टेलर के बारे में पूछने और उनके साथ वहां जाने की बात कही थी. उसने ये भी बताया था कि आरोपी उसे कहीं नहीं ले जा रहे थे. जिस आधार पर इसी साल 10 मई को उत्तरकाशी जिला जज गुरुबख्श की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए दोनों आरोपियों उवैद खान और जितेंद्र सैनी को दोषमुक्त करार दे दिया था. जिससे दोनों आरोपियों को बड़ी राहत मिली है.

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Last Updated : Jul 19, 2024, 10:18 PM IST
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